अमेरिका में भारत की कभी नहीं हुई इतनी बेइज्जती

मेहमान मोदी से क्या बोली उप राष्ट्रपति कमला हैरिस

  (माय सीक्रेट न्यूज़ डॉट कॉम)

अमेरिका /भोपाल। भारतीय नेतृत्व की अमेरिका में इतनी बेइज्जती कभी नहीं हुई, जितनी 24 सितंबर 2021 को पीएम मोदी के दौरा के दौरान हुई। “वाशिँगटन डीसी” में पीएम मोदी को उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने जमकर लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया। उपराष्ट्रपति हैरिस ने सांझा कॉन्फ्रेंस में कहा कि विश्व भर में लोकतंत्र खतरे में है और खतरे का सामना कर रहा है। हमारे देशों के लिए अति आवश्यक हो जाता है कि चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना हो, हम यह साबित करें कि लोकतंत्र उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। लोकतंत्र को हमें और मजबूत करना होगा।

बता दें कि पीएम मोदी इस  उम्मीद के साथ उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मिलने गए थे कि वे भारतीय मूल की हैं और उनकी माता भारत के चेन्नई की हैं, सो वे कमल छाप राजनीति और उनकी मजबूरियों को समझेंगी, लेकिन हैरिस ने कमल छाप राजनीति करने वाले पीएम मोदी को इशारों ही इशारों में ही यह समझा दिया कि लोकतंत्र सबको साथ लेकर चलने का समाज विज्ञान है।लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थाओं को कुचल कर आप लोकतांत्रिक होने का ढोंग नहीं कर सकते हैं।  अंग्रेजी में दिए अपने वक्तव्य में कमला ने कहा कि जैसा कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता हैं कि हम अपने साथ जुड़े देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों,  संस्थाओं को बचाएं और सहेजें।

पीएम को मिली ट्यूशन

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की उपराष्ट्रपति हैरिस ने अपने मेहमान भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी को जमकर लोकतंत्र की ट्यूशन दी। इस दौरान पीएम मोदी को कमल छाप और कमला के बीच के अंतर को भांपने में गफलत हो गई। देश भर के हिंदी भाषी चैनलों ने यह चीज भारत में नहीं बताई। वहां सेल्फी बाज रिपोर्टर किराए पर बजने वाले ढोल नगाड़ों की खबर खोजते रहे। एक बड़े चैनल की एंकर अंजना कश्यप ने ज़ब बाहर किराये पर ढोल नगाड़ा बजाने वालों से पूछा कि भारत के पीएम मोदी आए हैं, आप कैसा महसूस कर रहे हैं। उनका जवाब था कि हम तो बस बाजे बजाने के लिए बुलावे पर आए हैं। जबकि यह खबर दिखाना थी कि कमला हैरिस ने मोदी को लोकतंत्र की क्या ट्यूशन दी है। हिंदी चैनलों के संपादकों को कमला हैरिस के बयानों में कोई खबर नजर नहीं आई। वह यह नहीं बताएंगे कि भारत के लिए कितने शर्म की बात है कि हमारे भारत के पीएम को अमेरिका में बुलाकर लोकतंत्र का ट्यूशन दिया जा रहा है। कमला ने कहा कि हमको लोकतंत्र को ना केवल अपने देशों में मजबूत करना होगा बल्कि हमें अपने नागरिकों को यकीन भी दिलाना चाहिए कि हम उनके हित में ऐसा करने में सक्षम है।

असहज दिखे पीएम मोदी

द्विभाषी अनुवादक कमला हैरिस के बयान को हिंदी में अनुवाद कर बताया। कमला हैरिस ने कहा कि इस समय विश्व भर में लोकतंत्र खतरे में है और खतरे का सामना कर रहा है। ऐसे में हमारे देशों के लिए अति आवश्यक हो जाता है कि चाहे कितनी भी चुनौतियां हमारे सामने क्यों ना आ जाएं, हम यह साबित करें कि हम लोकतंत्र में उनकी आवश्यकताए पूरी करें। लोकतंत्र को हमें और सुदृढ़ बनाना है। इस बयान के दौरान पीएम मोदी इतने असहज हो गए कि उनके चेहरे का रंग ही उड़ गया। वह समझ नहीं पा रहे थे कि इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया दें। कमला हैरिस ने पीएम मोदी को कूटनीति की भाषा में समझा दिया था कि हम आपकी नफरत की राजनीति और आपकी अल्पसंख्यक विरोधी सोच से भली भांति वाकिफ हैं। इसको लेकर हम बहुत फिक्रमंद भी हैं। यहां यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को मेहमान प्रधानमंत्री मोदी के लिए लोकतंत्र की ट्यूशन क्यों देना पड़ी। क्या भारत में ऐसा कुछ घटित हो भी रहा है।

क्या हैं देश के हालात 

देश के हालात देख लीजिए। 10 महीने से किसान हड़ताल पर दिल्ली की सड़कों पर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं। पीएम मोदी उनकी ओर नजर उठाकर  देखने को भी राजी नहीं है। पीएम मोदी के नेता इनको मवाली गुंडे कहते हैं। वहीं देशभर में दलितों को मारने, जलाने, बलात्कार की घटनाएं देख लीजिए। दिल्ली में गोलियां चलवाई गई और ठीकरा मुसलमानों पर फोड़ा गया। इन घटनाओं पर अदालतों ने भी टिप्पणी की। एक अदालत ने यहां तक कहा कि चार्ज सीट बनाने वाला अफसर पुलिस वाला नहीं, बल्कि फिल्म बनाने वाला स्क्रिप्ट राइटर है। एनआरसी कानून आने के दौरान मुसलमानों को जांच एजेंसियों, पुलिस ने निशाना बनाया। वहीं भीमा कोरेगांव की घटना के नाम पर पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अध्यापकों और वकीलों को जेलों में ठूंस दिया गया। आदि -आदि।इन सब घटनाओं की वजह से भारत दुनिया में बदनाम हो गया है।  मानव अधिकार के मामलों में जहां लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोटा जा रहा है। कमला हैरिस ने ऐसे ही लोकतंत्र की ट्यूशन नहीं दी। वे भारत से भली-भांति परिचित हैं। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि अमेरिका में भारत की इतनी बड़ी  बेईज्जती कभी नहीं हुई।

27 से फिसलकर 53वें स्थान पर पहुंचा भारत

फरवरी 2021 में इकोनॉमिक्स सूचकांक में दो पायदान और फिसल कर भारत 53 वें स्थान पर जा पहुंचा है। कमला अगर नरेंद्र मोदी को बगल में खड़ा करके उन्हें लोकतंत्र का ट्यूशन पढ़ा रही है तो इसकी बहुत बड़ी वजह है। मनमोहन सिंह सरकार ने 2014 में जब मोदी को सत्ता सौंपी थी, तब भारत लोकतंत्र सूचकांक में 27 वें नंबर पर था। 7 साल में मोदी सरकार ने इतनी तरक्की की कि भारत 53 वें नंबर पर जा पहुंचा। डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत को चुनौतीपूर्ण लोकतंत्र के रूप में दर्ज किया गया है। इस इंडेक्स में साफ-साफ लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भारतीय नागरिकता की अवधारणा में धार्मिक तत्वों को शामिल किया गया है। कई आलोचक इसे धर्मनिरपेक्ष वाले आधार को कमजोर करने वाले कदम के तौर पर देखते हैं। इतना ही नहीं, यह भी लिखा गया है कि कोरोना काल में वैश्विक कारकों से निपटने के तौर-तरीकों के कारण 2020 में नागरिक अधिकारों का और दमन हुआ है। लोकतंत्र अधिकारों की मांग करने वालों पर कार्रवाई करने के कारण भारत और लगातार कमजोर होता जा रहा है। इसलिए कमला हैरिस को कहना पड़ा है कि केवल लोकतंत्र कहने से काम नहीं चलेगा, इसको साबित भी करना पड़ेगा और हर रोज करना पड़ेगा।

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