अमित शाह की सभा में वनमंत्री का अपमान
आदिवासी राजा शहीद शंकर शाह और रघुनाथ शाह को श्रद्धासुमन अर्पित नहीं कर पाए वनमंत्री
सभा में भीड़ बढ़ाने अधिकारी 39 जिलों से ले गए भीड़
माय सीक्रेट न्यूज़ डॉट कॉम
जबलपुर/भोपाल। जबलपुर में 18 सितंबर को आदिवासियों के राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह को श्रद्धा सुमन करने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे। इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह स्थानीय सांसद राकेश सिंह समेत अन्य अधिकारी व नेता मौजूद थे। इस सभा स्थल पर करीब 400 किलोमीटर का सफर तय कर प्रदेश के वनमंत्री व आदिवासियों का बड़ा चेहरा विजय शाह भी पहुँचे, लेकिन अमित शाह की पुलिस ने वनमंत्री को सभा स्थल पर भी नहीं जाने दिया।
शाह ने परिचय भी दिया कि मैं प्रदेश का वनमंत्री हूँ, उसके बाद भी पुलिस ने एक नहीं सुनी। आखिर वनमंत्री को बिना पुष्प अर्पित किए ही निराश होकर बेरंग लौटना पड़ा। वे दूर से ही अपने पूर्वजों के साथ पुलिस को प्रणाम कर चले गए। जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री शाह के आगमन को लेकर मंचासीन अतिथियों की लिस्ट में वनमंत्री का नाम नहीं था।
वनमंत्री के अपमान से शिवराज की मिश्किलें बढ़ गई। क्योंकि आने वाले दिनों में मप्र में एक लोकसभा और 3 विधानसभा के उपचुनाव होना है। यह सभी सीटें आदिवासी बहुल हैं। ऐसे में जब सार्वजनिक रूप से आदिवासियों के नेताओं का अपमान हो रहा है, तो आदिवासी समाज कैसे सहन करेगा। चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। वैसे भी यह सीटें भाजपा को जीतना आसान नहीं है। क्योंकि भाजपा सरकार अपनी दमनकारी नीति में बदलाव नहीं कर रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वेटनरी कॉलेज मैदान में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 की शुरुआत करते हुए करीब पांच लाख महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिया। शाह ने आदिवासी शहीदों के पुत्र और पिता की याद में बनाए जाने वाले शौर्य स्मारक की आधारशिला भी रखी। देश भर में नियोजित नौ आदिवासी संग्रहालयों में से एक छिंदवाड़ा में स्थापित किया जाएगा।
सीएम शिवराज ने कहा कि जिस स्थान पर शंकर शाह और रघुनाथ शाह को अंग्रेजों ने बंदी बनाया था, उस स्थान पर 5 करोड़ रुपये का संग्रहालय बनेगा और छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम शंकर शाह रखा जाएगा। सीएम ने आदिवासी छात्रों के लिए तेंदूपत्ता संग्रह और सुविधाओं और योजनाओं के संबंध में कई अन्य घोषणाएं भी कीं।
600 km दूर से भाड़े की भीड़
केंद्रीय मंत्री शाह को खुश करने के लिए सीएम शिवराज ने जमकर सरकारी मशीनरी का उपयोग किया। 39 जिलों के आदिवासी विभाग के जिला संयोजकों व सहायक आयुक्त को सभा में भीड़ जुटाने का लिखित में टारगेट दिया था। यह अधिकारी 400-600 किलोमीटर तक दूर से भाड़े पर भीड़ ले गए। जिसमें ज्यादातर गैरआदिवासी थे।
इन जिलों को टारगेट
जनजातीय कार्य विभाग के आयुक्त द्वारा जारी आदेश के मुताबिक जबलपुर, ग्वालियर, बुरहानपुर, खंडवा, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, धार, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, होशंगाबाद, बैतूल, रतलाम, शहडोल, अनूपपुर, सीधी, उमरिया, श्योपुर, सिंगरौली, इंदौर और सागर के सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग और जिला संयोजक अशोकनगर, दतिया, गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, हरदा, सतना, रीवा, कटनी, नरसिंहपुर, सिहोर, रायसेन, देवास, दमोह, छतरपुर आदि जिले शामिल थे।
आदिवासियों को लुभाने के प्रयास
बता दें कि भाजपा और कांग्रेस आदिवासी समुदायों को लुभाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, ताकि 2023 के विधानसभा चुनावों में आदिवासियों की आरक्षित 47 सीटें जीत सकें।
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