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भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सपना स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को आत्म-निर्भर एवं स्वावलंबी बनाना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित आजीविका स्वाद संगम (दीदी कैफे) ग्रामीण महिलाओं की आय में वृद्धि करने का साधन बन रहे हैं। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि स्व-सहायता समूह न केवल ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बेहतर कर रहे हैं बल्कि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी बढ़ा रहे हैं। मंत्री श्री पटेल ने बुधवार को विकास भवन एवं भोपाल हाट बाजार ने समूहों द्वारा संचालित आजीविका स्वाद संगम (दीदी कैफे) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी, सीईओ एसआरएलएम श्रीमती हर्षिका सिंह, सीईओ आरआरडीए श्री दीपक आर्य, आयुक्त मनरेगा श्री अवि प्रसाद सहित अधिकारी-कर्मचारी और स्व-सहायता समूहों की महिलाएं उपस्थित रही।

मंत्री श्री पटेल ने कहा कि शास्त्रों एवं परंपरागत ज्ञान में उल्लेख है कि भोजन में स्वाद भोजन सामग्री के साथ ही बनाने वाले के भाव का भी होता है। दीदी कैफे में भोजन स्वादिष्ट है क्योकि इसे तैयार करने वाली महिलाओं का अपनापन इसमें शामिल है। उन्होंने भोपाल हाट बाजार में मिलेट से तैयार व्यंजनो के लिए कैफे स्थापित करने की पहल की सराहना की। उन्होंने दोनों कैफे का अवलोकन कर व्यवस्थाएं देखी। उन्होंने समूह की महिलाओं से संवाद कर उनका उत्साहवर्धन किया। मंत्री श्री पटेल ने कैफे में सफाई व्यवस्था एवं कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। विकास भवन स्थित कैफे का संचालन संगम सीएलएफ के आठ समूह सदस्यों एवं हाट बाजार मिलेट कैफे का संचालन उड़ान सीएलएफ की पांच समूह सदस्यों द्वारा किया जा रहा है।

आजीविका स्वाद संगम (दीदी कैफे) मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के क्लस्टर डवलपमेंट के तहत एक पहल है, जिसमें स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें तकनीकी समर्थन एवं वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाता है। इससे वे स्वयं के द्वारा संचालित कैन्टीन, केटरिंग ऑपरेशन, "कियोस्क और फूड ट्रक जैसे खाद्य आधारित उद्यम स्थापित कर सकें। राज्य में आजीविका स्वाद संगम के विभिन्न खाद्य उद्यम स्थापित किए गए हैं जिसमें, स्व-सहायता समूह की प्रशिक्षण प्राप्त उद्यमी अपने स्वाद के आधार पर आजीविका के नये आयाम विकसित कर रही हैं। इन दीदीयों द्वारा प्यार से तैयार किया गया, प्रत्येक व्यंजन कौशल, परंपरा और अटूट समर्पण का प्रमाण हैं। दीदी के हाथों से बने पकवानों का स्वाद, उनके स्वावलंबन, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का अनुभव कराता है। अपने प्रयासों से, ये दीदीयाँ अपनी उद्यमशीलता की भावना और सामुदायिक उत्थान के प्रति प्रतिबद्धता से भी प्रेरित करती हैं।

दुनिया में भारत मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक है। मोटे अनाज प्राचीन अद्भुत अनाज है, यह बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण का भंडार है। वर्ष 2018 में भारत ने मोटे अनाजों को "न्यूट्री- सेरेल्स" घोषित किया है। गेहूँ और चावल की तुलना में मोटे अनाजों में उच्च प्रोटीन, फाइबर और खनिज पाए जाते हैं, मोटे अनाज अत्याधिक पौष्टिक होते हैं। मोटे अनाज माइग्रेन और दिल के दौरे के प्रभाव को कम करने में मदद करता हैं। मोटे अनाजों में नियासिन (विटामिन-बी 3) पाया जाता है, जो कि कॉलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। मोटे अनाजों का सेवन हृदय रोग और मधुमेह को रोकने में कारगर है। मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री और नॉन-एलर्जिक होते हैं।

 

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