नईदिल्ली
नीट यूजी 2024 परीक्षा को लेकर मेडिकल फील्ड में खलबली मची हुई है. परीक्षा में धांधली को लेकर छात्र एनटीए पर तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं. 67 टॉपर्स, ग्रेस मॉर्क्स, एक ही सेंटर से कई टॉपर्स होने की वजह से एनटीए शक के घेरे में खड़ा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट में एनटीए के खिलाफ कई याचिका दायर हो चुकी हैं, जिसके जवाब में एनटीए अपना पक्षा भी समाने रख चुका है और अब जांच कमेटी भी बिठा दी गई है. इसी बीच आंध्र प्रदेश से एक और याचिक दायर कर दी गई है.
अंडर ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में दाखिले के लिए राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (NEET) के घोषित परिणामों में विसंगतियों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. नई याचिका में NEET-UG 2024 के नतीजों को वापस लेने और नई परीक्षा आयोजित करने की मांग की गई है. यह याचिका तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के मूल निवासी अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन द्वारा दायर की गई है, जो इन राज्यों में छात्रों के लिए काम करते हैं और ग्रेस मार्क्स देने में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि 718 और 719 के उच्च अंक लाना असंभव हैं.
याचिका में कही गईं ये बातें
याचिका में कहा गया है कि एक विशेष केंद्र से 67 छात्रों को पूरे 720 अंक मिले. "छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स के लिए कोई परिभाषित तर्क नहीं है और साथ ही छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स के अनुसार कोई सूची साझा नहीं की गई है. इसके अलावा, ग्रेस मार्क्स देने का कारण समय की बर्बादी है. परीक्षा से पहले इस बारे में छात्रों का बताया भी नहीं गया था.
एक सवाल के दो जवाब को लेकर आंसर की पर जताई थी आपत्ति
याचिका में आगे कहा गया है कि एनटीए द्वारा जारी एक आखिरी उत्तर कुंजी ने उम्मीदवारों को दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुने, लेकिन 13,000 से अधिक छात्रों ने इस आधार पर कुंजी को चुनौती दी कि किताब में ऐसी जानकारी थी जो एक अलग उत्तर बताती है. जांच के बाद यह सामने आया कि दोनों उत्तर सही हैं. इसके बाद जिन कैंडिडेट्स ने दोनों में से कोई भी एक उत्तर चुना, उन्हें अंक दे दिए गए.
याचिका में कहा गया कि प्रवेश परीक्षाओं में नकल करने से योग्यता और समान अवसरों के सिद्धांतों को नुकसान पहुंचता है, जो सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देने और समाज में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी है. यह उन लोगों के पक्ष में असमानता को बढ़ावा देता है जो लीक हुए परीक्षा पत्रों के लिए भुगतान कर सकते हैं या धोखाधड़ी में शामिल हो सकते हैं, जबकि उन लोगों को नुकसान पहुंचाता है जो सफल होने के लिए अपनी कड़ी मेहनत और योग्यता पर भरोसा करते हैं और यह पूरे समाज को भी प्रभावित करता है.
मेडिकल फील्ड में लापरवाही मंजूर नहीं
य़ाचिका में आगे कहा गया कि मेडिकल फील्ड में साइंटिस्ट और स्पेशिलिस्ट की जरूरत होती है. परीक्षा पास करने के लिए नकल या अनुचित साधनों का उपयोग करने से योग्यता की कमी हो सकती है, जिससे संभावित रूप से रोगियों के स्वास्थ्य और जीवन को खतरा हो सकता है. शीर्ष अदालत में दायर की गई सभी याचिकाओं में 5 मई की परीक्षा से प्रश्नपत्र लीक होने की शिकायतों का आरोप लगाया गया है. 17 मई को शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया था, लेकिन परिणामों की घोषणा पर रोक नहीं लगाई थी.
एक हफ्ते में आएगा एनटीए का फैसला
इस बीच, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने फैसला किया है कि एक उच्चस्तरीय समिति उन 1,600 छात्रों की शिकायतों का विश्लेषण करेगी जो पहले ही नीट 2024 में शामिल हो चुके हैं. नीट 2024 पेपर लीक पर भी केंद्र सरकार का जवाब आया है. प्रेस वार्ता के दौरान हायर एजुकेशन सेक्रेटरी ने कहा कि सिर्फ सवाई माधोपुर में पेपर लेकर छात्रों के केंद्र से बाहर आने का मामला आया था. उसी समय वहां परीक्षा रोक दी गई और दोबारा नए पेपर के साथ एग्जाम लिया गया था. सिर्फ 6 केंद्रों पर दिक्कतें आई हैं. अन्य सभी जगह बिना किसी गड़बड़ी के नीट परीक्षा पूरी हुई थी. पेपर लीक जैसी कोई घटना नहीं हुई है. वहीं, एनटीए ने परीक्षा की जांच के लिए एक कमेटा का गठन किया. कमेटी एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सब्मिट करेगी.
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