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महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2023 की तुलना में हुई कम

उज्जैन उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर के विस्तार का कार्य तेजी से जारी है। यह परिसर पहले 25 हजार वर्गफीट में फैला हुआ था, लेकिन अब इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 78 हजार वर्गफीट कर दिया गया है। महाकाल महालोक के निर्माण और जीर्णोद्धार कार्यों पर बड़े पैमाने पर धनराशि खर्च की जा रही है। पहले चरण में 351.55 करोड़ रुपए, लोकार्पण से पहले के कार्यों पर 44.32 करोड़ रुपए, और दूसरे चरण में 755.82 करोड़ रुपए का खर्च किया गया है। इस तरह कुल 1 हजार151 करोड़ रुपए की लागत से यह परियोजना आकार ले रही है। हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार कम श्रद्धालु बाबा के दरबार में आए। श्रद्धालुओं की संख्या में कमी     महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2023 की तुलना में 2024 के आखिरी पांच महीनों (अगस्त से दिसंबर) में कुछ कम हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, 1 अगस्त से 31 दिसंबर 2023 तक मंदिर में 3 करोड़ 91 लाख 94 हजार 796 श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, 2024 में 1 अगस्त से 22 दिसंबर तक यह संख्या घटकर 3 करोड़ 09 लाख 49 हजार 193 पर आ गई।       हालांकि, मंदिर प्रशासन का कहना है कि दिसंबर के आखिरी 9 दिनों में करीब 25 लाख श्रद्धालु आने की संभावना है। मंदिर प्रशासक गणेशकुमार धाकड़ के अनुसार, श्रद्धालुओं के लिए नवीनतम तकनीक और सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उनके दर्शन का अनुभव बेहतर हो।   2023 में श्रद्धालुओं की संख्या अधिक क्यों रही?     अधिकमास का प्रभाव: वर्ष 2023 में श्रावण माह में अधिकमास होने के कारण सावन 59 दिनों का था। इस दौरान 10 शाही सवारियां निकाली गईं, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई।       महालोक का आकर्षण: महाकाल महालोक के पहले चरण का कार्य पूरा होने के बाद श्रद्धालु न केवल ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने आए, बल्कि महालोक के भव्य नजारों का आनंद लेने भी पहुंचे।       भस्म आरती में बदलाव: भस्म आरती को ऑनलाइन, ऑफलाइन और चलित स्वरूप में संचालित किया गया, जिससे ज्यादा श्रद्धालु आकर्षित हुए। इस व्यवस्था को पहले केवल 2016 के सिंहस्थ मेले में लागू किया गया था।   2024 में आधुनिक तकनीकों का उपयोग श्रद्धालुओं के अनुभव को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए 2024 में आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) बैंड का उपयोग शुरू किया गया। यह व्यवस्था भस्म आरती में प्रवेश के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करती है और बिना अनुमति वाले लोगों को परिसर में आने से रोकती है। मंदिर प्रशासन का दावा है कि अब केवल उन्हीं भक्तों को प्रवेश मिल रहा है, जिन्होंने पहले से अनुमति प्राप्त की है।   भविष्य की योजनाएं और प्रशासन की तैयारी मंदिर प्रबंधन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए लगातार नई योजनाओं पर काम कर रहा है। दर्शन के दौरान भीड़ प्रबंधन से लेकर हाई-टेक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, महालोक के दूसरे चरण का कार्य भी प्राथमिकता पर है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 67

मध्य प्रदेश में वर्ष 2030 तक कुल बिजली की खपत के 50% हिस्से की पूर्ति सौर, पवन और जल विद्युत से करने का लक्ष्य रखा

भोपाल  मध्य प्रदेश में वर्ष 2030 तक कुल बिजली की खपत के 50 प्रतिशत हिस्से की पूर्ति सौर, पवन और जल विद्युत से करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब सरकार ने तय किया है कि पांच मेगावाट तक का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने वालों से उत्पादित बिजली खरीदी जाएगी। इतना ही नहीं, परियोजना लागत पर 30 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाएगा। इसके लिए नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के कुसुम सी योजना के प्रस्ताव पर गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली मेट्रो को दी जा रही बिजली वर्ष 2012 में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षमता लगभग 500 मेगावाट थी। वर्तमान में यह सात हजार मेगावाट हो गई है, जो राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता का 21 प्रतिशत है। रीवा सौर ऊर्जा परियोजना से दिल्ली मेट्रो को बिजली दी जा रही है तो अप्रैल 2024 से भारतीय रेल को प्रतिदिन 195 मेगावाट बिजली दी जा रही है। इसका उपयोग वह गोवा, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ट्रेनों के संचालन में कर रहा है। दिन में उत्पादित इस ऊर्जा का उपयोग अधिक से अधिक करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी औद्योगिक इकाइयों को दिन में खपत बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। एक अप्रैल 2025 से घरेलू उपभोक्ताओं को भी दिन में विद्युत की खपत पर ऊर्जा प्रभार में 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इस तरह के अन्य कदम भी उठाए जा रहे हैं। अब कुसुम सी योजना में पांच मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित बिजली सरकार खरीदेगी। 30 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जाएगा। इसके साथ ही पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना का शिलान्यास होने के बाद इसे प्रशासकीय स्वीकृति के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। 3 हजार से ज्यादा गांवों को मिलेगा लाभ परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, आगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, सीहोर जिले में पीने के पानी और सिंचाई की व्यवस्था होगी। इसका लाभ प्रदेश के 3,217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। मालवा और चंबल क्षेत्र में छह लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 26

एम्स भोपाल ने किया देश का दूसरा सफल हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट

 भोपाल  एम्स भोपाल ने बच्चों में रक्त कैंसर के इलाज में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने हाल ही में एक सात वर्षीय बच्ची का सफल हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया है, जो रिलेप्स्ड एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (बाल्य रक्त कैंसर) से पीड़ित थी। पहले एम्स दिल्ली में ऐसा प्रत्यारोपण किया जा चुका है एम्स भोपाल यह सफल ऑपरेशन करने वाला दूसरा अस्पताल बन गया है। इसके पहले एम्स दिल्ली में ऐसा प्रत्यारोपण किया जा चुका है। यह जटिल प्रक्रिया एम्स भोपाल के चिकित्सा ऑन्कोलॉजी और हीमेटोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव ढींगरा और डॉ. सचिन बंसल के नेतृत्व में की गई। बच्ची का इलाज बाल्य आन्कोलाजी विभाग में डॉ. नरेंद्र चौधरी की देखरेख में हो रहा था। ट्रांसप्लांट के लिए मरीज के भाई को डोनर के रूप में चुना गया, जो आधे एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) में मेल खाते थे। क्या है हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट एम्स के हीमेटोलाजी विभाग के डा. गौरव ढींगरा ने बताया कि यह सामान्य बोन मैरो ट्रांसप्लांट से कई गुना अधिक जटिल प्रक्रिया है। इसमें रोगी को आधे एचएलए मिलान वाले डोनर से स्टेम सेल दिए जाते हैं। जहां एक तरफ मैच्ड बोन मैरो ट्रांसप्लांट में डोनर और रिसीवर के 12 के 12 जीन मेल खाते हैं और सफलता दर 60 फीसद होती है, वहीं हापलो आइडेंटिकल में सिर्फ छह जीन ही मेल खाते हैं। ट्रांसप्लांट के सफल होने की दर सिर्फ 30 प्रतिशत रहती है। भाई को डोनर के रूप में चुना गया बच्ची का इलाज एम्स भोपाल के बाल्य आन्कोलाजी विभाग में डॉ. नरेंद्र चौधरी की देखरेख में हो रहा था। ट्रांसप्लांट के लिए मरीज के भाई को डोनर के रूप में चुना गया, जो आधे एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) में मेल खाते थे। एम्स के हीमेटोलाजी विभाग के डॉ. गौरव ढींगरा ने बताया कि यह सामान बौनमेरौ ट्रांसप्लांट से कई गुना अधिक जटिल प्रक्रिया है। जहां एक तरफ मैच्ड बोनमैरो ट्रांसप्लांट में 12 के 12 जीन डोनर और रिसीवर के मेल खाते हैं। इसमें भी सफलता दर 60 फीसदी होती है। हेप्लो आइडेंटिकल में सिर्फ छह जीन ही मेल खाते हैं। इस ट्रांसप्लांट के सफल होने की दर सिर्फ 30 प्रतिशत के करीब रहती है। ऐसे हुआ प्रत्यारोपण सबसे पहले पीड़ित बच्चे के भाई से स्टेम सेल निकाले गए। इसके बाद बच्चे को फुल बाडी रेडिएशन दिया गया। इससे उसकी बाडी इंफेक्शन मुक्त और इम्यूनिटी भी बेहद कम हो जाए। इससे रिसीवर की बाडी डोनर से आए स्टेम सेल को खत्म नहीं कर पाती है। इसके साथ ध्यान रखा गया कि डोनर के स्टेम सेल रिसीवर के सेल्स को मारने का कार्य न करें। यह एक बेहद और बहु स्तरीय प्रक्रिया है। इसमें कई फैक्टर्स को एक साथ निगरानी करना होता है। क्या है हापलो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट हापलो-आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें रोगी को आधे एचएलए मिलान वाले डोनर से स्टेम सेल दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया उन रोगियों के लिए एक आशा की किरण है, जिनके लिए पारंपरिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट उपलब्ध नहीं है। मरीज को माइलो-अब्लेटिव कंडीशनिंग रेजिमेन के तहत संपूर्ण शरीर की रेडियोथेरेपी (टोटल बाडी इरैडिएशन) दी गई, जिसे रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग के डॉ. सैकत दास, डॉ. विपिन खराडे और भौतिक विज्ञानी (आरएसओ) अवनीश मिश्रा द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया गया। रक्त कैंसर के इलाज में नई उम्मीद जगाएगा     यह एम्स भोपाल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने से यह स्पष्ट होता है कि हमारे संस्थान में उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह बच्चों में रक्त कैंसर के इलाज में एक नई उम्मीद जगाएगा। – प्रो. डॉ. अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 13

MP में जमीन रजिस्ट्री पर बड़ा बदलाव, 24 घंटे स्लॉट, उसी दिन रजिस्ट्री; एक दिन का भी इंतजार नहीं

भोपाल मध्य प्रदेश में घर प्लॉट की रजिस्ट्री को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है. इस नए सिस्टम के तहत अब लोगों को घर प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. दरअसल, एमपी में रेलवे के तत्काल टिकट सिस्टम की तरह घर-प्लॉट की रजिस्ट्री के लिए भी तत्काल सिस्टम लागू होने जा रहा है. यह सिस्टम आने वाले तीन महीने में शुरू हो जाएगा. इस सुविधा के शुरू हो जाने से न तो पंजीयन कार्यालय जाने की जरूरत पड़ेगी और न ही स्लॉट के लिए इंतजार करना पड़ेगा. बल्कि नए सिस्टम के लागू होने के बाद स्लॉट की औपचारिकता पूरी होने पर तत्काल रजिस्ट्री हो जाएगी. देना होगा अतिरिक्त चार्ज इसके लिए प्रॉपर्टी खरीदने वाले को अतिरिक्त चार्ज देना होगा. हालांकि यह चार्ज कितना होगा, यह तय नहीं हुआ है. लेकिन माना जा रहा है कि यह एक्स्ट्रा चार्ज 3000 रुपए तक हो सकता है. बताते चले कि छत्तीसगढ़ में तत्काल रजिस्ट्री के लिए 25 हजार रुपए चार्ज लगता है. जबकि गोवा में तत्काल रजिस्ट्री के लिए 50 हजार से 2 लाख रुपए तक एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ता है. इन राज्यों में है सबसे अधिक फीस गौरतलब है कि गोवा और छत्तीसगढ़ के अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा में भी लोगों को तत्काल रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध है. लेकिन इन प्रदेशों में तत्काल रजिस्ट्री की फीस बहुत अधिक ली जाती है. पंजीयन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो मध्य प्रदेश में बाकि राज्यों की तुलना में बहुत कम फीस लगेगी. एमपी में तत्काल रजिस्ट्री की सुविधा लागू होने के बाद ऑनलाइन ही स्लॉट बुक हो जाएगा और उसी दिन रजिस्ट्री भी हो जाएगी. प्रकिया जैसे ही पूरी होगी वैसे ही रजिस्ट्री का पीडीएफ आपके मोबाइल पर चला जाएगा. जानिए क्या है रजिस्ट्री का प्रोसेस जिल जिले में जमीन खरीद-फरोख करनी होगी, उस जिले के पंजीयन कार्यलम में कम से कम एक दिन पहले स्लॉट बुक करना होता है. यह स्लॉट सरकार के चिह्नित सर्विस प्रोवाइडर के जरिए बुक होता है. इसके अगले दिन दोनों पक्षों को गवाहों और दस्तावेजों के साथ हाजिर होना पड़ता है. ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन बुकिंग के लिए भी एक दिन पहले सर्विस प्रोवाइडर के जरिए स्लॉट बुक करना होता है. इसके बाद इसकी डिटेल रजिस्टार के लॉग इन पर चली जाएगी. इसके बाद अगले दिन निर्धारित समय पर संपदा-2 पोर्टल के जरिए ऑनलाइन जुड़ना होता है. लेकिन इसमें दोनों पक्ष का एक जगह-एक साथ होना अनिवार्य होता है. तत्काल बुकिंग की प्रकिया तत्काल स्लॉट बुकिंग के लिए आईजी पंजीयन कार्यालय में एक सेंटर बनाया जा रहा है. इसमें तत्काल रजिस्ट्री के लिए अलग टीम बनाई जाएगी. शुरुआत में तत्काल रजिस्ट्री प्रकिया के लिए 5 सब-रजिस्ट्रार तैनात रहेंगे. बाद में डिमांड को देखते हुए इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है. जो व्यक्ति तत्काल स्लॉट बुक करेगा, उसे ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से जोड़ा जाएगा. तत्काल रजिस्ट्री की सबसे खास बात यह है कि इसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने से उसी दिन रजिस्ट्री संभव हो सकेगी. तीन तरीके से हो सकेगी रजिस्ट्री… तत्काल के लिए पंजीयन ऑफिस में बनेगा अलग सेटअप 1. पंजीयन कार्यालय से : जिस जिले में जमीन की खरीद-फरोख्त करना होती है, उस जिले के पंजीयन कार्यालय में कम से कम एक दिन पहले स्लॉट लेना होता है। सरकार द्वारा चिह्नित सर्विस प्रोवाइडर के जरिए स्लॉट बुक होता है। अगले दिन दोनों पक्षों को गवाहों के साथ दस्तावेज के साथ उपस्थित होना पड़ता है। 2.ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग से एक दिन पहले सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से स्लॉट बुक करना होता है। यह सब रजिस्टार के लॉगइन पर चला जाएगा। अगले दिन तय समय पर संपदा-2 पोर्टल के जरिए ऑनलाइन जुड़ना होता है। इसमें दोनों पक्ष का एक जगह एक साथ होना अनिवार्य होता है। 3. तत्काल स्लॉट से : इसके लिए आईजी पंजीयन कार्यालय में एक सेंटर बनाया जा रहा है। इसमें तत्काल रजिस्ट्री के लिए अलग टीम रहेगी। शुरुआत में 5 सब-रजिस्ट्रार तैनात रहेंगे। बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है। जो व्यक्ति तत्काल स्लॉट बुक करेगा, वह ऑनलाइन वीडियो के जरिए जुड़ जाएगा। ये फायदे… 1. ऑनलाइन ही स्लॉट बुक हो जाएगा और उसी दिन रजिस्ट्री भी हो जाएगी। 2. प्रक्रिया पूरी होते ही रजिस्ट्री की पीडीएफ आपके मोबाइल पर होगी। देश में प्रदेश में यह व्यवस्था है अभी ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से रजिस्ट्री की सुविधा है। हमारा प्रयास है कि लोगों को रजिस्ट्री के लिए एक दिन का भी इंतजार न करना पड़े। – स्वप्नेश शर्मा, वरिष्ठ जिला पंजीयक भोपाल तत्काल में इस तरह होगी प्रक्रिया जो भी व्यक्ति तत्काल रजिस्ट्री के लिए स्लॉट बुक करेगा, वह संपदा 2 पोर्टल के जरिए ऑनलाइन वीडियो से जुड़ जाएगा। इसमें जमीन बेचने वाला और खरीदने वाला, दोनों पक्ष एक साथ एक ही जगह होना अनिवार्य रहेगा। उन्हें अपने साथ अपना पहचान पत्र भी रखना होगा। लॉगइन करते ही ही संबंधित पक्ष के आधार नंबर से लिंक मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा। यह ओटीपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े सब-रजिस्ट्रार को बताना होगा। ओटीपी के सत्यापित होते ही रजिस्ट्री के लिए आगे की प्रक्रिया शुरू होगी। सब कुछ सही होने पर रजिस्ट्री पूरी हो जाएगी। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं 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भाजपा को 2244 करोड़, BRS को मिला कांग्रेस से ज्यादा चंदा, जानें किस पार्टी को मिला कितना डोनेशन

नई दिल्ली राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जानकारी शेयर कर की है। ECI द्वारा जारी डाटा के मुताबिक 2023-2024 में BJP को अन्य पार्टियों मुकाबले 2,244 करोड़ का चंदा मिला है। पिछले 10 साल से केंद्र की सत्ता पर काबिज BJP को पिछले साल के मुताबिक तीन गुना ज्यादा चंदा मिला है। इसके अलावा कांग्रेस को 255 करोड़ रुपये का डोनेशन मिला है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की बात करें तो उसे भी पिछले साल के मुकाबले तगड़ा मुनाफा हुआ है। पार्टी को पिछले साल 79 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जबकि इस साल 255 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। चुनाव आयोग ने जारी की है रिपोर्ट चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध 2023-24 की कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 723.6 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि इसी ट्रस्ट ने कांग्रेस को 156.4 करोड़ रुपए दिए। 2023-24 में BJP को मिले चंदे का लगभग एक तिहाई और कांग्रेस को मिले चंदे का आधे से ज्यादा हिस्सा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आया है। इसके अलावा 2022-23 में प्रूडेंट को चंदा देने वालों में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, आर्सेलर मित्तल ग्रुप और भारती एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थीं। 2023-24 के लिए प्रूडेंट ने अभी अपने चंदा देने वालों की लिस्ट जारी नहीं की है। क्षेत्रीय पार्टियों ने भी दी है चंदे की जानकारी बता दें कि देश की कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने भी अपनी मर्जी से चंदे का हिसाब किताब दिया है और बताया है कि उन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए कितना चंदा मिला है। इनमें बीआरएस भी शामिल है, जिसे बॉन्ड के जरिए 495.5 करोड़ रुपये मिले। वहीं डीएमके को 60 करोड़ रुपये और वाईएसआर कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए से 121.5 करोड़ रुपये मिले हैं। जेएमएम ने बॉन्ड के जरिए 11.5 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की है। कांग्रेस पार्टी को ट्रस्टों के जरिए 156 करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा मिला है। प्रूडेंट ने 2023-24 में BRS और YSRCP को 85 करोड़ रुपये और 62.5 करोड़ रुपये डोनेशन दिया था। आंध्र प्रदेश की वर्तमान सत्ताधारी पार्टी की बात करें तो टीडीपी को प्रूडेंट से 33 करोड़ रुपये मिले। वहीं डीएमके को ट्राइंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट और जयभारत ट्रस्ट से 8 करोड़ रुपये मिले। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु: – बीजेपी को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 723.6 करोड़ रुपये का चंदा मिला। यह पार्टी को मिले कुल चंदे का लगभग एक-तिहाई है। – कांग्रेस को प्रूडेंट ट्रस्ट से 156.4 करोड़ रुपये मिले, जो उसके कुल चंदे का आधे से अधिक है। – प्रूडेंट ट्रस्ट को 2022-23 में मेघा इंजीनियरिंग, सीरम इंस्टीट्यूट, आर्सेलर मित्तल और भारती एयरटेल जैसी कंपनियों से चंदा मिला था। 2023-24 के लिए दानदाताओं की सूची अभी जारी नहीं की गई है। क्षेत्रीय दलों की स्थिति: – बीआरएस को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 495.5 करोड़ रुपये मिले। – वाईएसआर कांग्रेस को 121.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला। – डीएमके को 60 करोड़ रुपये और **जेएमएम** को 11.5 करोड़ रुपये का बॉन्ड मिला। – प्रूडेंट ट्रस्ट ने 2023-24 में बीआरएस को 85 करोड़ और वाईएसआर कांग्रेस को 62.5 करोड़ रुपये दिए। – टीडीपी को प्रूडेंट से 33 करोड़ रुपये का चंदा मिला। – डीएमके को ट्राइंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट और जयभारत ट्रस्ट से 8 करोड़ रुपये मिले। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 42

चीन का ऐलान तिब्‍बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्‍सांगपो पर बांध बनाएगा, थ्री जॉर्ज बांध से 3 गुना ज्‍यादा बिजली पैदा होगी

बीजिंग  चीन की सरकार ने ऐलान किया है कि वह तिब्‍बत की सबसे लंबी नदी यारलुंग त्‍सांगपो पर महाशक्तिशाली बांध बनाने जा रही है। इस बांध से चीन के धरती की स्‍पीड को प्रभावित करने वाले थ्री जॉर्ज बांध से 3 गुना ज्‍यादा बिजली पैदा होगी। चीन की सरकारी न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है। चीनी मीडिया का कहना है कि यह बीजिंग के लिए इंजीनियरिंग की बहुत बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। चीन की सरकार इस बांध को बनाने के लिए 137 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीनी बांध धरती पर चल रहे सिंगल इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के किसी भी प्राजेक्‍ट को बहुत पीछे कर देगा। चीन जिसे यारलुंग त्‍सांगपो नदी कहता है, उसे भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहा जाता है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस दैत्‍याकार बांध का हथियार की तरह से इस्‍तेमाल करके भारत के पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में कभी भी बाढ़ ला सकता है। करीब 2900 क‍िमी लंबी ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आने से पहले तिबब्‍त के पठार से होकर गुजरती है। यह नदी तिब्‍बत में धरती की सबसे गहरी खाई बनाती है। तिब्‍बती बौद्ध भिक्षु इसे बहुत पवित्र मानते हैं। चीन इस बांध को भारत की सीमा करीब अपने भयंकर बारिश वाले इलाके में बनाने जा रहा है। चीन का अनुमान है कि इस बांध से 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली हर साल मिलेगी। वहीं अभी बिजली पैदा करने के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहे जाने वाला चीन थ्री जॉर्ज हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। चीन के हुबई प्रांत में स्थित थ्री जॉर्ज बांध यांगजी नदी पर बनाया गया है। धरती की स्‍पीड को प्रभावित कर रहा चीन का बांध थ्री जॉर्ज बांध में 40 अरब क्‍यूबिक मीटर पानी है और यह धरती की घूमने की रफ्तार को भी प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से धरती की घूमने की गति में हर दिन 0.06 माइक्रोसेकंड बढ़ रहा है। इससे दुनियाभर के वैज्ञानिक काफी चिंत‍ित हैं। इस बांध को सबसे पहले साल 1919 में चीन के पहले राष्‍ट्रपति सुन यात सेन ने बनाने का प्रस्‍ताव दिया था। उन्‍होंने कहा था कि इससे जहां बाढ़ में कमी आएगी, वहीं दुनिया के सामने यह चीन के ताकत का प्रतीक बनेगा। चीन अब तिब्‍बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर नया विशालकाय बांध बनाने जा रहा है। चीन का इरादा है कि इस बेहद जटिल इंजीनियरिंग प्राजेक्‍ट को पूरा करने के लिए चार से लेकर छह तक 30 किमी लंबी सुरंग बनानी होगी। चीन को यह सुरंग नामचा बरवा पहाड़ के अंदर बनानी होगी ताकि महाशक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के आधे पानी को डायवर्ट किया जा सके। यही नहीं जिस जगह पर यह बांध बनाया जाना है, वहां भूकंप आने का काफी खतरा रहता है। चीन का यह बांध जब पूरा हो जाएगा तो इससे 30 करोड़ लोगों को आसानी से हर साल बिजली दी जा सकेगी। चीन का दावा है कि इस बांध को बनाने के लिए पर्यावरण के मानकों का पूरा ध्‍यान रखा जाएगा। भारत और बांग्‍लादेश दोनों को चीन के बांध से खतरा चीन ने यह नहीं बताया है कि तिब्बत में इस बांध को बनाने का काम कब शुरू होगा और ठीक-ठीक किस जगह पर इसे बनाया जाएगा। चीन इस ऐलान से भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हा सकता है। यह न केवल सुरक्षा के लिहाज से बल्कि पर्यावरण और आजीव‍िका के लिए है। ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर भारत और बांग्‍लादेश में करोड़ों लोग जीवन बिताते हैं। बांग्‍लादेश में इसे सूरमा नदी कहा जाता है। चीन अगर पानी रोकता है तो इन दोनों देशों में सूखा आ सकता है और अगर अचानक से पानी छोड़ता है तो बाढ़ आ सकती है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 73