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इंदौर

शहर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र में होली के दिन हुई मारपीट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पुलिस ने तीन वकीलों पर एक बुजुर्ग से मारपीट का केस दर्ज किया था, लेकिन इसके बाद मामला और बिगड़ गया। सीसीटीवी फुटेज में तीन वकील एक बुजुर्ग को पीटते साफ दिखाई दे रहे थे। इसी आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया। लेकिन जब यह मामला सामने आया, तो वकीलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।

शनिवार दोपहर बड़ी संख्या में वकील परदेशीपुरा थाने का घेराव करने पहुंचे। उनका आरोप था कि पुलिस ने गलत मुकदमा दर्ज किया है। विरोध बढ़ता गया और वकीलों ने इंदौर हाईकोर्ट चौराहे पर चक्का जाम कर दिया, जिससे करीब दो घंटे तक शहर में यातायात बाधित रहा। विवाद को सुलझाने पहुंचे तुकोगंज थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह यादव पर वकीलों ने शराब के नशे में होने का आरोप लगाकर उन्हें बुरी तरह घेर लिया। इस दौरान वकीलों ने थाना प्रभारी को खदेड़ दिया और उनके साथ बदसलूकी की। इतना ही नहीं, मौके पर पहुंचे एसीपी की वर्दी तक फट गई। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने थाना प्रभारी को किसी तरह बचाकर थाने में सुरक्षित पहुंचाया।

थाना प्रभारी मेडिकल जांच के लिए तैयार

थाना प्रभारी जितेंद्र सिंह यादव ने कहा कि वह नशे में नहीं थे और इस आरोप को साबित करने के लिए वह किसी भी मेडिकल जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि कुछ देर पहले ही वह पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह से मिलकर लौटे थे, लेकिन उसके बाद यह पूरा विवाद खड़ा कर दिया गया। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर कानून के रक्षक ही कानून हाथ में लेंगे, तो उन पर कार्रवाई कौन करेगा? क्या पुलिस वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करेगी या यह मामला ऐसे ही दबा दिया जाएगा?

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