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वॉशिंगटन
यूक्रेन के राष्ट्र्पति वोलोदिमिर जेलेंस्की को लेकर पुतिन की टिप्पणी पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भड़क गए हैं। ट्रंप ने रविवार को कहा कि वह जेलेंस्की की आलोचना से बहुत नाराज हैं। इसके साथ ही ट्रंप ने धमकी दी कि अगर रूसी राष्ट्रपति युद्ध विराम के लिए सहमत नहीं होते हैं तो वे मॉस्को के तेल निर्यात पर टैरिफ लगा देंगे। एनबीसी न्यूज के साथ फोन पर दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाने की बात कही, जो रूसी तेल खरीदने वाले देशों को प्रभावित करेगा। उन्होंने यूक्रेन में जंग न रोकने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराने की बात कही।

उन्होंने कहा, 'अगर रूस और मैं यूक्रेन में खून-खराबे को रोकने के लिए कोई समझौता करने में असमर्थ हैं और अगर मुझे लगता है कि यह रूस की गलती थी, जो कि शायद न हो- तो मैं रूस से आने वाले सभी तेल पर सेकेंडरी टैरिफ लगाने जा रहा हूं।' पुतिन को लेकर ट्रंप की टिप्पणी रूसी नेता को लेकर उनके पिछले रुख से अलग है।

जेलेंस्की को हटाने की मांग पर भड़के ट्रंप

पुतिन को लेकर ट्रंप का गुस्सा तब आया, जब रूसी राष्ट्रपति ने यूक्रेन में जेलेंस्की को हटाकर एक नई सरकार बनाने की मांग की। एनबीसी के साथ फोन पर ट्रंप ने कहा, 'यह सही जगह पर नहीं जा रहा है।' इसके पहले ट्रंप ने जेलेंस्की को लेकर निराशा जाहिर की थी और उन्हें तानाशाह तक कह दिया था। लेकिन अब वह रूस के खिलाफ सीधे बोल रहे हैं। ट्रंप ने कहा, मैं बहुत गुस्सा था, नाराज था, जब पुतिन ने जेलेंस्की की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया, क्योंकि यह सही जगह पर नहीं जा रहा था, आप समझते हैं?'

रूस की अर्थव्यवस्था को धमकी

अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस की अर्थव्यवस्था को झटका देने की चेतावनी दी और कहा कि सभी रूस तेल पर टैरिफ 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी किया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि अगर आप रूस से तेल खरीदते हैं तो अमेरिका में व्यापार नहीं कर सकते। हालांकि, ट्रंप ने दोनों नेताओं के बीच सुलह का भी संकेत दिया और कहा, 'पुतिन जानते हैं कि मैं गुस्से में हूं, लेकिन गुस्सा जल्दी खत्म हो जाता है, अगर वह सही काम करते हैं।'

क्या कह रहे विश्लेषक

अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर रूस ने यूक्रेन युद्ध विराम समझौते पर अपनी सहमति नहीं दी और ट्रंप ने रूसी तेल निर्यात पर 25 से 50 फीसदी की टैरिफ लगाया तो किन-किन देशों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके जवाब में विश्लेषकों और अधिकारियों का कहना है कि अगर डोनाल्ड ट्रम्प रूसी तेल खरीदने वाले देशों के खिलाफ 25-50% टैरिफ लगाते हैं, तो चीन और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।

दरअसल, 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। उसके तेल खरीदने पर भी बैन लगा दिया गया था लेकिन भारत और चीन के अलावा कुछ और देशों ने रूस से तेल खरीदना चालू रखा। ऐसे में अमेरिका द्वारा सीधे खरीददारों पर सेकंडरी टैरिफ लगाने से न केवल पुतिन की तेल राजस्व तक पहुंच कम हो सकती है बल्कि जो देश इसका उल्लंघन करेंगे उन्हें भी आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ सकता है। रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में शामिल न होने के बावजूद, चीन इसका उल्लंघन करने के बारे में सावधान रहा है, क्योंकि उसे सेकंडरी टैरिफ का डर सताता रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ चीनी बैंकों ने अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली से प्रतिबंधित होने के डर से रूसी कंपनियों के साथ लेन-देन कम कर दिया है।
चीन को भारत ने छोड़ा पीछे

मल्टीनेशनल इन्वेस्टमेंट बैंक और वित्तीय सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनी UBS के विश्लेषक जियोवानी स्टानोवो ने द गार्डियन से कहा, "जैसा कि ट्रम्प ने वेनेजुएला के तेल के मामले में किया है, वैसा ही रूस के मामले में खरीदारों को लक्षित करने के लिए कर सकते हैं। इस कदम से चीन और भारत प्रभावित हो सकता है। हालांकि, हमें यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या घोषणा होती है। बता दें कि भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए समुद्री रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।
भारत-चीन के अलावा और किन देशों पर असर

2024 में भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का लगभग 35% रूसी कच्चा तेल था। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत रूसी तेल खरीदता रहा है लेकिन अब अमेरिकी टैरिफ की चिंता होने लगी है। भारत और चीन के अलावा तुर्किए भी रूसी तेल का बड़ा खरीदार है। इसके अलावा बुल्गारिया,इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्लोवाकिया, हंगरी भी रूसी तेल खरीदने में आगे रहा है। पाकिस्तान ने भी रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए डील किया है।

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