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पेरिस
तोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर कर्णम मल्लेश्वरी से आगे निकलने वाली मीराबाई चानू पिछले कुछ समय में चोटों से जूझने के बावजूद बुधवार को यहां पेरिस ओलंपिक खेलों में पोडियम पर पहुंचकर दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली भारोत्तोलक बनने का प्रयास करेंगी।

मीराबाई ने पिछले ओलंपिक खेलों के पहले दिन ही पदक जीतकर भारत का खाता खोला था और काफी सुर्खियां बटोरी थी लेकिन इसके बाद वह चोटों से परेशान रही जिसके कारण पेरिस ओलंपिक के लिए अच्छी तरह से तैयारी नहीं कर पाई।
तोक्यो ओलंपिक के बाद उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन राष्ट्रमंडल खेल 2022 में रहा जहां उन्होंने 201 किग्रा (88 किग्रा और 113 किग्रा) उठाया। उन्होंने तोक्यो में 202 किग्रा (87 किग्रा और 115 किग्रा) वजन उठाकर रजत पदक जीता था।

मीराबाई अपने पसंदीदा 49 किग्रा भार वर्ग में चुनौती पेश करेगी और अगर वह अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को दोहराने में सफल रहती है तो फिर रजत या कांस्य पदक जीत सकती हैं। इस वजन वर्ग में चीन की मौजूदा ओलंपिक चैंपियन होउ झिहुई फिर से स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार हैं। मीराबाई ने कूल्हे की चोट से उबरने के बाद वापसी की है लेकिन उनकी फिटनेस को लेकर अब भी कयास लगाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा ने हालांकि दावा किया कि मणिपुर की रहने वाली यह खिलाड़ी पूरी तरह से फिट है।

शर्मा ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि मीराबाई को 200 किग्रा से अधिक वजन उठाना होगा। उनके लिए इस बार 202 किग्रा में कटौती नहीं की जाएगी लेकिन उन्हें 205-206 किग्रा तक जाना चाहिए। हम चुनौती के लिए तैयार हैं।’’ हालांकि यह कहना जितना आसान है करना उतना आसान नहीं है क्योंकि यह भारोत्तोलक पिछली कुछ प्रतियोगिताओं में संघर्ष करती हुई नजर आई। गुरुवार को 30 साल की होने वाली मीराबाई की नजर जहां अपने प्रतिद्वंद्वियों के प्रदर्शन पर होगी वहीं उन्हें खुद को मिलने वाली चुनौती से भी पार पाना होगा।

उत्तर कोरिया की एशियाई खेलों की चैंपियन और विश्व रिकॉर्ड धारक री सोंग गम की अनुपस्थिति के बावजूद 49 किग्रा में प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी है और पिछले एक महीने से पेरिस में तैयारी कर रही मीराबाई को किसी भी तरह की गलती करने से बचना होगा।

 

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