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बिलासपुर.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में वन्य जीव के संरक्षण को लेकर लगी याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिसमें प्रदेश में हुई बाघ की मौत को भी संज्ञान में लिया गया। वन्यजीवों के मौत के मामले में मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को अहम माना जा रहा है। दरअसल छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा की डीबी में सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट ने वन्यजीवों की मौत और पर्यावरण की अनदेखी पर बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वन्य जीव नष्ट हो रहे हैं, पर्यावरण भी नष्ट हो रहे हैं अब बचा क्या?

मुख्य न्यायाधीश की डीबी ने कहा कि वन्य जीव नहीं बचा पाएंगे और जंगल नहीं बच पाएंगे तो कैसे चलेगा? वन्यजीव है तो जंगल हैं, छत्तीसगढ़ में कम से कम यही सब है। जिसके जवाब में महाधिवक्ता ने कहा कि मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने बाघ की मौत को लेकर भी टिप्पणी की है। कहा यह दूसरी मौत है, टाइगर हिंदुस्तान में जल्दी मिलता नहीं, यहां है तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल 8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास खनखोपड़ नाला के किनारे बाघ का शव मिला, जिसे वन विभाग ने आधिकारिक तौर पर जहर खुरानी की घटना बताया है, जिसकी जांच जारी है। हाईकोर्ट ने एफिडेविट के माध्यम से कार्रवाई के बारे में पूछा। जिस पर शासन का पक्ष महाधिवक्ता ने रखा। हाईकोर्ट ने APCCF को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से शपथपत्र का जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? मामले में अगली सुनवाई आगामी 21 नवंबर को निर्धारित की है।

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