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वाशिंगटन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनोल्ड ट्रंप को जीत हासिल हुई है। ट्रंप ने बुधवार को अपना ‘डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस’ (DNI) चुना। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व सदस्य तुलसी गबार्ड को DNI बनाने का फैसला किया है। गबार्ड चार बार सांसद रह चुकी हैं और 2020 में वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उम्मीदवार भी थीं। गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है। वह हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं।

ट्रंप ने घोषणा की, ‘मुझे यह ऐलान करते हुए काफी खुशी हो रही है कि पूर्व सांसद लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड डीएनआई के रूप में सेवाएं देंगी। दो दशकों से अधिक समय तक तुलसी ने हमारे देश और सभी अमेरिकियों की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है।’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व उम्मीदवार के रूप में उन्हें दोनों दलों में व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन अब वह रिपब्लिकन पार्टी की अहम सदस्य हैं…।’

कौन हैं तुलसी

तुलसी अमेरिका की पहली हिंदू महिला सांसद हैं। उन्होंने अक्सर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार की निंदा की है। गबार्ड अमेरिका में जन्मी थीं। उनकी मां ने हिंदू संस्कृति के अनुसार अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। वह एक आजीवन शाकाहारी हैं। कांग्रेस की सदस्य होने की शपथ उन्होंने भगवद गीता पर हाथ रखकर ली। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ उत्पीड़न का मुद्दा वह उठाती रही हैं।

हिंदुओं का उठाया था मुद्दा

साल 2021 में तुलसी गबार्ड ने बांग्लादेश में बार-बार अत्याचार के बाद हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश किया। 1971 में अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ क्रूरता के लिए उन्होंने पाकिस्तानी सेना पर हमला बोला। अपने प्रस्ताव में उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे 50 साल पहले पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश में हजारों बंगाली हिंदुओं को मार डाला, प्रताड़ित किया और उनके घरों से निकाल दिया। उन्होंने पाकिस्तान की जमीन का आतंकियों की ओर से इस्तेमाल होने का मुद्दा उठाया था।

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