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  • रिजर्व बैंक की गाइडलाइन और वित्तीय कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा सूदखोर
  • 85 लाख का कर्ज तीन साल में बढ़कर 12 करोड़ हुआ तो घर छोड़कर भागना पड़ा व्यापारी को

रायपुर
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में एक सूदखोर के चुंगल में फंसकर कई प्रतिष्ठित व्यापारी तबाह हो रहे हैं। नानजी भाई चोपड़ा नाम का यह सूदखोर जरूरतमंद व्यापारियों को मासिक 3 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज देता है। ब्याज की यह रकम सालाना 36 प्रतिशत की दर पर बढ़ती जाती है और व्यापारी को बर्बाद कर देती है। चोपड़ा ने अपनी शर्तों और दरों पर एक अवैध बैंक संचालित कर रखा है। उसने न तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कोई लाइसेंस लिया है न वित्त विभाग के किसी नियम कानून की उसे कोई परवाह है। हैरानी की बात तो यह है कि अवैध सूदखोरी के इस कारोबार में लेनदेन चोपड़ा और उसके परिजनों के बैंक खातों से खुलेआम किया जा रहा है। अब इस मामले की शिकायत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की दिल्ली और रायपुर शाखाओं में की गई है। मांग की गई है कि चोपड़ा और उसके परिजनों के खातों की जांच की जाए।

नानजी भाई चोपड़ा और उसके परिवार के हितेश चोपड़ा तथा रीता बेन चोपड़ा ने जगदलपुर के एक ठेकेदार बिल्लू ब्याज को सूदखोरी के जाल में फंसाकर इस कदर प्रताड़ित किया कि बिल्लू को शहर छोड़कर लापता होना पड़ा। चोपड़ा बाजार से 10 प्रतिशत सालाना ब्याज पर पैसे उठाता है और उसी पैसे को मासिक 3 प्रतिशत यानी सालाना 36 प्रतिशत की ब्याज दर पर जरूरतमंद व्यापारियों को कर्ज देता है। नियम कानून को ताक पर रखकर वह वसूली के लिए अमानवीय तरीके अपनाता है।

व्यापारियों को सरे राह बेइज्जत करना, किसी भी वक्त वसूली के लिए उनके घर पहुंच जाना, धमकी देना आदि तरीकों से वह मूलधन का 80 से 100 गुना तक वसूली करता है। ठेकेदार बिल्लू बजाज ने 2019 में अपने किसी ठेकेदारी के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए चोपड़ा से 85 लाख रुपए लोन लिया था। 2022 में यह रकम बढ़कर करीब 12 करोड़ हो गई। सूदखोर चोपड़ा की हैंडराइटिंग में उपलब्ध खाते में जो हिसाब दर्ज है उसमें ब्याज पर ब्याज का ऐसा चक्रव्यूह स्पष्ट दिखता है जिससे कोई व्यापारी निकल ही नहीं सकता। बजाज के मामले में चेक से ब्याज की रकम चोपड़ा की पुत्रवधू रीता के खाते में अंतरित की गई है फिर भी मूलधन बढ़ता रहा। बजाज के परिवार को भी जगदलपुर छोड़कर रायपुर में शरण लेनी पड़ी है। चोपड़ा की सूदखोरी का यह अकेला मामला नहीं है। पूछताछ में पता चला है कि दर्जनों व्यापारी उसके चुंगल में फंसकर बर्बाद हो चुके हैं। अब एक व्यापारी ने हिम्मत दिखाते हुए रिजर्व बैंक को शिकायत भेजी है। मामले की जांच हुई तो सूदखोरी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश होगा।

 

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