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मॉस्को
बीते करीब तीन सालों से रूस के हमले झेल रहे यूक्रेन ने मॉस्को के भीतर घुसकर व्लादिमीर पुतिन के करीबी अफसर लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरिलोव को मार गिराया है। वह रूसी सेना के परमाणु, जैविक और केमिकल हथियारों के बेड़े की कमान संभाल रहे थे। उन्हें व्लादिमीर पुतिन का भरोसेमंद माना जाता रहा है। वह उस वक्त मारे गए, जब अपने अपार्टमेंट से निकलकर स्कूटर से ऑफिस जा रहे थे। इसी दौरान उनके स्कूटर में रखे बम में धमाका हुआ और वह मौके पर ही मारे गए। किरिलोव के एक सहायक की भी मौत हो गई है। रूसी रिपोर्ट्स के अनुसार यह बम धमाका रिमोट के जरिए किया गया था। यूक्रेन ने इस हमले की खुलकर जिम्मेदारी ली है।

इससे पहले 9 दिसंबर को रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी शहर डोनेत्स्क में एक कार बम धमाके में सेरगेई येवसुकोव की मौत हो गई थी। वह उस कुख्यात जेल ओलेनिवका के हेड रहे थे, जहां बड़ी संख्या में यूक्रेन के युद्ध बंदियों को रखा गया है। इस जेल में मिसाइल अटैक करके बड़ी संख्या में लोगों को मार दिया गया था। रूसी अथॉरिटीज का कहना था कि इस कार ब्लास्ट में एक संदिग्ध को अरेस्ट किया गया है, लेकिन अब तक कुछ ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है। इस बीच यूक्रेन की ओर से रूस के एक अन्य टॉप सैन्य अधिकारी को मार गिराने से हलचल मच गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या यूक्रेन की एजेंसियां भी इजरायल की तरह पावरफुल हो गई हैं और वे चुन-चुनकर बदला ले रही हैं।

अब उसने किरिलोव को मारा है। किरिलोव पर ब्रिटेन, कनाडा समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगा रखे थे। उन्हें यूक्रेन पर हमले के लिए जिम्मेदार प्रमुख अफसरों में से एक माना जाता था। यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस एसबीयू ने उनके खिलाफ आरोप लगाया था कि वह ही केमिकल हथियारों से अटैक की योजना बना रहे हैं। अब यूक्रेनी एजेंसी का कहना है कि हमने रूसी अधिकारी का कत्ल किया है। यूक्रेन का कहना है कि किरिलोव एक युद्ध अपराधी थे और उन्हें मारा जाना पूरी तरह से वाजिब कदम है। यही नहीं यूक्रेन की एजेंसी ने कहा कि कुल 4800 बार केमिकल हथियारों का इस्तेमाल जंग में रूस की ओर से बीते ढाई सालों में किया जा चुका है।

रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला किया था। तब से दोनों देशों के बीच रुक-रुककर जंग जारी है। इसी जंग के बीच मई में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया था कि उसने पता लगा लिया है कि रूस ने क्लोरोपिकरिन गैस का इस्तेमाल यूक्रेन के सैनिकों के खिलाफ किया है। इस गैस का इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी किया गया था। हालांकि रूस ऐसे किसी भी हथियार के इस्तेमाल से इनकार करता रहा है। बता दें कि किरिलोव को व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों की जिम्मेदारी 2017 में सौंपी थी। वह पुतिन सरकार के हाई-प्रोफाइल सैन्य अधिकारियों में से एक रहे हैं।

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