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नई दिल्ली
 भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पिछले कुछ वर्षों से सोना खरीदने में लगा हुआ है। पिछले 5 वर्षों में रिजर्व बैंक ने सोने का अकूत खजाना इकट्ठा कर लिया है। 5 साल में सोना खरीदने में भारत ने अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। इतने समय में सिर्फ चीन ही भारत से ज्यादा सोना खरीद पाया है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने यह जानकारी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के हवाले से दी है।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक रिजर्व बैंक ने साल 2020 से साल 2024 तक पांच वर्षों में 244 टन सोना खरीदा है। इस दौरान चीन ने 336 टन सोना खरीदा। भारत ने सोना खरीदना अभी भी बंद नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर कई देश सोना खरीदने की रफ्तार कम कर चुके हैं।

यहां चीन को भी छोड़ा पीछे

साल 2024 की आखिरी तिमाही में भारत ने सोना खरीदने में चीन को भी पीछे दिया है। भारत ने इस तिमाही में 22.54 टन सोना खरीदा। वहीं चीन ने 15.24 टन सोना खरीदा। सिंगापुर ने अपने सोने के भंडार में 7.65 टन की कमी की। इस तिमाही में सबसे ज्यादा सोना (28.53 टन) पोलैंड ने खरीदा।

इस साल भी रिजर्व बैंक की बड़ी खरीदारी

साल 2025 में भी रिजर्व बैंक धड़ाधड़ सोना खरीद रहा है। इस साल जनवरी में रिजर्व बैंक ने 2.83 टन सोना खरीदा। इस खरीद के साथ रिजर्व बैंक को गोल्ड रिजर्व बढ़कर करीब 879 टन हो गया है। इसमें फरवरी के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

सोने में आखिर रुचि क्यों?

सोने को हमेशा से संकट मोचक माना जाता है। दूसरे देशों के साथ कारोबार के लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं काफी देश सोने में भी लेन-देन करते हैं। विदेशी मुद्रा का भंडार कम न रहे, इसलिए भारत समेत ज्यादातर देश सोने का इस्तेमाल करते हैं।

जानकारों के सोना खरीदने के कई कारण बताए हैं। इस समय सबसे बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां हैं। इससे ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका के कारण सोने की मांग बढ़ गई है। आर्थिक और भूराजनीतिक उथल-पुथल के दौरान सोने को एक सेफ इंवेस्टमेंट के रूप में देखा जाता है। रिजर्व बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में रीवैल्यूएशन रिस्क और करेंसी की अस्थिरता को कम करने के लिए भी सोना खरीद रहा है।

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