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भोपाल

मध्य प्रदेश पुलिस में लगभग ढाई वर्ष बाद ऐसी स्थिति बनेगी कि एक एडीजी के पास दो शाखाओं का प्रभार रहेगा। कुछ एडीजी को तो अगले वर्ष से ही दो शाखाओं का प्रभार देना पड़ेगा। एक जनवरी 2025 को 25, उसके एक वर्ष बाद 20 और जनवरी 2027 में 15 एडीजी ही रह जाएंगे।

कारण, जितने एडीजी सेवानिवृत हो रहे हैं उनके पद भरने के लिए आईजी ही नहीं रहेंगे। इसकी वजह है आईपीएस अधिकारियों का छोटा बैच। आगे चलकर ऐसी स्थित बनेगी कि स्पेशल डीजी के पद भरने के लिए एडीजी नहीं मिलेंगे।

पदोन्नति के अवसर ज्यादा
किसी वर्ष बड़ा तो किसी वर्ष एक से तीन आईपीएस अधिकारियों का बैच होने के कारण यह असंतुलन हो रहा है। जिन राज्यों में हर वर्ष चार से पांच अधिकारी मिले वहां अधिकारियों को पदोन्नति के अवसर ज्यादा मिल रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 1998 के बैच में तीन, 1999 में तीन, 2000 में एक, 2001 में एक, 2002 में दो आईपीएस अधिकारियों का बैच है।

एडीजी बनने के लिए 25 वर्ष की सेवा अनिवार्य है, इस कारण इस पद पर उन्हीं आईजी को पदोन्नत किया जा सकेगा जो यह शर्त पूरी कर रहे हों। पदोन्नति में देरी से अधिकारियों की नाराजगी इस बात की है कि बड़ा बैच लेने वाले उस समय के डीजीपी ने यह नहीं सोचा कि इससे पदोन्नति में नुकसान होगा।

इसके पहले के सभी बैच पांच अधिकारियों से अधिक के हैं। 1992 बैच में नौ अधिकारी हैं। बड़ा बैच होने के कारण कुछ एडीजी स्पेशल डीजी भी नहीं बन पाएंगे। इसी बैच के जी जनार्दन एडीजी पद से ही पिछले वर्ष दिसंबर में सेवानिवृत हो गए हैं। एडीजी (अजाक) राजेश गुप्ता भी एडीजी पद से सितंबर 2024 में रिटायर हो जाएंगे, जबकि दूसरे कुछ राज्यों में इस बैच के अधिकारी बीते तीन वर्ष डीजीपी हैं।

 

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