नई दिल्ली
अगर आपकी एटीएम से बार-बार पैसे निकालने की आदत है तो इसे तुरंत बदल दें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो एक मई से आपको बड़ा नुकसान होने लगेगा। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम से पैसे निकालने के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। ये नए नियम पूरे देश में 1 मई 2025 से लागू होंगे। रिजर्व बैंक का कहना है कि इन बदलावों का मकसद एटीएम इस्तेमाल करने पर लगने वाले चार्ज को लेकर पारदर्शिता लाना है। इससे बैंकों को भी एटीएम नेटवर्क चलाने में आसानी होगी।
दरअसल, हर बैंक अपने हर ग्राहक को एटीएम से पैसे निकालने की एक लिमिट तक फ्री सुविधा देता है। इसमें अपने बैंक के एटीएम और दूसरे बैंकों के एटीएम दोनों शामिल हैं। फ्री लिमिट के बाद बैंक चार्ज लेना शुरू करता है। एक मई से इस चार्ज में बढ़ोतरी हो रही है। फ्री लिमिट के बाद एटीएम ट्रांजैक्शन पर हर बार 1 मई के बाद प्रति ट्रांजैक्शन अधिकतम 23 रुपये का शुल्क देना होगा। इस पर टैक्स अलग से लगेगा। अभी तक यह शुल्क 21 रुपये तक था।
फ्री ट्रांजेक्शन लिमिट क्या होगी?
आरबीआई ने साफ कर दिया है कि अब भी मेट्रो शहरों में हर महीने 3 फ्री ट्रांजेक्शन मिलेंगे और नॉन-मेट्रो शहरों में 5 फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा रहेगी। यह लिमिट फाइनेंशियल जैसे कैश निकालने और नॉन-फाइनेंशियल जैसे बैलेंस चेक, मिनी स्टेटमेंट, पिन चेंज आदि दोनों ट्रांजेक्शन पर लागू होगी।
फ्री लिमिट के बाद कितना चार्ज लगेगा?
अगर आप फ्री लिमिट से ज्यादा ट्रांजेक्शन करते हैं तो अब हर अतिरिक्त ट्रांजेक्शन पर 23 रुपये (प्लस टैक्स) देने होंगे। ये नियम सभी एटीएम पर लागू होगा।
बैंक क्या कह रहे हैं?
HDFC Bank ने बताया है कि 1 मई से अपने एटीएम से कैश निकालने पर फ्री लिमिट से ज्यादा ट्रांजेक्शन पर 23 रुपये + टैक्स लगेगा। वहीं बैलेंस चेक, मिनी स्टेटमेंट और पिन चेंज जैसे नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन फ्री रहेंगे।
PNB ने कहा है कि अन्य बैंकों के एटीएम पर फ्री लिमिट के बाद फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर 23 रुपये और नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर 11 रुपये (जीएसटी अलग) का चार्ज लगेगा। ये बदलाव 9 मई 2025 से लागू होगा।
IndusInd Bank ने भी जानकारी दी है कि उनके सेविंग्स, सैलरी, एनआर और करंट अकाउंट होल्डर्स को 1 मई 2025 से फ्री लिमिट के बाद गैर-IndusInd एटीएम से निकासी पर 23 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन देना होगा।
ग्राहकों के लिए सलाह
ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे अपने एटीएम ट्रांजेक्शन पर नजर रखें, खासकर जब दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल कर रहे हों। ज्यादा शुल्क से बचने के लिए कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा अपने बैंक के एटीएम का ही इस्तेमाल करें या डिजिटल पेमेंट का सहारा लें।
कितनी बार है फ्री सुविधा
मेट्रो शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई आदि में ग्राहक महीने में तीन बार मुफ्त में एटीएम इस्तेमाल कर सकते हैं।
नॉन-मेट्रो शहरों में यह लिमिट पांच बार है। गैर-मेट्रो शहर वे होते हैं जो मेट्रो शहरों जितने बड़े नहीं होते।
यह लिमिट पैसे निकालने और दूसरी तरह के ट्रांजैक्शन, दोनों के लिए है। इसका मतलब है कि आप महीने में तीन या पांच बार ही मुफ्त में पैसे निकाल सकते हैं या बैलेंस चेक कर सकते हैं।
कुछ बैंक के अलग हैं नियम
कुछ बैंकों ने अधिकतम ट्रांजैक्शन में छूट दी है। इसमें एचडीएफसी बैंक भी शामिल है। एचडीएफसी बैंक के ग्राहकों पर एचडीएफसी के एटीएम से पैसे निकालने पर ही चार्ज लगेगा। बैलेंस चेक करना, मिनी स्टेटमेंट निकालना और पिन बदलना मुफ्त होगा। अगर आप किसी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं तो पैसे निकालने के साथ-साथ बैलेंस चेक करने, मिनी स्टेटमेंट निकालने और पिन बदलने पर भी चार्ज लगेगा।
होम नेटवर्क के बाहर का ATM पड़ेगा महंगा
हर महीने की पहली तारीख को देश में कई नियमों में बदलाव होता है और अगले महीने की पहली तारीख यानी 1 मई से भी कई बदलाव (Rule Change From 1st May) लागू होने जा रहे हैं. इसमें एटीएम से पैसे निकालने पर लगे वाले चार्ज से जुड़ा नियम भी शामिल हैं. जी हां, होम बैंक नेटवर्क के बाहर अगर किसी एटीएम मशीन से कोई भी ट्रांजैक्शन किया जाता है, या फिर बैलेंस चेक किया जाता है, तो यूजर को अब पहले से ज्यादा चार्ज देना पड़ेगा. अभी भी ऐसे एटीएम का उपयोग करने वाले चार्ज अप्लाई है और 1 मई से ये और भी बढ़ने वाला है.
अब इतना बढ़ने वाला है खर्च
केंद्रीय बैंक (RBI) ने बीते दिनों भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के प्रस्ताव के आधार पर फीस बढ़ाने की अनुमति दी थी. रिपोर्ट की मानें तो अब तक अगर ग्राहक अपने होम बैंक के ATM के बजाय किसी दूसरे नेटवर्क के बैंक एटीएम से पैसे निकालते थे, तो उन्हें हर ट्रांजैक्शन पर 17 रुपये चार्ज देना होता था, जो 1 मई से बढ़कर 19 रुपये हो जाएगा. इसके अलावा अगर किसी दूसरे बैंक के ATM से बैलेंस चेक करते थे, तो इस पर 6 रुपये का शुल्क लगता था, जिसे अब बढ़ाकर 7 रुपये कर दिया जाएगा.
व्हाइट लेवल ATM ऑपरेटर्स की थी मांग
ATM Transaction Fee Hike की मांग लगातार व्हाइट-लेबल एटीएम ऑपरेटर्स के द्वारा की जा रही थी. उनका तर्क था कि बढ़ती परिचालन लागतों को देखते हुए पुरानी फीस कम है. NPCI के प्रस्ताव को आरबीआी की मंजूरी के बाद अब छोटे बैंकों पर दबाव ज्यादा बढ़ने की आशंका है. दरअसल, वे अपने सीमित इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण दूसरे बैंकों के एटीएम नेटवर्क पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं. ये जान लेना जरूरी है कि बढ़ी हुई इंटरचेंज फीस, वह राशि होती है जो एक बैंक दूसरे बैंक को तब देता है, जब उसका कोई ग्राहक दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल पैसों की निकासी के लिए करता है.
गौरतलब है कि 'व्हाइट लेबल एटीएम' सरकारी और प्राइवेट बैंकों के एटीएम की तरह काम करते हैं. इसे बैंक की बजाय निजी या गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) लगाती हैं. इनसे आप डेबिट (Debit Card) और क्रेडिट कार्ट (Credit Card) के जरिए कैश विद्ड्ऱॉल, बैलेंस चेक या उन सभी सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं, जो अन्य एटीएम में मिलती हैं.
क्या है बैंकों की फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट
यहां पर बता दें कि ये चार्ज तब लागू होते हैं, बैंक यूजर अपनी फ्री मंथली ट्रांजैक्शन लिमिट के बाद पैसे निकालते हैं. मेट्रो शहरों में होम बैंक के अलावा दूसरे बैंक के एटीएम से फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट पांच तय की गई है, जबकि नॉन मेट्रो सिटीज में इस फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट तीन है.

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