BJP government’s new prodigy,,, perception certificate.
- मप्र की भाजपा सरकार और केंद्र सरकार जनता को बरगलाने तथा झुठे कौतुक बताने में माहिर हैं।
- इसका ज्वलंत उदाहरण गांवों में स्वामित्व योजना अंतर्गत भु अधिकार पुस्तिका का वितरण।
भोपाल। आज 261 गांवो में 61900 से अधिक भु अधिकार पुस्तिका बांटी गई है। सवाल उठता है क्या मुख्यमंत्री यह बताएंगे कि यह रहवासी क्षेत्रों ने सरकारी जमीनों पर मकान बनाया,,, क्या मप्र में या देश में भुराजस्व संहिता नहीं है, क्या संपत्तियों का पंजीयन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के लागू होने से पहले से चल रहा।
स्टाम्प एक्ट 1899 से चलन में है।
गांव आजादी के पहले से बसे हुए हैं।
पिंडियों से लोग रह रहे। परिवार की पिंडियों से रेवेन्यू रिकार्ड, पंचायत अधिनियम अंतर्गत गांव की पंचायत में, जिला प्रशासन के रिकार्ड में नाम दर्ज है।
डॉ मोहन यादव को पता ना हो कि मप्र में पंचायत सर्टिफिकेट, सम्पतिकर रसीद या अन्य दस्तावेज से नाम मात्र के शुल्क पर सहस्वामित्व दस्तावेज पंजीयन करवाने का विधान 2003 से कांग्रेस सरकार ने बनाया दिग्विजय सिंह सरकार ने महिलाओं खातिर बडी सौगात दी,, पत्नी, बेटी,बहु के नाम 1फीसदी स्टाम्प शुल्क तथा रसीद पर सम्पत्ति के दस्तावेज सहस्वामित्व दस्तावेज रुप में व्यवस्था की,,,यह जरूर हुआ भाजपा सरकार ने इस योजना को खत्म नहीं किया परंतु स्टाम्प ड्यूटी पिछले दरवाजे से नगरनिगम पंचायत की बसूली।
फिर सरकार ने बिजली बिल आधार पर भी दस्तावेज पंजीयन करने का कायदा कानून बनाया।
कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने महिलाओं, बेटी, पत्नी को संपत्ति में भागीदारी सुनिश्चित करने खातिर सहस्वामित्व दस्तावेज पर स्टाम्प ड्यूटी 1000 तथा पंजीयन शुल्क 100 कर दिया तथा यह भी स्पष्ट किया कि नगरनिगम पंचायत आदि ड्यूटी भी नहीं लगेगी फलस्वरूप हजारों दस्तावेज पंजीयन होने लगे।
इंदौर में भी हुवे,,, नामांतरण भी तहसीलदार तथा नगरनिगम कार्यालय में पंचायत, स्थानीय निकायों में होने लगे।
कांग्रेस सरकार के तात्कालीन वाणिज्य एवं वित मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौड़ ने 23 जनवरी 2020 को सैकड़ों महिलाओं को सहस्वामित्व दस्तावेज नीजि आयोजन में कलेक्टर कार्यालय पास आयोजित कार्यक्रम में किया।
भाजपा सरकार ने पुनः सत्ता में आने के बाद इस योजना पर अंडगे लगाऐं,अधिकांश स्थानीय निकाय पर भाजपा काबिज है तो उसने अघोषित रूप से नामांतरण रोका, इंदौर में भी हजारों महिलाएं परेशान हैं नगरनिगम नामांतरण नहीं करता।
व्दिवेदी ने सवाल उठाया अगर संपत्ति स्वामी नहीं थे इन 261 गांवो के 62000 नागरिकों पास तो फिर मतदाता सूची में किस आधार पर नाम शामिल किए गए,, मतदाता बनने खातिर स्वामित्व या रहवासी होने का सर्टिफिकेट चाहिए तो क्या था इनके पास,,, सरकारी सुख सुविधा राशन आदि कैसे मिलता रहा।
अवैध रूप से ये रहने वाले नहीं थे,,, फिर इस योजना की पात्रता के लिए सरकार बताए क्या आधार रखा गया।
मप्र कांग्रेस कमेटी ने सवाल उठाया कि कानूनी सवाल है, सवाल चलन वाली योजनाओं का फायदा इन्होंने कैसे पाया।
सवाल मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से है कि सहस्वामित्व दस्तावेज अगर गलत है तो बैंकों ने ऋण कैसे देती है।
कांग्रेस ने डॉ मोहन यादव से भी सवाल किया, तो केंद्र सरकार से भी,कि बताएं कि फिर ये मतदाता कैसे बने आधार क्या
लेखक
प्रमोद कुमार व्दिवेदी एड्वोकेट प्रवक्ता मप्र कांग्रेस कमेटी मप्र
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