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बलूचिस्तान

पाकिस्तान ने जिस आतंकवाद नाम के ‘सांप’ को पाला वह अब उसे ही डस रहा है। आतंकवादियों को पालना अब पूरे पाकिस्तान को पड़ रहा है। दसअसल, पाकिस्तान में एक बार फिर सेना पर बड़ा हमला हुआ है। बलूचिस्तान में सेना के काफिले पर हुए अटैक में पाक सैनिकों की लाशें बिछ गईं। कराची-क्वेटा हाईवे पर खुजदार के जोरो पॉइंट के पास हुए एक बम धमाके में कम से कम 32 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।

खड़ी कार में हुआ विस्फोट
कराची-क्वेटा राजमार्ग पर पास विस्फोटक एक खड़ी कार में प्लांट किया गया था। जब सेना की आठ गाड़ियों का काफिला इस कार के पास से गुजरा, तभी विस्फोटक (व्हीकल बॉर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) फट गया। बताया जा रहा है कि तीन गाड़ियां सीधे इसकी चपेट में आईं, जिसमें एक बस भी शामिल थी। उस में पाकिस्तानी सेना के जवान और उनके परिवार के लोग सवार थे।

अबतक किसी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी
अब तक किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन बलूचिस्तान में सक्रिय अलगाववादी गुटों पर शक गहराता जा रहा है। यह इलाका पहले भी सेना और सुरक्षाबलों के काफिलों पर हमलों का गवाह रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला पाकिस्तानी सेना की कमजोर सुरक्षा रणनीति और बलूच विद्रोहियों की बढ़ती ताकत का संकेत है।

हमले के बाद पूरे इलाके में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। यह घटना पाकिस्तान की आतंरिक सुरक्षा चुनौतियों को एक बार फिर उजागर करती है, खासकर बलूचिस्तान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, जहां दशकों से अस्थिरता बनी हुई है।

घटना को छुपाने की कोशिश
गौरतलब है कि, पाक सेना के अधिकारी अपनी इस सुरक्षा चूक को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। आंतरिक स्रोतों के मुताबिक अधिकारी कथित तौर पर कहानी को बदलने के प्रयास में इस घटना को एक स्कूल बस पर हमले के रूप में दिखा रहे हैं।

बता दें कि, पाकिस्तान का दूर-दराज इलाकों से आतंकी घटनाओं की खबरें पहले आना आम बात थी, लेकिन अब ऐसे हमले पाकिस्तान के बड़े शहरों में भी होने लगे हैं। जिसके बाद वहां की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए हैं।

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