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उज्जैन

सिंहस्थ-2028 के दौरान उज्जैन में 10 किमी से लेकर 50 किमी एरिया तक में मुख्य मार्गों पर पार्किंग सह ट्रांजिट क्षेत्र बनाए जाएंगे। 10 सितंबर को हुई बैठक में उज्जैन कलेक्टर ने मुख्यमंत्री और सिंहस्थ की मंत्रिमंडलीय कमेटी के सामने प्रजेंटेशन दिया था।

4 दिन बाद इस प्रजेंटेशन का विवरण जारी हुआ। जिसके मुताबिक उज्जैन जिला प्रशासन के प्रजेंटेशन पर सैद्धांतिक सहमति दे दी गई है।

विभागों से कहा- समय सीमा में कराएं काम

नोडल एजेंसी बनाए गए नगरीय विकास विभाग ने सभी संबंधित विभागों से कहा है कि समय-सीमा में काम पूरा कराएं। बड़े वाहन शहर के बाहर रोके जाएंगे और वहां सुविधायुक्त ट्रांजिट स्थल बनाए जाएंगे। इन ट्रांजिट स्थलों से शहर के अंदर तक (मंदिर के घाटों तक आने के लिए) नि:शुल्क परिवहन (इलेक्ट्रिक बसें) की व्यवस्था की जानी चाहिए।

छोटे और निजी वाहनों को शहर के भीतर न्यूनतम दूरी तक आने की अनुमति देने और शहरी सीमा में तय पार्किंग स्थलों को चिह्नित किए जाएं और उनके उपयोग की कार्ययोजना बनाएं। इंदौर और उज्जैन संभाग के सभी बस अड्‌डों को चिह्नित कर उनकी क्षमता विस्तार, सुविधा, मजबूतीकरण और नवीनीकरण का काम पुनर्घनत्वीकरण योजना या पीपीपी मोड पर किया जाएगा।

सिंहस्थ में होने वाले कामों को लेकर केंद्रीय योजनाओं और केंद्र सहायता वाली योजनाओं व निजी जनभागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से काम कराने पर फोकस किया जाएगा। सिंहस्थ के कामों के प्रस्ताव संबंधित विभाग, जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों के माध्यम से नोडल विभाग नगरीय विकास और आवास विभाग को भेजे जाएंगे।

नगरीय विकास विभाग करेगा इन प्रस्तावों का परीक्षण

जो काम किए जाने हैं, उसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी है जो विचार कर काम को कार्ययोजना में शामिल किए जाने का फैसला करेगी। इसके साथ ही इस कमेटी द्वारा विभागीय कार्य, सिंहस्थ मद के काम और पीपीपी मोड के काम के लिए वित्तीय व्यवस्था की भी अनुशंसा की जाएगी। इस मामले में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडलीय समिति लेगी।

100 करोड़ से अधिक के काम के लिए कैबिनेट मंजूरी

    मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा कामों को मंजूरी दिए जाने के बाद विभागीय मद से काम होगा। मुख्य सचिव इसकी समीक्षा करेंगे।
    सिंहस्थ मद से होने वाले कामों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति लेना होगी। 20 करोड़ रुपए तक के काम स्टेट फाइनेंस कमेटी और 100 करोड़ तक के काम ईएफसी और इससे अधिक राशि के काम कैबिनेट की मंजूरी के बाद होंगे।
    3 साल से अधिक समय लगने वाले कामों को चिह्नित कर लिया गया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने इसका परीक्षण भी कर लिया है।

यह काम करेगा PWD

    लोक निर्माण विभाग (PWD) खाकचौक वीर सावरकर चौराहा से गढ़कालिका से भर्तहरी गुफा होकर रंजीत हनुमान तक सड़क और पुल बनाएगा। मंगलनाथ और दत्त अखाड़ा क्षेत्र को जोड़ने के लिए केडी गेट से वीरा दुर्गादास छत्री होकर गोन्सा चौराहा तक नदी पर पुल समेत अन्य वैकल्पिक निर्माण कराए जाएंगे।

    सिद्धवट कूट से कैलाश खो तक सस्पेंशन ब्रिज बनाया जाएगा। पर्यटन विभाग भी एक पैदल पुल बनाएगा। इसकी आवश्यकता का परीक्षण करने के लिए कहा है।

    इंदौर-उज्जैन मार्ग से होकर बड़नगर और जावरा मार्ग को जोड़ते हुए सिंहस्थ बायपास पर लंबाई 19 किमी तक फोरलेन बनाने का काम किया जाएगा।

    इंदौर-खंडवा नेशनल हाइवे पर बड़वाह और सनावद में एनएचएआई बायपास बनाएगा। इसके लिए परीक्षण करने का फैसला किया गया है।

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