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भोपाल
 सितंबर 2018 में प्रारंभ आयुष्मान भारत योजना के छह साल पूरे हो गए हैं। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने 29 अक्टूबर को 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष का अतिरिक्त बीमा कवर देना शुरू किया है। योजना के पिछले छह वर्ष के आंकड़े देखें तो कैंसर रोगियों के लिए यह योजना बड़ा संबल बनी है।

देशभर में अभी तक सात करोड़ से अधिक लोगों का उपचार इस योजना के अंतर्गत हुआ है, इनमें 25 लाख कैंसर के हैं। स्पेशियलिटी के हिसाब से उपचार कराने वाला का यह चौथा बड़ा आंकड़ा है।

रेडिएशन ऑन्कोलॉजी यानी सिकाई कराने वाले रोगियों को मिला लें तो यह संख्या और अधिक होगी। गुजरात में तो आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले में ही सर्वाधिक कैंसर रोगी हैं। मप्र में एक लाख 62 हजार रोगियों ने कैंसर का उपचार कराया है।

'पीएमजय' डैशबोर्ड से मिली जानकारी

    मप्र में जनरल मेडिसिन के बाद योजना का लाभ लेने वालों की सर्वाधिक संख्या कैंसर रोगियों की है। उप्र में 88 हजार कैंसर रोगियों ने योजना से उपचार कराया है।

    यहां योजना का लाभ लेने वाले रोगियों की सर्वाधिक संख्या के मामले में कैंसर चौथे नंबर पर है। यह जानकारी 'पीएमजय' डैशबोर्ड के अनुसार है।

    सामान्य तौर पर निजी और सरकारी अस्पतालों में मेडिसिन के बाद आर्थोपेडिक्स, स्त्री एवं प्रसूति रोग, शिशु रोग आदि के रोगी अधिक रहते हैं।

    जब आयुष्मान योजना से उपचार लेने वालों की संख्या बात आती है तो मेडिकल आंकोलाजी किसी राज्य में पहले तो कहीं दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर पर है।

    देश में सबसे ऊपर क्रमश: मेडिसिन, संक्रामक रोग और सर्जरी है। अब प्रोसीजर के आंकड़े देखें तो रोगियों ने सबसे अधिक लाभ हीमोडायलिसिस का लिया है।

    देश भर में 64 रोगियों ने अभी तक आयुष्मान योजना से डायलिसिस कराई है, जिसमें मध्य प्रदेश के पांच लाख 43 हजार हैं।

    दूसरे नंबर पर मल्टीपल पैकेज यानी जिसमें कई तरह प्रोसीजर शामिल हैं, तीसरे क्रम में 57 हजार मामलों के साथ सीजर डिलीवरी है।

मप्र में किस बीमारी के कितने रोगियों ने उपचार कराया

    मेडिसिन 10 लाख
    मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर, जिसमें सर्जरी शामिल नहीं ) 1.62
    आर्थोपेडिक 1. 62
    स्त्री एवं प्रसूति रोग 1.33
    हड्डी रोग 1.04

एक्सपर्ट ने बताया कारण

प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के जीएम ऑपरेशन रहे सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. ओपी तिवारी का कहना है कि कैंसर का उपचार एक तो महंगा है। दूसरा यह कि इसका उपचार दो से तीन वर्ष और कुछ का तो इससे भी अधिक समय तक चलता है। यही कारण है कि अधिकतर रोगी आयुष्मान भारत योजना से ही उपचार कराते हैं।

वह कहते हैं कि यह बात भी सही है सरकारी अस्पतालों की तुलना में योजना के अंतर्गत अनुबंधित निजी अस्पतालों और निजी मेडिकल कॉलेजों में इसके उपचार की अच्छी सुविधाएं हैं। प्रोसीजर के मामले में रेडिएशन ओंकोलॉजी और कीमोथेरेपी का लाभ लेने वाले रोगियों की संख्या भी अन्य प्रोसीजर की तुलना अधिक है।

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