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बेहद जरूरी है अच्छी कम्युनिकेशन स्किल

सकारात्मक वार्तालाप के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल बेहद जरूरी है। आपकी यह क्षमता सामने वाले पर खासा असर छोड़ती है। सकारात्मक संप्रेषण वही होता है, जिसके जवाब में पॉजिटिव जवाब और प्रतिक्रियाएं आएं। सकारात्मक व्यवहार खराब भावनाओं को अच्छी भावनाओं में बदलने और आपको अपने लिए एक पॉजिटिव इमेज बनाने में मदद करता है, इसलिए उम्मीद का दामन थामें रहें। कुछ जरूरी टिप्स जानिए यहां, जो दूसरों से व्यवहार के दौरान आपके काम आएंगे… विकल्प न हों कम किन्हीं कारणों से कुछ कामों को कर पाना मुमकिन नहीं होता, उन कारणों की तलाश करें और विकल्प व निवारण सुझाएं। सीधे तौर पर मना कर देना आसान है, परंतु उससे कोई हल नहीं निकलता। विकल्प और निवारण सुझाने पर आपकी छवि ऐसे व्यक्ति की बनती है, जो अतिरिक्त प्रयास कर सकता है। विनम्रता जब किसी को कोई काम करने के लिए कहें या मना करें तो विनम्रता से कहें। ऐसे मामले में शब्द चयन बहुत ध्यान से करना होता है। तू जैसे शब्द तो बिल्कुल इस्तेमाल नहीं करने चाहिए। कोई भी जोर-जबरदस्ती पसंद नहीं करता, इसलिए आवाज ज्यादा ऊंची न रखते हुए अपनी बात कहें। यह न केवल सकारात्मक रहेगा, बल्कि प्रेरणादायक भी होगा। नकारात्मक शब्दों को न देखा जाए तो यह कहना जितना आसान है, उसे अपनाना उतना ही मुश्किल, लेकिन अभ्यास से इस पर सफलता पाई जा सकती है। नहीं, बिल्कुल नहीं, कभी नहीं जैसे शब्दों को अपने वार्तालाप का हिस्सा न बनाएं। अपने कहे वाक्यों को कुछ ऐसा रूप दें कि नकारात्मक शब्द कहे बिना उनका अर्थ वाक्य में स्पष्ट हो जाए। उदाहरण के लिए, यदि आप यह वस्तु उपलब्ध नहीं कराएंगे तो काम होना नामुमकिन है, के स्थान पर कहें, यदि आप यह वस्तु मंगा देते हैं तो काम रिकॉर्ड समय में पूरा हो जाएगा। सकारात्मक पहलू कुछ परिस्थितियों में नकारात्मक पक्ष हावी रहता है, लेकिन उनमें कुछ सकारात्मक पक्ष भी होते हैं। उन बिंदुओं को तलाशें। सकारात्मक व्यवहार और दृष्टिकोण जरूरी है। उदाहरण के लिए, यदि कोई आपके पास नौकरी मांगने आता है और आपके पास उससे मिलने का समय नहीं है तो मिलने से मना करने की बजाय उससे विनम्रता से अपनी मजबूरी बता दें और भविष्य में शीघ्र ही मिलने का वादा करें। मददगार बनें एक मददगार व्यक्तित्व से अधिक सकारात्मक और कोई नहीं होता। हालात कितने भी नकारात्मक हों, अपने साथियों को कहें कि अच्छे निष्कर्ष के लिए आप जो संभव होगा, करेंगे। ऐसा करना न केवल सहकर्मियों में स्फूर्ति लाएगा, बल्कि वे आपके व्यक्तित्व के इस पक्ष को भी हमेशा ध्यान रखेंगे। हम सब जानते हैं कि करियर में सफलता के लिए सकारात्मक छवि कितनी जरूरी होती है, इसलिए सकारात्मक पक्षों को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाएं। फिर आपकी खुद हैरानी होगी कि सकारात्मकता किस तरह आपको तरक्की के मार्ग पर ले जाती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 37

सरकारी नौकरी का संकेत देती है आपकी हथेली की ये रेखा, शानों-शौकत से कटता है जीवन

हमारी हथेली पर मौजूद हर आड़ी तिरछी रेखा हमारे जीवन और भविष्य के बारे में कोई न कोई जानकारी देती हैं। इन रेखाओं के आधार पर हस्तरेखा विज्ञान की मदद से हम अपने जीवन के बारे में जान सकते हैं। हस्तरेखा शास्त्र में इन रेखाओं के बारे में गहराई से बताया गया है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, हथेली पर उभरे हुए भागों को पर्वत कहा जाता है, जो ग्रहों से संबंधित होते हैं और हमारे व्यक्तित्व, भाग्य और जीवन की घटनाओं को भी प्रभावित करते हैं। कई बार कुछ लोगों के हाथ में ऐसे राजयोग बनते हैं, जो उनको जीवन में कई तरह के लाभ पहुंचाते हैं। ऐसे राजयोग की वजह से व्यक्ति राजा जैसा जीवन व्यतीत करता है। इन्हीं में से एक सिंहासन राजयोग भी होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, सिंहासन राजयोग कई प्रकार के होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में सिंहासन राजयोग होता है, उनके लिए सरकारी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। कैसे बनता है हाथ में सिंहासन राजयोग जिस व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव का स्वामी कुंडली में पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में बैठा हो तो सिंहासन राजयोग बनता है। अगर दसवें भाव का स्वामी दूसरे घर या फिर पंचम और नौवें घर में हो तो भी सिंहासन राजयोग बनने की संभावना रहती है।  इस योग को बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन वह राजा की तरह व्यतीत होता है। सिंहासन राजयोग बनने पर व्यक्ति अपनी मेहनत से जिंदगी में नाम कमाता है। माना जाता है कि ऐसे लोग मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटते है। साथ ही ऐसे लोगों को अपनी जिम्मेदारी निभाना भी बखूबी आता है। सिंहासन राजयोग के प्रभाव सिंहासन राजयोग वाले लोग अपना ही नहीं बल्कि अपने परिवार के लोगों का भी नाम उंचा करते हैं। ऐसे लोगों को कभी भी आर्थिक परेशानी नहीं होती है। इन लोगों को ज्यादा परिवर्तन पसंद नहीं है। इसके अलावा इन्हें अच्छा सलाहकार भी माना जाता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 61

क्रोध को वश में करने से जीवन सहज और सरल हो जाता है

आमतौर पर, हम क्रोध या घृणा की ज्यादा परवाह नहीं करते। इसलिए यह सहजता से आ जाते हैं।यदि हम इन भावनाओं के विषय में सजग हो जाएं, तो हमारा क्रोध व घृणा के प्रति इस अनिच्छापूर्ण रुख से ही जीवन सहज और सरल हो जाए। घृणा के विनाशकारी प्रभाव स्पष्ट और तुरंत दिखाई दे जाते हैं। उदाहरण के लिए, जब आपके अंदर घृणा का अत्यंत तीव्र भाव उत्पन्न होता है, तो उसी क्षण, वह आपके ऊपर पूरी तरह से हावी हो जाता है और आपकी मानसिक शांति को भंग कर देता है; आपकी बुद्धि काम करना बंद कर देती है। क्रोध और घृणा के तीव्र भाव आपके दिमाग के सबसे बेहतरीन हिस्से, यानी सही व गलत तथा आपके कार्यों के अल्पकालिक व दीर्घकालिक प्रभावों में अंतर करने की क्षमता को बिलकुल मिटा देते हैं। निर्णय लेने की योग्यता पूरी तरह निष्क्रिय हो जाती है। आप लगभग पागल जैसे हो जाते हैं। यह क्रोध और घृणा आपको दुविधा की स्थिति में डाल देते हैं, जिससे आपकी समस्याएं और परेशानियां और बढ़ जाती हैं। शारीरिक स्तर पर भी, घृणा से व्यक्ति में बहुत गंदा, अनाकर्षक शारीरिक बदलाव आ जाता है। क्रोध व घृणा के तीव्र भाव जाग्रत होने पर, व्यक्ति कितना भी अच्छा दिखने की कोशिश करे, उसका चेहरा भद्दा और विरूपित दिखाई देता है। घृणा की तुलना शत्रु से की जाती है। यह भीतरी दुश्मन नुकसान पहुंचाने के अलावा कुछ नहीं करता। यह हमारा पक्का दुश्मन, हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। यह हमें तात्कालिक और दूरगामी दोनों तरह से नष्ट करता है। यह सामान्य शत्रु से बहुत अलग है। हालांकि कोई आम शत्रु, जिसे हम अपना शत्रु मानते हैं, हमें हानि पहुंचानेवाले काम करता है, उसके पास कम-से-कम कुछ और भी काम होते हैं; वह व्यक्ति खाता है, सोता है। इसलिए उसके पास अन्य कार्य होते हैं और वह चौबीसों घंटे हमें नुकसान पहुंचाने का काम नहीं कर सकता। परंतु घृणा के पास हमें नष्ट करने के अतिरिक्त कोई और काम, कोई अन्य उद्देश्य नहीं होता। इस बात को समझकर, हमें यह दृढ़ निश्चय करना चाहिए कि हम अपने इस शत्रु को, घृणा को अपने अंदर उत्पन्न होने का अवसर नहीं देंगे। कुछ लोग अतीत में उनके साथ किए गए गलत कार्य के कारण क्रोध एवं घृणा के भाव अपने अंदर पालते हैं और यह भाव उनके अंदर बंद रहते हैं। लेकिन हमें इन्हें अपने अंदर बंद रखने की जगह उन्हें बाहर निकलने देना चाहिए। हालांकि, आमतौर पर क्रोध और घृणा ऐसे भाव हैं, जिन्हें यदि आप यों ही अनियंत्रित रहने दें, तो वे बढ़ते जाते हैं। यदि आप इन भावों को जाग्रत होने पर इन्हें अभिव्यक्त करने की आदत डाल लें तो भी ये कम होने की बजाय बढ़ जाते हैं। आप जितना सावधान रहकर और सक्रिय रूप से इनकी तीव्रता को कम करने की कोशिश करेंगे, उतना ही बेहतर होगा। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम क्रोध को अपने वश में करें, न कि क्रोध के वश में हों। क्रोध को वश में करते ही जीवन सहज और सरल हो जाता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

मुंहासों वाली त्वचा के लिए घर पर बनाएं नीम फेस वॉश

महिलाएं हों या पुरुष, एक्ने, फोड़े-फंसियों और चेहरे पर रह जाने वाले उनके दागों से हर कोई परेशानी रहती है। यूं तो ठीक करने के लिए हम कई तरह के फेस वॉश का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन असर के साथ-साथ ये त्वचा खराब भी हो सकती है। जैसे त्वचा में रूखापन आना, रेडनेस या इर्स्ट्रक्शन होना आदि। हम चाहते हैं कि आपको ऐसी कोई परेशानी न झेलनी पड़े। इसलिए आज हम आपको स्किन मस्क को ठीक करने वाले नीम से बनाने वाले फेस वाश की रेसिपी बताने वाले हैं। जिसे बनाना भी आसान है और ये आपकी त्वचा की सभी समस्याओं को खत्म कर देगा, उसे एक बार फ्री और ग्लोइंग बनाएंगा। आइए जानते हैं इसे बनाने का तरीका। चेहरे के लिए नीम के फायदे नीम में एंटी वैज्ञानिक गुण होते हैं जो हमारे चेहरे पर होने वाले एक और इससे जुड़े वीडियो वाले को प्रतिबंधित करने का काम करता है। साथ ही ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स, खुजली और पोर्स को साफ करने में भी मदद मिलती है। नीम के चमड़े के कंकाल के लिए बहुत ज्यादा स्वादिष्ट हैं कि आप इसे पेस्ट करने वालों के चेहरे पर भी लगा सकते हैं और अपने कंकाल के कंकाल से अकेले पा सकते हैं। फेस वॉश बनाने के लिए क्या करना चाहिए? नीम पाउडर- 3 चम्मच पानी- 2 कप सोप बेस- 2 क्यूब ग्लिसरीन- 1 चम्मच तेल- 5 चम्मच नोट- पहले नीम फेस वॉश कम मात्रा में ही निकालें और निशान लगाएं। अगर ये आपकी खाल को सूट करता है तो अगली बार ज्यादा मात्रा में बना लें। ऐसे तैयार करें फेस वॉश एक पैन लें और इसमें पानी और नीम पाउडर शामिल है, महान से सिलिकॉन के लिए रखें। पानी को तब तक लेबलें जब तक कि वो 2 कप से 1 कप ना रह जाए। अब नीम के इस पानी को अच्छा करके अलग कर लें। अब इस गर्म पानी में सोपबेलेस कैथेड्रल महान से मिक्स कर लें। जब ये कूल हो जाए फेस वॉश को एक बोतल में मांग लें। अब आप जब भी इससे जुड़ें तो उसके बाद किसी महान कलाकार का इस्तेमाल करना ना भूलें। इससे आपके चेहरे पर चमक और मुलायमपन बना रहेगा। टी ट्री ऑयल के स्किन बेनिट्स ट्री ऑयल एक ऐसा तेल है जो दाग-धब्बों को कम करने में मदद करता है साथ ही इसमें मौजूद एंटी-फंगल गुण चेहरे पर होने वाले पस वाले फोड़े-फंसियों को बढ़ाने से शुरू होता है और उन्हें ठीक करता है ।। इसके अलावा चेहरे पर जमी गंदगी को साफ करने के लिए भी ये बहुत बड़ा कमाल है। चेहरे पर ग्लिसरीन लगाने के फायदे कई सौंदर्य उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले ग्लिसरीन हमारे चेहरे पर आई वसा को ठीक करने, एजिंग साइनस को कम करने, पोर्स के आकार को अधिक बढ़ने से रोकते हैं और चेहरे पर चमक लाने के लिए हानिकारक होते हैं। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि इसका उपयोग सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता है, इसलिए आप इसे किसी भी नुस्खे के साथ ही इस्तेमाल कर सकते हैं। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 86

लेक्चररशिप : एक सदाबहार आकर्षक पेशा, जानें योग्यता और भर्ती प्रक्रिया

लेक्चरर बनने के लिए आपके पास मास्टर्स डिग्री के बाद पीएचडी या नेट जैसे विकल्प हैं। यह एक ऐसा करियर है, जो आपको समाज में सम्मान के साथ बेहतर जीवन और वित्तीय लाभ देता है। आप कैसे लेक्चरर बन सकते हैं, बता रहे हैं करियर कंसल्टेंट अशोक सिंह… आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकांश लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि हमारे देश में उच्च शिक्षा का मजबूत और विशाल नेटवर्क है। यही कारण है कि विदेशी छात्र भी भारी संख्या में यहां पर अध्ययन करने आते हैं। हालांकि यह पहचान तो प्राचीन काल से ही बनी हुई है। नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के अत्यंत ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान थे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में देश में कुल 867 विश्वविद्यालय मौजूद हैं। इनमें 47 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 389 राज्य विश्वविद्यालय, 124 समतुल्य या डीम्ड यूनिवर्सिटीज तथा 307 निजी यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय भी हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार इनके अलावा 40 हजार से अधिक कॉलेज भी देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित हैं। इस विशाल शिक्षा तंत्र में लाखों की संख्या में लेक्चरर या असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं, जिनका दायित्व यहां अध्ययनरत छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना है। प्रति वर्ष हजारों की संख्या में इन पदों की रिक्तियां भरी जाती हैं। अहम हैं लेक्चरर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अध्यापन का कार्यभार लेक्चरर समुदाय पर होता है। इसलिए अध्ययन-अध्यापन और शोध कार्यों में गहन दिलचस्पी रखने वाले लोगों को ही बतौर लेक्चरर नियुक्त किया जाता है। सरलतम भाषा में कहें तो छात्रों को विषय की बारीकियां समझाने तथा विषयों के प्रति लगाव विकसित करने की जिम्मेदारी इन्हीं लेक्चरर की होती है। यहां यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि समय के साथ इन पाठ्यक्रमों में नई अवधारणाओं को शामिल किया जाता है। इन नए विषयों को छात्रों को पढ़ाने से पहले लेक्चरर को स्वयं भी तैयारी करने में वक्त लगाना पड़ता है। यही नहीं, नए पाठ्यक्रम तैयार करना, छात्रों को आवश्यक नोट्स देना, ट्यूटोरियल की जांच करना आदि भी अध्यापन के अलावा इनके दैनिक कार्यकलापों का हिस्सा होता है। गुरु मंत्र अपने विषय से संबंधित किताबें पढ़ना और नई जानकारियों को आत्मसात करना, स्वयं को एक कुशल लेक्चरर के तौर पर स्थापित करने के लिए अति आवश्यक है। इस कार्य को एकरस नजरिएसे नहीं देखा जाना चाहिए। अध्यापक का काम छात्रों की समस्याओं को दूर करना और उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करना है। यह तभी होगा, जब लेक्चरर विषय संबंधी ताजा जानकारी से भी अपडेट रहें। छात्रों के साथ दोस्ताना रहते हुए धैर्य और संयम को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आम गलतियां देखने में आता है कि नेट परीक्षा देने वाले पेपर-1 को हल्के में लेते हैं और सारा समय पेपर-2 की तैयारी में लगा बैठते हैं। यह बिल्कुल गलत सोच है। पेपर-1 के 100 अंक तथा पेपर 2 के 200 अंक होते हैं। इनकी एक साथ तैयारी करनी चाहिए। शैक्षिक योग्यता लेक्चररशिप के लिए काफी कड़ी शर्तों की कसौटी से आवेदकों को गुजरना पड़ता है। इसमें मास्टर्स डिग्री का होना, नेट परीक्षा में पास होना आदि सर्वाधिक महत्वपूर्ण शर्तें हैं। नेट परीक्षा वर्ष में दो बार (जून और दिसंबर) में आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में मुख्य तौरपर अभ्यर्थी द्वारा चुने गए विषय तथा टीचिंग व रिसर्च एप्टिट्यूड पर आधारित प्रश्न होते हैं, जिनके माध्यम से प्रत्याशियों की शिक्षण क्षमता एवं उसके द्वारा चुने गएविषय की जानकारी, बुनियादी समझ आदि का मूल्यांकन किया जाता है। नेट परीक्षा केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन कार्यरत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली द्वारा वर्ष में दो बार नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) का आयोजन किया जाता है। अमूमन जून और दिसंबर माह में साल में दो बार इस परीक्षा का संचालन किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए मास्टर्स डिग्री के स्तर पर कम से कम 55 प्रतिशत अंक अवश्य होने चाहिए। परीक्षा का मुख्य उद्देश्य देश की यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अध्यापन और शिक्षा के स्तर को बनाए रखने के लिए न्यूनतम शैक्षिक मानदंडों को सुनिश्चित करते हुए लेक्चरर पदों के लिए उपयुक्त प्रत्याशियों का आकलन करना है। मानविकी विषयों, सोशल साइंसेज, कंप्यूटर साइंस, एनवायर्नमेंटल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक साइंस आदि कईएक विषयों में इस परीक्षा का आयोजन किया जाता है। विज्ञान विषयों के लिए यूजीसी-सीएसआईआर-नेट का आयोजन होता है। जॉब्स देश में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में लेक्चरर की नियुक्तियां बड़े पैमाने पर की जाती हैं। केंद्र सरकार के फर्स्ट क्लास गैजेटेड ऑफिसर पद के समकक्ष ही शुरुआती वेतनमान और अन्य भत्ते होते हैं। देश में हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की स्थापना के बाद युवाओं के लिए नेट परीक्षा पास करने के बाद लेक्चरर के रूप में करियर संवारने के अवसरों की संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिली है। बाद में अनुभव और पदोन्नति के साथ प्रोफेसर के पद तक भी पहुंचा जा सकता है। लेक्चररशिप के आकर्षण सबसे बड़ी बात तो यही है कि दिन भर में तीन-चार क्लासेज ही पढ़ाने की बाध्यता होती है। इसके बाद के समय का उपयोग लिखने-पढ़ने अथवा शोध में लगाया जा सकता है। यही नहीं, अधिकांश यूनिवर्सिटीज में पांच दिवसीय कार्य सप्ताह होने के कारण सप्ताहांत में दो दिनों का अवकाश मिल जाता है। इनकी अवकाश प्राप्ति की आयु सामान्य तौर पर 62 वर्ष है, जबकि 3 वर्ष और एक्सटेंशन का भी प्रावधान है। सर्विस के दौरान पीएचडी करने के लिए वेतन सहित स्टडी लीव की भी व्यवस्था होती है। अन्य पेशों की तुलना में तनाव भी कम होता है। कैसे करें नेट की तैयारी -परीक्षा से कम से कम एक साल पहले से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। -नेट परीक्षा के पैटर्न को भली-भांति समझें और सिलेबस की प्रति पहले से हासिल कर लें। -इससे संबंधित बीते वर्षों के पेपर्स देखें और महत्वपूर्ण टॉपिक्स की पहचान करें। -मास्टर्स डिग्री में पढ़े गए सिलेबस पर ही ज्यादा ध्यान दें। -भरसक प्रयास करें कि सिलेबस में दिए गए, सभी टॉपिक्स को तैयारी के दौरान आप कवर करें। -परीक्षा के नए सिलेबस और उसके बदलावों को समझें और तैयारी उसी के अनुसार करें। -नेट एग्जाम की तैयारी पर आधारित एक या दो महत्वपूर्ण पुस्तकों से ही … Read more

इन्फिनिक्स ज़ीरो फ्लिप लॉन्च अक्टूबर 2024 में: जानें संभावित कीमत और फीचर्स

पुराने टेक्नोलॉजी की दुनिया में Infinix की एंट्री हो गई है। Infinix का नया पोर्टेबल टेक्नोलॉजी Infinix Zero Flip ग्लोबल मार्केट में लॉन्च किया गया है। भारत में इनफिनिक्स जीरो फ्लिपटेक के जल्द लॉन्चिंग की तैयारी है। लाइक रिपोर्ट की स्केटिंग, तो Infinix के डायनामिक्स मॉडल को भारत में अक्टूबर महीने में लॉन्च किया जाएगा। खास है इनफिनिक्स फोल्डेबल इनफिनिक्स का रोबोटिक उपकरण बेहद खास होने वाला है, क्योंकि इनफिनिक्स जीरो फ्लिप बेहद कम कीमत में आता है। जैसा कि असफल है कि Infinix को बजट इक्विपमेंट लॉन्च करने के लिए जाना जाता है। ऐसे में Infinix के स्टॉकहोम मोनोटेक्नोलॉजी में मसाले काफी बढ़ाए गए हैं। भारत में इनफिनिक्स के ऑस्ट्रियाई फोन की टक्कर सैमसंग के मोबाइल फोन से होगी। कितनी होगी कीमतफिनिक्स जीरो जीरो फोन को भारत में कितनी कीमत में लॉन्च किया गया है, इसका खुलासा नहीं हुआ है। लेकिन जैसा कि यह बताया गया है कि यह फोन ग्लोबल मार्केट में लॉन्च किया गया है। ऐसे में फोन करके भारत में 50 हजार रुपये के प्रॉस्पेक्टिव प्वाइंट को लॉन्च किया जा सकता है। फोन की 8GB रैम और 512GB स्टोरेज की कीमत 600 डॉलर यानी करीब 50,183 रुपये है। हालाँकि भारत में इस फ़ोन की कीमत वैश्विक रूप से भिन्न-भिन्न हो सकती है। फोन ब्लॉसम ग्लो और रॉक ब्लैक कलर में आएगा। इनफिनिक्स जीरो फ्लिप के 6.9 इंच की फुल एचडी रेंज दी गई है। फ़ोन एलटी प्रोटोटाइप प्रोटोटाइप में आएं। फ़ोन 120Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट दिया गया है। फ़ोन 1400 निट्स पीक ब्राइटनेस के साथ उपलब्ध है। फोल्डेबल 3.64 इंच एमोलेड डिस्प्ले सपोर्ट मौजूद है। फ़ोनरि गोला ग्लास विक्टस 2 रिवोल्यूशन के साथ आता है। फोन में मीडियाटेक डाइमेंसिटी 8020 चिपसेट दिया गया है। फ़ोन में 50MP कैमरा सेंसर सपोर्ट दिया गया है। साथ में दिया गया है 50MP अल्ट्रा वाइड कैमरा सेंसर। इसके लिए 50MP कैमरा सेंसर दिया गया है। 70W फ़ास्ट वॉरॉइड को सपोर्ट के लिए फ़ोन करें। फोन में 4720mAh की बैटरी दी गई है। साथ ही 10W रिवर्स रिवर्स सपोर्ट दिया गया है। फ़ोन पर माउंटेड माउंटेड टेक्निकल सेंसर का सहयोग दिया गया है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 54

क्या आपका बच्चा भी नही बैठ पाता डीप स्क्वाट- उकड़ू पोजिशन में

बढ़ती हुई पश्चात (वेस्टर्न) जीवन शैली बड़ो के साथ साथ बच्चों के लिए भी शरीरिक समस्याओं को पैदा कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में देखा जा रहा है 3 साल की उम्र से 17 वर्ष के बच्चों को ऐड़ी, घुटने, क़मर, गर्दन के दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है। फिजियोथैरेपिस्ट की माने तो कही न कहीं वेस्टर्न टॉयलेट (कमोड) का इस्तेमाल बड़ा कारण दिख रहा है, बच्चों को इंडियन स्टाइल टॉयलेट (सीट)  का इस्तेमाल कम हो रहा है। बच्चों की कुर्सियों पर बहुत ज़्यादा निर्भरता और आउट डोर एक्टिविटी (खेलना-कूदना) की कमी व लंबे समय तक एक जगह बैठे रहने के कारण ऐड़ी (ऐंकल) के आस पास के टेंडन व मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं। जिससे उपयुक्त लचीलापन कम हो जाता है, और शरीर के अन्य जोड़ों को भी प्रभावित करता है। जमीन पर उकड़ू न बैठने के कारण शरीर की मोवेलिटी-फ्लेक्सिबिलिटी को कम हो रही है, जब बच्चा मलासन (डीप स्क्वाट) पोजिशन में बैठता है, तो शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव, स्ट्रेचिंग होती है जो शरीर को अति आवश्यक है। "चूँकि मानव शरीर में पैरों (पंजो) का महत्वपूर्ण योगदान होता है शरीर को मोवेलिटी व संतुलन बनाए रखने में" डीप स्क्वाट पॉस्चर सबसे आवश्यक और मौलिक मानवीय मुद्राओं (पॉस्चर) में से एक है। 2 वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों के अभिभावकों को इन पाँच कामों (एक्टिविटी) पर ध्यान देना चाहिए। 1 क्या आपका बच्चा वेस्टर्न (कमोड) टॉयलेट उपयोग करता है ? 2 क्या आपका बच्चा इंडियन (सीट) टॉयलेट जाने से मना करता है ? 3 क्या आपका बच्चा फुल स्क्वाट (मलासन) पर बैठ सकता 2 से 5 मिनिट तक ? 4 आपके बच्चे की डिजिटल स्क्रीन (मोबाइल-लेपटॉप) टाइम स्पेंड कितना है रोज़ ? 5 आपके बच्चे का आउटडोर (खेल-कुंद) एक्टिविटी समय कितना है ? फुल या डीप स्क्वाट को इस तरीक़े से किया जाता है घुटने पूरी तरह से मुड़े हुए होते हैं, और जांघ का पिछला हिस्सा पिंडली की मांसपेशियों के सहारे टिका होता है, जबकि एड़ियाँ ज़मीन पर सपाट रहती हैं। डीप स्क्वाट एक ऐसी स्थिति है जिसका उपयोग कई बच्चे खेलते समय भी करते हैं। डीप स्क्वाट (उंखड़ू) बैठना कई कारणों से बहुत बढ़िया है जैसे- 1. कूल्हे, घुटने और टखने की पूरी गतिशीलता बनाए रखने में मदद करता है। 2. डीप स्क्वाट पोजीशन मेंटेन करने से कोर (मसल्स) का संतुलन बना रहता है। 3. ग्राउण्ड में खेलने, कूदने,दौड़ने में मदद मिलती है। 4. शौच में बैठने के लिए सबसे अच्छी स्थिति (मुद्रा) माना जाता है, न केवल बच्चों के लिए बल्कि वयस्कों के लिए भी। 5. ऐसा माना जाता है कि इस पोजीशन को करने से मांसपेशियों पर सही मात्रा में दबाव डालता है जिससे शौच आसानी से हो सके। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे इस पोजीशन में उतना नहीं बैठते न ही खेलते हैं, अपने बच्चों को फिर से डीप स्क्वाट करने के लिए प्रोत्साहित करें, और आप खुद को भी इसे आजमाने के लिए प्रयास करें। अपने बच्चे के खेलने और रोज़मर्रा की गतिविधियों के दौरान उसकी दिनचर्या में शुरुआत में ही डीप स्क्वैट्स को शामिल करना काफी आसान है। बच्चे आमतौर पर 10 से 12 महीने की उम्र में चलना आरम्भ करते हैं, जो उनके पहले जन्मदिन के आसपास होता है। अपने चलने के अभियान की शुरुआत में, उनके पैर काफी लड़खड़ाते हैं, इसलिए इस दौरान बैठना नहीं होगा। जैसे-जैसे बच्चा बेहतर संतुलन के साथ चलना सीखता है, वह संभवतः 13 से 18 महीने की उम्र के आसपास बैठना आरंभ कर देता है। कूल्हों को मोड़कर बैठना एवं शौचालय का उपयोग करने के लिए उकड़ू बैठना बेहतर है, हालांकि कुछ शोध बताते हैं कि यह केवल 3 से 5 मिनिट उकड़ू बैठने से भी बेहतर हो सकता है। आजकल बच्चों को अनेक प्रकार की समस्या हो रहीं हैं जैसे- बच्चों में फ्लैट फुट, नॉक नी, टेंडम वॉक, क़मर दर्द, रनिंग-दौड़ने आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों के डीप स्क्वाट (उकड़ू) न बैठ पाने से शरीर के ज्वाइंट्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है, पैरों के पंजों 52 हड्डियां, 66 जोड़ और लगभग 200 से भी ज्यादा मांसपेशियां, टेंडन एवं लिगामेंट होते हैं, जो कि हमें किसी भी प्रकार की सतह पर सन्तुलन बनाने एवं एक्टिविटी (गति) प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डीप स्क्वाट पॉस्चर से पाचन में सुधार डाइजेशन (मेटाबॉलिज्म) अच्छा होता है, उकड़ू बैठने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सुचारू रूप के काम करता है। डीप स्क्वाट बैठने का तरीका समतल जगह पर खड़े हो जाएं, और अपनी टांगों को एक दूसरे से दूर करें अब डीप स्क्वाट की पोजीशन में आए जिसके लिए अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ें और अपने हिप्स को जमीन की ओर लेकर जाएं। अब अपने हाथों को घुटनों के नीचे से ऊपर की ओर निकालने और दोनों हाथों को जोड़ें और नमस्ते पोज़ बनाएं अपनी बाजुओं को जांघों की तरफ प्रेस करते रहें ध्यान रहे रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, अपने हिप्स को जमीन की ओर ही रखें और अपने कंधों को अपने कानों से दूर रखें लंबी-लंबी सांसे लें और अपने आप को इस पोजीशन में रखें अब 2 से 3 मिनट इस तरह पोजिशन को मेंटेन करें इसके के बाद अपनी सामान्य पोजिशन में आ जाएं।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. 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