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धूप की कमी आपकी सेक्स लाइफ बिगाड़ रही है? जानिए चौंकाने वाली स्टडी

लंदन  क्या आपको इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है? अगर हां, तो समय आ चुका है कि आप एक बार अपना विटामिन डी लेवल चेक करवा लें. शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर थकान, हड्डियों में दर्द, मसल्स में कमजोरी और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. लेकिन हाल ही में आई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि शरीर में इस पोषक तत्व की कमी से आपकी सेक्सुअल लाइफ पर भी काफी बुरा असर पड़ सकता है. ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में छपी एक स्टडी में  विटामिन डी की कमी और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बीच में लिंक का खुलासा किया है. स्टडी में सुझाव दिया गया है कि विटामिन डी की कमी से सिर्फ हड्डियों की सेहत और इम्यून हेल्थ पर बुरा असर नहीं पड़ता बल्कि इससे पुरुषों की सेक्सुअल परफॉर्मेंस भी प्रभावित होती है. क्या होता है इरेक्टाइल डिस्फंक्शन? इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को नपुंसकता भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुषों को यौन संबंध के दौरान उत्तेजना नहीं होती या फिर उसे बनाए रखने में परेशानी होती है. कभी कभार इस समस्या का सामना सभी पुरुषों को करना पड़ सकता है. लेकिन अगर आपको हर बार इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो जरूरी है कि आप इसकी जांच करवाएं. ब्लड फ्लो के रुकने, नर्व डैमेज, साइकोलॉजिकल स्ट्रेस या सेहत से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी के कारण आपको इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है. जीवन की गुणवत्ता से जुड़े मुद्दे से कहीं ज्यादा, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को खराब हार्ट हेल्थ के शुरुआती संकेत के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा भी शामिल है. अब विटामिन डी की कमी डायबिटीज, मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी कंडिशन के साथ-साथ एक अन्य खतरे के रूप में उभर रही है. क्या कहती है स्टडी ब्रिटिश जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में पब्लिश इस  स्टडी में शोधकर्ताओं ने पुरुषों और चूहों के प्राइवेट पार्ट्स के टिश्यूज की जांच की. उन्होंने पाया कि विटामिन डी की कमी से इरेक्शन में समस्या आती है. चूहों में देखा गया कि विटामिन डी की कमी के कारण लिंग के ऊतकों (Tissues) में 40% तक अधिक कोलेजन जमा हो गया, जिससे फाइब्रोसिस यानी ऊतक का कठोर होने की समस्या बढ़ी. मनुष्यों में भी यह पाया गया कि जिन लोगों में विटामिन डी कम था, उनके प्राइवेट पार्ट के ब्लड वेसेल्स में प्रोक्रेस्टिनेशन कम थी, और उनका शरीर नर्व स्टिमुलेटर पर सही रिएक्शन नहीं दे पा रहा था. इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से ईडी के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी कम असरदार हो जाती हैं. भारत में विटामिन डी की कमी भारत में विटामिन डी की कमी एक आम समस्या बन गई है. ICRIER के एक एनालिसिस के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति विटामिन डी की गंभीर कमी से पीड़ित है. खासकर पूर्वी भारत में विटामिन डी की कमी का स्तर 38.81% तक है. भारत में विटामिन डी का सही डोज खुराक 400-600 IU है. ज्यादा उम्रदराज को 800 IU तक की जररूत हो सकती है. कैसे बढ़ाएं विटामिन D का लेवल सुबह की धूप रोज 15-20 मिनट तक लें. विटामिन D से भरपूर डाइट जैसे अंडा, मछली, दूध, मशरूम खाएं. डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट लें. कभी-कभी डाइट से पूरा नहीं हो पाता, तो डॉक्टर विटामिन D की गोलियां या सिरप सजेस्ट कर सकते हैं.   स्टडी में क्या बताया गया है? स्टडी के लिए, शोधकर्ताओं ने इंसानों और लेबोरेर्टीरी में रखे गए जानवरों दोनों के प्राइवेट पार्ट के टिशू का विश्लेषण किया और पाया कि विटामिन डी की कमी से उत्तेजना (इरेक्शन) में कमी आती है. विटामिन डी की कमी वाले चूहों में, इरेक्शन टिशू में 40% तक ज्यादा कोलेजन जमा हुआ था जो फाइब्रोसिस का संकेत है, जो टिशू को कठोर बनाता है और इरेक्शन को ट्रिगर करने वाले संकेतों को कम प्रभावी बनाता है. इंसानों में, शोधकर्ताओं ने अलग-अलग विटामिन डी लेवल वाले लोगों पर शोध किया. शोध में जिन पुरुषों के शरीर में विटामिन डी के लेवल को कम पाया गया उन पुरुषों में प्राइवेट पार्ट तक ब्लड का फ्लो काफी कम पाया गया. हालांकि यह रिसर्च काफी कम लोगों पर की गई थी इसलिए स्टडी के परिणाम कितने सही इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती है. इसे लेवल और भी कई रिसर्च होने अभी जरूरी हैं.   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 7

गर्मी में ही नहीं हर मौसम में लगाएं सनस्क्रीन

हम में से कई लोग सोचते हैं कि Sunscreen सिर्फ गर्मियों में या तभी लगानी चाहिए जब तेज धूप हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरज की किरणें सिर्फ गर्मियों में ही नहीं, बल्कि साल भर हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं? यही कारण है कि Dermatologists रोजाना सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं, फिर चाहे आप घर पर हों, बाहर हों या आसमान में काले बादल छाए हों। आइए विस्तार से जानें इसके बारे में। हमें यह समझना होगा कि सूरज सिर्फ गर्मी ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसी किरणें भी छोड़ता है जो हमारी त्वचा के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं UVA और UVB किरणें। UVB किरणें मुख्य रूप से त्वचा की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाती हैं और सनबर्न का कारण बनती हैं। वहीं, UVA किरणें त्वचा की गहरी परतों तक पहुंच सकती हैं और समय से पहले बुढ़ापा , झुर्रियां और यहां तक कि Skin Cancer का भी खतरा बढ़ा सकती हैं। अब सवाल यह है कि जब धूप नहीं होती, या बादल छाए रहते हैं, तो क्या इन किरणों का खतरा टल जाता है? जवाब है, नहीं! UVA किरणें बादलों को भी आसानी से पार कर सकती हैं। इसका मतलब है कि भले ही आपको सीधी धूप महसूस न हो, आपकी त्वचा लगातार इन हानिकारक किरणों के संपर्क में रहती है। एक्सपर्ट्स क्यों देते हैं हर दिन सनस्क्रीन लगाने की सलाह? Dermatologists का कहना है कि हमें अपनी त्वचा को UVA और UVB दोनों तरह की किरणों से बचाना चाहिए और इसके लिए हर दिन सनस्क्रीन लगाना जरूरी है, चाहे मौसम कैसा भी हो।     बुढ़ापे के लक्षणों से बचाव: UVA किरणें त्वचा के कोलेजन और इलास्टिन को नुकसान पहुंचाती हैं, जो त्वचा को जवां और लचीला बनाए रखते हैं। हर दिन सनस्क्रीन लगाने से इन किरणों के प्रभाव को कम किया जा सकता है और झुर्रियों, महीन रेखाओं और त्वचा के ढीलेपन को रोका जा सकता है।     स्किन कैंसर का खतरा कम: सूरज की हानिकारक किरणें त्वचा कैंसर का एक प्रमुख कारण हैं। नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाने से इस गंभीर बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।     सनबर्न से बचाव: भले ही बादल छाए हों, UVB किरणें अभी भी मौजूद रहती हैं और सनबर्न का कारण बन सकती हैं, खासकर सेंसिटिव स्किन वाले लोगों के लिए।     त्वचा की रंगत में सुधार: सूरज की किरणें त्वचा पर काले धब्बे और असमान रंगत पैदा कर सकती हैं। सनस्क्रीन लगाने से इन समस्याओं से बचाव होता है और त्वचा की रंगत एक समान बनी रहती है। कौन-सी सनस्क्रीन है सही? अब जब यह समझ आ गया है कि हर दिन सनस्क्रीन लगाना जरूरी है, तो यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि कौन सा सनस्क्रीन आपके लिए सही है। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि ऐसे सनस्क्रीन का चुनाव करें जिसमें कम से कम SPF 30 हो और जो UVA और UVB दोनों तरह की किरणों से सुरक्षा प्रदान करे (ब्रॉड-स्पेक्ट्रम)। अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार सनस्क्रीन का चुनाव करना भी जरूरी है। सनस्क्रीन को बनाएं रूटीन का हिस्सा हर दिन सनस्क्रीन लगाना आपके डेली रूटीन का एक जरूरी हिस्सा होना चाहिए। जैसे आप हर सुबह ब्रश करते हैं, वैसे ही सनस्क्रीन लगाना भी अपनी आदत में शामिल करें। इसे अपने चेहरे, गर्दन और हाथों पर, यानी उन सभी हिस्सों पर लगाएं जो धूप के संपर्क में आते हैं। कब और कैसे लगाएं सनस्क्रीन?     Sunscreen को घर से निकलने के 15-20 मिनट पहले लगाना चाहिए।     इसे चेहरे के अलावा गर्दन, कान, हाथ और जहां भी त्वचा खुली हो, वहां लगाएं।     हर 2-3 घंटे बाद दोबारा लगाना जरूरी है, खासकर अगर आप बाहर हैं या बहुत पसीना आता है। सनस्क्रीन से जुड़ी आम गलतफहमियां “मैं तो डार्क स्किन वाला हूं, मुझे इसकी जरूरत नहीं।” – सच ये है कि हर स्किन टोन को UV Rays से खतरा होता है। “मैं ऑफिस में ही रहता हूं, बाहर नहीं जाता।” – ऑफिस की खिड़कियों से आने वाली धूप और स्क्रीन से निकलने वाली Blue Light भी नुकसान पहुंचा सकती है। “Sunscreen सिर्फ महिलाओं के लिए होती है।” – यह पूरी तरह गलत है। यह स्किन के सेहत से जुड़ा मामला है, जो हर किसी के लिए जरूरी है – चाहे महिला हों या पुरुष। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए डाइट में शामिल करें सफेद तिल

हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स को डाइट में शामिल करना जरूरी है। सफेद तिल कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और अन्य जरूरी मिनरल्स से भरपूर होता है। ये न केवल हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं , बल्कि ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) जैसी बीमारियों से बचाव में भी मदद करते हैं। आइए जानते हैं कि सफेद तिल हड्डियों को मजबूत बनाने में कैसे सहायक है। कैल्शियम का बेहतरीन सोर्स हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्व है। सफेद तिल में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। लगभग 100 ग्राम सफेद तिल में 975 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जो दूध से भी ज्यादा है। नियमित रूप से तिल को डाइट में शामिल करने से हड्डियों की डेंसिटी बढ़ती है और फ्रैक्चर का खतरा कम होता है। मैग्नीशियम और फॉस्फोरस भी मिलता है कैल्शियम के अलावा, हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए मैग्नीशियम और फॉस्फोरस भी जरूरी हैं। मैग्नीशियम कैल्शियम के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है, जबकि फॉस्फोरस हड्डियों के ढांचे को मजबूत बनाता है। सफेद तिल में ये दोनों मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हड्डियों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। जिंक और कॉपर भी हैं मौजूद सफेद तिल में जिंक और कॉपर भी पाया जाता है, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद है। जिंक हड्डियों के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है, जबकि कॉपर कोलेजन के निर्माण में मददगार होता है, जो हड्डियों की फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखने में मदद करता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण तिल में सेसमिन और सेसामोलिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करते हैं। हड्डियों से जुड़ी बीमारियां जैसे आर्थराइटिस (Arthritis) में सूजन एक मुख्य समस्या है। तिल खाने से इन समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है। प्रोटीन और हेल्दी फैट्स हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रोटीन भी जरूरी है, क्योंकि यह हड्डियों के टिश्यू के निर्माण में मदद करता है। सफेद तिल में प्रोटीन और हेल्दी फैट्स (जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6) होते हैं, जो हड्डियों के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं। सफेद तिल को कैसे करें डाइट में शामिल?     तिल के लड्डू- गुड़ या शहद के साथ तिल के लड्डू बनाकर खाएं।     तिल की चिक्की- मूंगफली और गुड़ के साथ तिल की चिक्की एक हेल्दी नाश्ता है।     सलाद में छिड़कें- सलाद या सूप पर भुने हुए तिल छिड़ककर खाएं।     तिल का तेल- तिल के तेल की मालिश से भी हड्डियों को मजबूती मिलती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 6

फौरन सुधार लें ये आदतें, मिलेगा मनचाहा सम्मान

मान-सम्मान और इज्जत हर इंसान को अच्छी लगती है। इज्जत कमाने में सालों लगते हैं लेकिन गंवाने में एक पल नहीं लगता। कुछ लोगों की शिकायत होती है कि उन्हें बाकी लोगों की तुलना में कम इज्जत मिलती है। या फिर अक्सर लोगों के आसपास कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनका लोग सम्मान नहीं करते। अगर आप चाहते हैं कि आपका लोग सम्मान करें और इज्जत से बातचीत करें तो अपनी इन आदतों को फौरन बदल दें। जो आपके सम्मान को कम करने में खास योगदान देती हैं। बेईमानी मान-सम्मान के कम होने की सबसे बड़ी वजह बेईमानी है। अगर आप लगातार झूठ बोल रहे हैं और बेईमानी कर रहे हैं। लोगों के विश्वास को तोड़ रहे हैं तो जिस दिन झूठ पकड़ा जाएगा। लोगों की नजरों में इज्जत कम हो जाएगी। इसलिए खुद को हमेशा ईमानदार बनाने की कोशिश करें। दूसरों की इज्जत ना करना अगर आप दूसरों की इज्जत करना नहीं जानते हैं तो दूसरों से आपको भी वो इज्जत और मान-सम्मान नहीं मिलेगा। सम्मान हमेशा दो तरफा चीज है। जब आप किसी की इज्जत करते हैं तभी आपको भी लोग सम्मान देते हैं। अपनी बात पर टिके ना रहना अगर आप बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं। तो इस तरह की आदत आपकी इज्जत को दूसरों की नजरों में गिरा रही है। मूड चाहे जैसा भी हो आपका लेकिन जब आप किसी से मिलें तो हमेशा अच्छे व्यवहार के साथ मिले और हमेशा एक जैसा ही व्यवहार करें। इससे सामने वाले के मन में सम्मान का भाव ज्यादा आएगा। घमंड और अतिआत्मविश्वास 'घमंडी का सिर नीचा' ये बहुत ही पुरानी कहावत है। अगर आपको अपने पद, प्रतिष्ठा और पैसों का घमंड है तो आपको वो मान-सम्मान और इज्जत नहीं मिलेगी। इसी तरह से ओवरकॉन्फिडेंस भी आपके सम्मान को खराब कर सकता है। स्वार्थी व्यवहार हमेशा अपने फायदे और जरूरतों को पूरा करना और दूसरे पर ध्यान ना देना भी लोगों के मन में आपकी इज्जत को कम कर देता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 5

‘प्‍लीज’ और ‘थैंक्‍स’ कहने पर OpenAI को आ रहा लाखों का खर्चा

नई दिल्ली कुछ ही हफ़्ते पहले हमने देखा कि Ghibli ट्रेंड इंटरनेट पर छा गया था, हर कोई अपनी तस्वीरों को जापानी शैली की कला में बदलने के लिए ChatGPT पर दौड़ रहा था। यही वह समय था जब OpenAI ने लोगों से थोड़ा धीमा होने के लिए कहा, क्योंकि इससे उनके सर्वर डाउन हो रहे थे। अब कुछ ही दिनों बाद सैम ऑल्टमैन ने फिर से जनता के लिए खुलासा किया है और कुछ और भी चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने खुलासा किया है कि उपयोगकर्ता जो साधारण इशारे करते हैं, जैसे 'कृपया' या 'धन्यवाद', वास्तव में AI दिग्गज के लिए काफी महंगे हैं और इसके परिचालन खर्च में लाखों डॉलर का खर्च आता है। लेटेस्ट और ट्रेंडिंग स्टोरीज     हैरान करने वाला, है ना? X (पूर्व में ट्विटर) पर एक जिज्ञासु उपयोगकर्ता ने ऑल्टमैन से पूछा, "OpenAI को लोगों द्वारा उनके मॉडल को 'कृपया' और 'धन्यवाद' कहने पर बिजली की लागत में कितना पैसा गंवाना पड़ा है?"     ऑल्टमैन ने जवाब दिया, "करोड़ों डॉलर अच्छी तरह से खर्च किए गए।" उन्होंने आगे कहा, "आप कभी नहीं जानते।"     अब यह सब तब तक मज़ेदार लगता है जब तक हम उस बड़े पैमाने पर बढ़ते ऊर्जा बुनियादी ढांचे को ध्यान में नहीं रखते हैं जिसकी इस कदम की मांग है, जो ChatGPT जैसे भाषा मॉडल से जुड़ा है, खासकर जब जनता पागल हो जाती है और उनका उपयोग आसमान छूने लगता है।     प्रत्येक बातचीत, चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, कम्प्यूटेशनल लोड को बढ़ाती है, जिससे बदले में ऊर्जा का उपयोग और उससे जुड़ी लागत बढ़ जाती है।     ChatGPT उपयोगकर्ताओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, और अब तक औसत साप्ताहिक उपयोगकर्ताओं की संख्या 150 मिलियन को पार कर गई है।    गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट ने बताया है कि प्रत्येक ChatGPT-4 क्वेरी/प्रॉम्प्ट 2.9 वाट-घंटे बिजली की खपत करता है, जो Google पर आपके द्वारा की जाने वाली सामान्य खोज से कई गुना अधिक है।     अब अगर आपको लगता है कि यह ज्यादा नहीं है, तो आपको यह ध्यान रखना होगा कि इसे एक दिन में एक अरब से ज्यादा प्रॉम्प्ट मिलते हैं; इसका मतलब है कि लगभग 2.9 मिलियन किलोवाट-घंटे ऊर्जा की खपत रोजाना हो रही है।     हालांकि ये चैटबॉट अपने-अपने फायदों के साथ आते हैं, लेकिन एक उच्च छिपी हुई लागत है जिसे हम आमतौर पर नहीं देखते हैं, और यह बढ़ रही है।     लोगों द्वारा अपनी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिए AI पर अधिक निर्भर होने के साथ, ऊर्जा की मांग भी बढ़ जाती है।     यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि कुछ नेटिज़न्स संभावित समाधानों के साथ सैम ऑल्टमैन की मदद करने के लिए भी काफी तत्पर थे।     एक उपयोगकर्ता ने प्रस्ताव दिया कि OpenAI क्लाइंट-साइड कोड का उपयोग करके "आपका स्वागत है" के साथ प्रतिक्रिया देकर बिजली की कटौती कर सकता है।     एक अन्य ने मजाक में कहा कि ChatGPT को बिजली बचाने के लिए हर प्रतिक्रिया को एक प्रश्न के साथ समाप्त करना बंद कर देना चाहिए।     इसके साथ ही, यह इन AI दिग्गजों द्वारा बिजली के बड़े पैमाने पर उपयोग पर सवाल उठाता है, और क्या मौजूदा ऊर्जा बुनियादी ढांचे के लिए इससे निपटना संभव है?     जबकि AI हमारे दैनिक जीवन में खुद को एकीकृत कर रहा है, हमें बढ़ती ऊर्जा लागत और पर्यावरण पर इसके बाद के प्रभाव को भी ध्यान में रखना चाहिए।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8

गर्मियों के लिए वॉर्डरोब में जरूर शामिल करें ये फैशन ट्रेंड्स

डिजाइनर आरती विजय गुप्ता और स्नेहा अरोड़ा के लाइन में बनीज, हिरन और अन्य जानवर रनवे पर मिल जाते हैं। सिद्धार्थ बंसल के नेचर-इंस्पायर्ड मोटिफ्स भी पसंद किए जाते हैं। ज्यादातर इंडियन डिजाइनर्स के लिए ब्राइडल वेयर मस्ट-ट्राय हैं। इस तरह डिजाइंस में अलग-अलग तरह के चमकदार गोटा-पट्टी का काम किया जाता है। यहां हमें जयंति रेड्डी और अनीता डोंगरे क्लेकशन दिखाई दे रहा है। योगेश चैधरी और मोनिशा रेड्डी कलेक्शन में रिफ्लेक्टिव एम्बेलिशमेंट भी देखे जा सकते हैं। टैसल अभी भी ज्यादा बड़े हैं। मसाबा गुप्ता ने इन्हें ईयरिंग्स, साड़ी पल्लू और सूट एक्सेंट्स के लिए यूज किया। शिवन और नरेश ने बिजवेल्ड वर्जन शोकेस किए। नीता लुल्ला और पायल खंडवला की तरह ऑफ-शोल्ड्र और वन-शोल्ड्र टॉप्स पहनकर सूरज की रोशनी स्किन पर पड़ने दीजिए। इस ट्रेंड को ध्रुव कपूर और वेरांडा प्राइव ने भी एम्ब्रेस किया।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 22

ऐसे बचाइए अपने स्मार्टफोन को हैकिंग से

एसएमएस के जरिए ऐप्स डाउनलोड करने से बचें। इससे आपकी डिवाइस जल्द ही वायरस से ग्रस्त हो सकती है। -समय-समय पर स्मार्टफोन के सॉफ्टवेयर को अपडेट करें। कंपनियां अपडेट वर्जन में हैकर्स से डिवाइस को बचाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव करती रहती है। -स्मार्टफोन को हमेशा पासकोड से सुरक्षित रखे। इससे डिवाइस के आसानी से हैक होने या फिर बिना अनुमति के स्मार्टफोन के उपयोग करने की संभावना 100 गुना तक कम हो जाती है। -एसएमएस या फिर ईमेल में आई अज्ञात वेबसाइट लिंक्स को खोलने से बचें। -सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा समय ब्लूटूथ बंद रखने की कोशिश करें। ब्लूटूथ की कम रेंज में हैकर्स बेहद आसानी से स्मार्टफोन को अपने नियंत्रण में ले सकते हैं। स्मार्ट ऐप्स से सुरक्षित रखे स्मार्टफोन… लास्टपास यह एक पासवर्ड मैनेजर ऐप है जिससे आप अपने ईमेल तक के पासवर्ड सुरक्षित रख सकते हैं। स्मार्टफोन पर किसी भी वेबसाइट को खोलने पर यह ऐप खुद ही उस पर आपका ईमेल और पासवर्ड डाल देती है। साइजः डिवाइस के अनुसार अलग-अलग कीपर इस पासवर्ड मैनेजर ऐप को खासतौर पर आईफोन के लिए बनाया गया है। इसमें आप पासवर्ड के अलावा, फाइल, फोटो और वीडियो सुरक्षित रख सकते हैं। इसके जरिए आप ऐपल वॉच का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साइजः 37.7एमबी परफेक्ट ऐपलॉक इससे आप स्मार्टफोन पर वॉट्सऐप, ईमेल, कैमरा और फोटो गैलरी को सुरक्षित रख सकते हैं। आम ऐप्स की तरह गलत पासवर्ड डालने पर ऐप खुद यूजर की तस्वीर ले लेती है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8