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ऐपल से टक्‍कर की तैयारी में Oneplus 13T

Education mafia is commercializing education

नई दिल्ली जहां एक समय पर बड़ी स्क्रीन वाले स्मार्टफोन्स का बोलबाला था, वहीं अब कॉम्पैक्ट स्मार्टफोन्स का समय बड़े स्‍तर पर वापस आ रहा है। कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने मिनी स्मार्टफोन लॉन्च करने की तैयारी में हैं। OnePlus 13T भी इन्हीं में से एक हो सकता है। मंगलवार को कंपनी ने यह फोन अपने अप्रैल फूल डे वीडियो में टीज किया था। अब इसकी बैटरी को लेकर नई जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि OnePlus 13T में 6200mah की बैटरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि OnePlus 13T में 6200mah की बैटरी हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो मिनी स्मार्टफोन्स में आम तौर पर मिलने वाली कम बैटरी बैकअप की शिकायत दूर हो सकती है। यह लोगों के बीच छोटी स्क्रीन वाले स्मार्टफोन्स के क्रेज को वापस ला सकता है। OnePlus ने टीज किया नया फोन अप्रैल फूल डे के दिन OnePlus ने अपनी 13 सीरीज के लाइनअप में मिनी मॉडल को टीज किया था। OnePlus 13T के नाम से आने वाली इस डिवाइस को लेकर OnePlus चाइना के प्रेजीडेंट ली जी ने भी हिंट दिया है कि OnePlus 13T की बैटरी कैपेसिटी का नंबर '6' से शुरू होगा। इसका मतलब साफ है कि इस स्मार्टफोन में कम से कम 6000mah की बैटरी होने वाली है। इस तरह एक मिनी फोन होने के बावजूद OnePlus 13T में हम OnePlus 13 जितनी बैटरी देख पाएंगे। यह छोटे स्क्रीन साइज की वजह से बेहतर बैटरी बैकअप दे पाएगा। यही वजह कि OnePlus दावा कर रही है कि OnePlus 13T अब तक की सबसे अच्छे बैटरी बैकअप वाला फोन साबित होगा। सिलिकन कार्बन बैटरी का कमाल! दरअसल कुछ समय से स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने सिलिकन कार्बन बैटरियों का इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसे आप बैटरी की दुनिया में एक नया अपग्रेड समझ सकते हैं। ऐसी बैटरियों के इस्तेमाल से स्मार्टफोन में कम जगह में ज्यादा एमएएच दे पाना संभव हो गया है। इससे बड़ी कैपेसिटी की बैटरी होने के बावजूद स्मार्टफोन की मोटाई या वजन पर कोई असर नहीं पड़ता। जानकारों का यह भी मानना है कि जैसे-जैसे इस तकनीक पर आधारित बैटरियों का इस्तेमाल चलन में आएगा वैसे-वैसे स्मार्टफोन्स में 6000 से 8000mah की बैटरी कैपेसिटी आम हो जाएगी। इससे लोगों को लंबा बैटरी बैकअप और फोन को बार-बार चार्ज करने के झंझट से छुट्टी मिलेगी। इस नई तकनीक का इस्तेमाल फिलहाल चीनी कंपनियां ज्‍यादा कर रही हैं। Samsung, Apple और Google की ओर से इस तकनीक को अपनाया जाना बाकी है। इससे पहले भी Oneplus 13T के कुछ स्पेक्स लीक हुए थे। उसमें पता चला था कि यह 6.2 इंच की डिस्‍प्‍ले के साथ आएगा और 80W की चार्जिंग को सपोर्ट करेगा। इसमें आपको 1.5K रेजोल्यूशन और 120Hz रिफ्रेश देखने को मिल सकता है। यह इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट सेंसर भी सपोर्ट करेगा। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 7

बैक्टीरियल वेजिनोसिस महिलाओं में होने वाली समस्या

बैक्टीरियल वेजिनोसिस, वजाइना (योनि) में होने वाला एक सामान्य प्रकार का इन्फेक्शन है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट बताती है दुनिया की 3 में से 1 महिला इससे प्रभावित होती है। ऐसे में भावनगर, गुजरात की ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. पूजा घोरी बता रही हैं कि कैसे यह सामान्य इन्फेक्शन आपके लिए परेशानी का कारण बन जाता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। क्या है बैक्टीरियल वेजिनोसिस? ये वजाइना में बैक्टीरिया के ज्यादा मात्रा में बढ़ जाने की वजह से होने वाला इन्फेक्शन है। वैसे हेल्दी वजाइना में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं और एक-दूसरे को बैलेंस करने का काम करते हैं। कई बार “बैड” बैक्टीरिया की संख्या ज्यादा बढ़ जाती है और वो “गुड” बैक्टीरिया पर हावी होने लगते हैं। इस स्थिति में वजाइना में बैक्टीरिया का ये संतुलन बिगड़ जाता है और बैक्टीरियल वेजिनोसिस की समस्या हो जाती है। आम है ये समस्या 15-44 साल की महिलाओं में होने वाली ये एक सामान्य समस्या है। ये सामान्यतौर पर सेक्सुअली एक्टिव महिला में होता है। कई बार कुछ महिलाओं में नेचुरली बैक्टीरिया ज्यादा संख्या में पैदा हो सकते हैं और उनमें बैक्टीरियल वेजिनोसिस होने की आशंका रहती है। इन्हें ज्यादा रहता है खतरा     प्रेग्नेट महिलाओं को     कंडोम का इस्तेमाल न करने वालों को     यूट्रस में आईयूडी लगा हो     एक से ज्यादा सेक्स पार्टनर वालों को     डूश का इस्तेमाल करने वालों को     अगर आप कोई एंटीबायोटिक ले रहे हों पहचान कैसे करें लगभग 84% में बैक्टीरियल वेजिनोसिस के लक्षण नजर नहीं आते हैं। अगर आपको इसके लक्षण नजर आ रहे हैं, तो वो इस तरह हो सकते हैं:     वजाइना से क्लाउडी, ग्रे रंग का डिस्चार्ज होना     डिस्चार्ज से मछली जैसी तेज बदबू आना     वजाइना में खुजली या असहजता महसूस होना     यूरिन करने के दौरान जलन होना इस तरह करें बचाव     साफ-सफाई का ध्यान रखें     डूशिंग न करें     ज्यादा मात्रा में प्रोबायोटिक्स लें     वजाइना को बिना खुशबू वाले साबुन से अच्छी तरह धोएं     वजाइना और एनस की सफाई आगे से पीछे की ओर करें     पीरियड के दौरान बार-बार पैड बदलें     वर्कआउट के बाद पसीने वाले कपड़ों में न रहें     सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें     ब्रीदेबल अंडर गारमेंट्स पहनें     सेक्स पार्टनर की संख्या सीमित रखें     खुशबू वाले मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें     पब्लिक वॉशरूम का इस्तेमाल करने से बचें वजाइनल पीएच इस टेस्ट से पता चलता है कि आपका डिस्चार्ज कितना एसिडिक है। पीएच का ज्यादा स्तर कई बार बैक्टीरियल वेजिनोसिस की ओर इशारा करता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8

गर्मियों में पहने लिनेन के कपड़े

गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है और इसी के साथ लोगों के खानपान और पहनावे में भी बदलाव होने लगा है। इस मौसम में लोग न सिर्फ हल्का खाना पसंद करते हैं, बल्कि कपड़े भी हल्के ही पहनना चाहते हैं। ऐसे में लिनेन एक बढ़िया ऑप्शन है, इस मौसम में कुछ लाइट पहनने का। गर्मी के मौसम में लिनेन कपड़े आपको कूल रखने के साथ क्लासी और खूबसूरत भी दिखाते हैं। चाहे कैजुअल हो या पार्टी लुक ये किसी भी वॉर्डरोब का बेहतरीन एडिशन हो सकते हैं। वुमन के लिए लिनेन से बने कई ऑप्शन मौजूद हैं, जिन्हें आप ओकेजन के हिसाब से पहन सकती हैं। आइए इस कूल और कम्फर्टेबल लिनेन पर डालते हैं एक नजर: लिनेन शॉर्ट्स ये शॉर्ट्स लाइटवेट, ब्रीदेबल और गर्मियों के लिए परफेक्ट होते हैं। इन्हें आप कैजुअल आउटिंग या फिर छुट्टियों वाले मोड में पहन सकती हैं। कम्प्लीट लुक के लिए आप इसे लिनेन टॉप के साथ पेयर करें। लिनेन श्रग ये किसी भी आउटफिट की खूबसूरती बढ़ा सकता है। सस्टेंबल मटेरियल से बने होने की वजह से आप इन्हें कैजुअल और स्पेशल दोनों ही लुक के लिए पहन सकती हैं। लिनेन शर्ट वुमन के लिए प्योर लिनेन शर्ट हर दिन पहने जाने के लिए डिजाइन किया गया है। चाहे आप दफ्तर में हों या फिर वर्क फ्रॉम कर रही हों ये आपको रिलेक्स और कूल रखती है। लिनेन टॉप इस टॉप को किसी भी ओकेजन पर पहना जा सकता है। इसे इस तरह तैयार किया गया है कि आपका लुक और भी क्लासी लगे। लिनेन को-ऑर्ड सेट कम से कम स्टाइल में भी ये आपके लुक में एक स्मार्ट ट्विस्ट लेकर आता है। ये कई रंगों के ऑप्शन के साथ आता है। परफेक्ट समर लुक के लिए आप इसे सैंडल्स के साथ पेयर कर सकती हैं। लिनेन जॉगर पैंट ऑफिस, पार्टी या किसी भी मौके लिए यह परफेक्ट लुक देती है। कूल व स्टाइलिश लुक के लिए जॉगर पैंट को क्रॉप टॉप के साथ पेयर करें। वीकेंड आउटिंग के लिए आप इसके साथ कैजुअल टी-शर्ट भी पहन सकती हैं। लिनेन ड्रेस ये किसी भी ओकेजन के लिए एक स्टाइलिश और सोबर लुक देती है। बीच या दोस्तों के साथ नाइट आउट के लिए ये बिल्कुल परफेक्ट है। इसे हर समर वॉर्डरोब में होना चाहिए। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 6

रोजाना साबुन लगाने से स्किन को हो सकता है नुकसान

हेल्दी रहने के लिए अच्छी डाइट के साथ-साथ साफ-सफाई भी बेहद जरूरी है। इसलिए हम रोजाना नहाते हैं। खासकर गर्मियों में पसीने की वजह से रोज नहाना और भी ज्यादा जरूरी होता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या रोज साबुन से नहाना जरूरी है? क्या रोज साबुन से नहाने से कोई नुकसान होता है? आइए डॉक्टर से जानते हैं जवाब। लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सेहतमंद रहने के लिए कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। अच्छे खानपान के साथ-साथ हमारा रहन-सहन भी काफी हद तक हमारी सेहत पर असर डालता है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी हमेशा हाइजीन का ध्यान रखने की सलाह देते हैं। खासतौर पर पर्सनल हाइजीन काफी मायने रखती हैं और इसलिए खुद को साफ रखने के लिए हम रोजाना नहाते हैं। खासकर गर्मियों में नहाना और भी ज्यादा जरूरी होता है, क्योंकि इस मौसम में अक्सर गर्मी की वजह से पसीना आता है, जो कई सारे जर्म्स को बढ़ने का मौका देता है। ऐसे में हेल्दी और साफ रहने के लिए नहाना काफी जरूरी है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि रोज नहाना तो ठीक है, लेकिन क्या रोज साबुन से नहाना जरूरी है। ऐसे में इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने एलांटिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली में डर्मेटोलॉजिस्ट और एस्थेटिक फिजिशियन (एमबीबीएस, एमडी) डॉ. चांदनी जैन गुप्ता से बातचीत की। आइए जानते हैं डॉक्टर की राय- क्या होगा अगर रोज साबुन से नहाएंगे? डॉक्टर बताती हैं कि साबुन, खास तौर पर हार्श साबुन, आपकी स्किन से नेचुरल ऑयल को छीन सकते हैं। ये ऑयल स्किन की नमी को बनाए रखने में मदद करते हैं, इसलिए अगर आप रोजाना साबुन से स्किन धोते हैं, तो आपकी स्किन रूखी और खराब हो सकती है। खासकर सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को यह समस्या ज्यादा महसूस हो सकती है। यही कारण है कि एक्जिमा, सोरायसिस या ड्राई स्किन वाले लोगों को कोमल, मॉइस्चराइजिंग साबुन या सोप-फ्री क्लींजर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है। त्वचा के माइक्रोबायोम को नुकसान आपकी त्वचा में बैक्टीरिया का एक डेलिकेट बैलेंस होता है, जो स्किन को संक्रमण से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में अगर आप साबुन से स्किन को ज्यादा साफ करते हैं, तो यह बैलेंस बिगड़ सकता है, जिससे आपकी त्वचा मुहांसे, रूखापन या यहां तक कि संक्रमण जैसी समस्याओं के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हो सकती है। गर्म पानी और साबुन का कॉम्बो साबुन का रोजाना इस्तेमाल तब और भी ज्यादा हानिकारक हो जाता है, जब आप हर दिन साबुन के साथ गर्म पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। गर्म पानी और साबुन के इस कॉम्बो से आपकी स्किन से नमी को हट सकती हैं, जिससे रूखापन और भी ज्यादा बढ़ सकता है। इसलिए इससे बचने के लिए नहाते समय गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें और रोजाना साबुन से नहाने से बचें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 11

घंटों रील्स देखने की है लत, सेहत के लिए कैसे बन रही है खतरनाक, डॉक्टर ने दी अंधेपन की चेतावनी

नई दिल्ली मानसिक स्वास्थ्य पर रील के प्रभाव के बारे में चिंताओं के बाद, डॉक्टर अब एक नए बढ़ते संकट के बारे में चेतावनी दे रहे हैं। अत्यधिक स्क्रीन टाइम, विशेष रूप से इंस्टाग्राम, टिकटॉक, फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रील देखने से सभी आयु समूहों में, विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में आंखों से जुड़ी बीमारियों की वृद्धि हो रही है। यह बात एशिया पैसिफिक एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी और ऑल इंडिया ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी की यशोभूमि – इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली में चल रही संयुक्त बैठक के दौरान प्रमुख नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई है। ड्राई आई सिंड्रोम क खतरा बढ़ा एशिया पैसिफिक एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी के कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर ललित वर्मा ने अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर के कारण होने वाली ‘डिजिटल आई स्ट्रेन की महामारी’ के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा, “हम ड्राई आई सिंड्रोम, मायोपिया प्रोग्रेस, आई स्ट्रेन और यहां तक ​​कि शुरुआती दौर में ही भेंगापन के मामलों में तेज वृद्धि देख रहे हैं, खासकर उन बच्चों में जो घंटों रील देखते रहते हैं।” “हाल ही में एक छात्र लगातार आंखों में जलन और धुंधली दृष्टि की शिकायत लेकर हमारे पास आया था। जांच के बाद, हमने पाया कि घर पर लंबे समय तक मोबाइल पर रील देखने के कारण उसकी आंखों में पर्याप्त आंसू नहीं आ रहे थे। उसे तुरंत आई ड्रॉप दी गई और 20-20-20 नियम का पालन करने की सलाह दी गई। इस नियम में हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लेकर 20 फीट दूर किसी चीज को देखना होता है। आयोजन समिति के अध्यक्ष और अखिल भारतीय नेत्र रोग सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरबंश लाल ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझाया, “छोटी, आकर्षक रीलें लंबे समय तक ध्यान खींचने और बनाए रखने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। हालांकि, लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से पलकें झपकने की दर 50% कम हो जाती है, जिससे ड्राई आई सिंड्रोम और एकोमोडेशन स्पाज़्म (निकट और दूर की वस्तुओं के बीच फ़ोकस बदलने में कठिनाई) की समस्या हो सकती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर यह आदत अनियंत्रित रूप से जारी रहती है, तो इससे दीर्घकालिक दृष्टि संबंधी समस्याएं और यहां तक ​​कि स्थायी रूप से आंखों में तनाव हो सकता है। डॉ. हरबंश लाल ने आगे कहा कि “जो बच्चे रोजाना घंटों तक रील से चिपके रहते हैं, उनमें शुरुआती मायोपिया विकसित होने का जोखिम होता है, जो पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ी से बढ़ रहा है। वयस्कों को भी नीली रोशनी के संपर्क में आने से अक्सर सिरदर्द, माइग्रेन और नींद संबंधी विकार का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, हाल के अध्ययनों के अनुसार 2050 तक दुनिया की 50% से ज़्यादा आबादी मायोपिक होगी, जो अंधेपन का सबसे आम कारण है। अब स्क्रीन टाइम बढ़ने के साथ हम 30 साल की उम्र तक चश्मे का नंबर में बदलाव देख रहे हैं, जो कुछ दशक पहले 21 साल था। अध्ययनों से पता चलता है कि बढ़ती संख्या में लोग, विशेष रूप से छात्र और कामकाजी पेशेवर, उच्च गति, दृष्टि उत्तेजक सामग्री के लंबे समय तक संपर्क के कारण डिजिटल आंखों के तनाव, स्क्विंटिंग और खराब दृष्टि से जूझ रहे हैं। डॉक्टर लगातार रील से जुड़े सामाजिक अलगाव, मानसिक थकान और संज्ञानात्मक अधिभार की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को भी देखते हैं। AIOS के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. समर बसाक ने अत्यधिक स्क्रीन समय के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक नुकसान पर प्रकाश डाला: “हम एक चिंताजनक पैटर्न देख रहे हैं जहां लोग रील में इतने लीन हो जाते हैं कि वे वास्तविक दुनिया की बातचीत को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे पारिवारिक रिश्ते खराब हो जाते हैं और शिक्षा और काम पर ध्यान कम हो जाता है। AIOS के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ और आने वाले अध्यक्ष डॉ. पार्थ बिस्वास ने कहा, “कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था, तेजी से दृश्य परिवर्तन और लंबे समय तक निकट-फोकस गतिविधि का संयोजन आंखों को अत्यधिक उत्तेजित कर रहा है, जिससे एक ऐसी दिक्कत हो रही है जिसे हम ‘रील विजन सिंड्रोम’ कहते हैं। समय आ गया है कि हम इसे गंभीरता से लें, इससे पहले कि यह एक पूर्ण विकसित सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन जाए।” अत्यधिक रील देखने के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए, नेत्र रोग विशेषज्ञ 20-20-20 नियम का पालन करने की सलाह देते हैं, जो कहता है कि हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें और 20 फीट दूर देखें। पलक झपकने की दर बढ़ाएं, स्क्रीन देखते समय अधिक बार पलकें झपकाने का सचेत प्रयास करें, स्क्रीन का समय कम करें और डिजिटल डिटॉक्स लें क्योंकि नियमित स्क्रीन ब्रेक निर्भरता को कम करने और दीर्घकालिक नुकसान को रोकने में मदद कर सकता है। अनियमित रील खपत के कारण नेत्र विकारों में वृद्धि के साथ, स्वास्थ्य विशेषज्ञ माता-पिता, शिक्षकों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से तत्काल निवारक उपाय करने का आग्रह करते हैं। डॉ लाल चेतावनी देते हैं, “रील छोटी हो सकती है, लेकिन आंखों के स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव जीवन भर रह सकता है।” “यह समय है कि हम दृष्टि खोने से पहले नियंत्रण करें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश 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बढ़ती उम्र में भी चेहरे के ग्लो को बनाए रखने के लिए ऐसे करें उसकी देखभाल

लंबे समय तक स्किन प्रॉब्लम्स से दूर रहने के लिए जरूरी है कि आप अपनी उम्र के मुताबिक स्किन की केयर करें। स्किन की सही तरीके से केयर सिर्फ पिंपल्स, डॉर्क स्पॉट्स को ही दूर नहीं रखते बल्कि स्किन के ग्लो को भी बनाए रखते हैं। तो जानेंगे कि कैसे उम्र के हिसाब से करें सही स्किन केयर।   20 की उम्र में कैसे करें स्किन केयर 1. इस एज में आपकी स्किन अनप्रिडिक्टिबल हो जाती है। 2. स्किन सेरामाइड्स प्रोड्यूस करना बंद कर देती है, जिससे ड्राइनेस होती है। 3. रोजाना सनस्क्रीन लगाना शुरू कर दें। 4. कभी भी मेकअप अप्लाई किए हुए न सोएं। 5. अगर एक्ने की प्रॉब्लम जॉ लाइन तक पहुंच गई है तो ये हॉरमोन-रिलेटेड प्रॉब्लम है। 30 की उम्र में कैसे करें स्किन केयर 1. कोलेजेन और इलास्टिक फाइबर्स ब्रेक होने लगते हैं। 2. फाइन लाइंस और रिंकल्स साफ तौर पर दिखने लगते हैं। 3. रोजाना अपनी स्किन को एक्सफोलिएट करना जरूरी हो जाता है। 4. हाइड्रोलिक्सल एसिड वाला क्लेंजर यूज करें। 5. आई-केयर क्रीम्स का यूज करना शुरू कर दें। 40 की उम्र में कैसे करें स्किन केयर 1. डार्क स्पॉट्स होने से स्किन टोन अनईवेन होने लगती है। 2. रिंकल्स गहरे हो जाते हैं। 3. स्किन वॉल्यूम लूज करने लगती है। 4. सुबह और शाम को जेंटल क्लेंजर का इस्तेमाल करें। 5. एंटी-ऑक्सीडेंट्स वाले सिरम यूज करें, इससे स्किन रिपेयरमेंट में हेल्प मिलेगी। 6. नाइट क्रीम का रोजाना इस्तेमाल करें। 50 की उम्र में कैसे करें स्किन केयर 1. आपकी स्किन लाइट और लटकी हुई दिखने लगती है। 2. फैट लॉस की वजह से आपको गहरा और डल लुक मिल सकता है। 3. अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करना बिल्कुल भी न भूलें। 4. अपनी स्किन को क्लीन करने के लिए भी मॉइश्चराइजिंग क्लेंजर का ही यूज करें। 5. मॉइश्चराइजर बेस्ड नाइट क्रीम का ही यूज करें।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 6

सेहत पर उल्टा असर डालता है केले के साथ ये फूड्स खाना

केला एक बहुत ही हेल्दी फ्रूट माना जाता है और ये आसानी से पच भी जाता है। ये इंस्टेंट एनर्जी देने वाला और हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। हालांकि, इसे कुछ फूड्स के साथ खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। खुद हेल्थ एक्सपर्ट्स भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि कुछ फूड्स के साथ केला खाने से हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम पर नेगेटिव असर पड़ता है। इसकी वजह से पेट में गैस, एसिडिटी, एलर्जी के साथ-साथ अन्य हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। आइए विस्तार से जानें कि किन फूड्स को केले के साथ खाने से बचना चाहिए और इसके पीछे का कारण क्या है- दूध आमतौर पर लोग अक्सर केला और दूध साथ में खाते हैं, लेकिन आयुर्वेद की माने तो ऐसा करना हानिकारक हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर में टॉक्सिन्स पैदा कर सकता है, जिससे शरीर में कफ, एलर्जी और त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसे खाने से पेट में भारीपन के साथ-साथ सुस्ती महसूस हो सकती है। दही दही और केला दोनों ही ठंडी तासीर वाले होते हैं। इसलिए इन्हें एक साथ खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर पड़ सकता है और कफ बढ़ सकता है। यह सर्दी-जुकाम और गले की खराश को भी बढ़ावा देता है। तरबूज तरबूज में बहुत ज्यादा पानी होता है, जबकि केले में नेचुरल शुगर और फाइबर। दोनों का कॉम्बिनेशन डाइजेस्टिव सिस्टम में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे गैस,भारीपन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। आलू आलू और केले दोनों में स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है। इन्हें एक साथ खाने से डाइजेशन धीमा हो जाता है, जिससे गैस,पेट फूलना और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। सिट्रस फ्रूट्स विटामिन-सी से भरपूर एसिडिक फ्रूट्स जैसे संतरा, नींबू और केले दोनों की संरचना अलग-अलग होती है। इसकी वजह से इन्हें साथ में खाने से पेट में एसिडिटी, जलन और अपच जैसी प्रॉब्लम हो सकती है। मांस और मछली केले को हाई प्रोटीन फूड जैसे मांस या मछली के साथ खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम पर नेगेटिव असर पड़ता है। यह पेट में भारीपन और सुस्ती का कारण बन सकता है।     केले को अकेले खाएं या हल्के स्नैक्स जैसे ओट्स, अखरोट या अन्य फलों के साथ मिलाएं।     केला खाने के तुरंत बाद भारी भोजन से बचें।     दूध या दही के साथ केला खाना हो, तो इसे स्मूदी के रूप में संतुलित मात्रा में लें।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 8