MY SECRET NEWS

मानसून में कौन-से फल खाने चाहिए और किनसे बचना जरूरी है? जानिए हेल्दी चॉइस

मानसून में कौन-से फल खाने चाहिए और किनसे बचना जरूरी है? जानिए हेल्दी चॉइस

Which fruits should be eaten during monsoon and which ones should be avoided? Know the healthy choice Know the healthy choice मानसून का मौसम अपने साथ ताजगी और ठंडक तो लाता है, लेकिन साथ ही बीमारियों और पाचन संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देता है। इस दौरान हवा में नमी ज़्यादा होने के कारण डाइजेशन स्लो हो जाता है, जिससे इन्फेक्शन, पेट दर्द और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं। ऐसे में आपकी डाइट का हेल्दी और बैलेंस होना बेहद जरूरी है—खासकर फलों के चयन को लेकर। हर फल सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन मानसून में कुछ फल विशेष रूप से लाभकारी होते हैं, वहीं कुछ फल सेहत पर नकारात्मक असर भी डाल सकते हैं। आइए जानते हैं इस मौसम में कौन से फल आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाएंगे और कौन से फल से दूरी बनाना बेहतर होगा। मानसून में फल चुनने की सही रणनीति क्या होनी चाहिए?मानसून में फल का चयन करते वक्त सबसे पहले अपनी पाचन क्षमता और स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखें। इस मौसम में केला और सेब जैसे आम फलों को लेकर सबसे अधिक भ्रम रहता है। केला – फायदेमंद या नुकसानदायक?केला ऊर्जा का अच्छा स्रोत है लेकिन मानसून में यह कफ बढ़ा सकता है, जिससे सर्दी, खांसी और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं।जिन्हें गैस, कब्ज या अपच की समस्या है, उन्हें इस मौसम में केले का सेवन सीमित मात्रा में और दिन में ही करना चाहिए। सेब – मानसून का भरोसेमंद साथीसेब हल्का, पचने में आसान और फाइबर युक्त फल है जो पाचन को मजबूत बनाता है।इसमें मौजूद पेक्टिन फाइबर शरीर को डिटॉक्स करता है और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है। इसे छिलके सहित खाना और भी फायदेमंद होता है। Know the healthy choice मानसून में फायदेमंद फल (Best Fruits in Rainy Season) Read more : क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव फल खाते समय इन बातों का ध्यान रखें Know the healthy choice Conclusion : मानसून में सेहत बनाए रखने के लिए फलों का सही चुनाव बहुत जरूरी है। ताजे, हल्के और जल्दी पचने वाले फल आपकी इम्युनिटी को मजबूत बनाते हैं और संक्रमण से बचाते हैं। वहीं गलत फल का सेवन आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए हर फल खाने से पहले उसके गुण और आपकी बॉडी की ज़रूरतों को समझें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 52

क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव

क्या बार-बार थकान और भूख न लगना फैटी लीवर की चेतावनी हो सकती है? जानिए कैसे बचाव संभव

Can frequent fatigue and lack of appetite be a warning of fatty liver? Know how prevention is possible fatty liver symptoms prevention हमारे शरीर का एक अदृश्य योद्धा — लिवर — न केवल पाचन प्रक्रिया में सहायक होता है, बल्कि यह विषैले तत्वों को बाहर निकालने और ऊर्जा संचय करने जैसे कई आवश्यक कार्य करता है। लेकिन आज की अनियमित जीवनशैली, फास्ट फूड का बढ़ता चलन और शारीरिक सक्रियता की कमी ने फैटी लीवर जैसी बीमारी को आम बना दिया है। NAFLD से अधिकतर वही लोग ग्रस्त होते हैं जो मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, या खराब डाइट का शिकार हैं। शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज fatty liver symptoms preventionफैटी लीवर चुपचाप बढ़ने वाली बीमारी है। इसके लक्षण बहुत सामान्य हो सकते हैं, जैसे: गंभीर स्थिति में बदलने के संकेतयदि समय रहते इलाज न हो, तो फैटी लीवर धीरे-धीरे नॉन-अल्कोहोलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) का रूप ले सकता है, जिससे लिवर में सूजन और डैमेज शुरू हो जाता है। इसके संकेत हो सकते हैं: ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आप बार-बार कमजोरी, थकान या भूख में कमी जैसा कुछ महसूस कर रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें। यह फैटी लीवर की शुरुआती घंटी हो सकती है। आज का सच यही है — रोग को पहचानो, रोकथाम करो और लिवर को मजबूत बनाओ। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी हेतु है। किसी भी तरह की चिकित्सकीय सलाह के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 75

परवरिश: मोबाइल की लत बच्चों के भविष्य पर भारी, जानें इससे छुटकारा पाने के उपाय

परवरिश: मोबाइल की लत बच्चों के भविष्य पर भारी, जानें इससे छुटकारा पाने के उपाय

Parenting: Mobile addiction is harmful for children’s future, know the ways to get rid of it क्या आपका बच्चा मोबाइल के बिना रह सकता है?Mobile addiction for children future आज यह सवाल हर माता-पिता के मन में गूंज रहा है। तकनीक के इस दौर में मोबाइल बच्चों की जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन चुका है, मानो उनका एक नया अंग हो। चाहे भोजन हो, पढ़ाई या आराम का समय हर क्षण मोबाइल उनके साथ है। यह डिजिटल डिवाइस केवल उनके शरीर को ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक विकास को भी गहराई से प्रभावित कर रहा है। बच्चों पर मोबाइल का असर: सिर्फ आंखें नहीं, पूरी सोच पर असर Mobile addiction for children future धैर्य में गिरावट:स्क्रीन पर मिलने वाला त्वरित मनोरंजन बच्चों को अधीर बना रहा है। किसी भी असफलता या देरी पर वे गुस्से में आ जाते हैं। माता-पिता या शिक्षकों की मामूली बात भी उन्हें आहत कर देती है। एकाग्रता में कमी:लगातार आने वाले नोटिफिकेशन्स और ऑनलाइन एक्टिविटी बच्चों की एकाग्रता को कमजोर कर रही है। वे लंबे समय तक किसी एक काम पर ध्यान नहीं दे पाते। संवादहीनता और सामाजिक दूरी:मोबाइल की लत बच्चों को परिवार और दोस्तों से दूर कर रही है। अब वे भावनाओं को शब्दों में नहीं, इमोजी में बयां करते हैं। इसका असर उनके आत्मविश्वास, भाषा कौशल और सामाजिकता पर पड़ रहा है। ऑनलाइन गेमिंग और मानसिक स्वास्थ्य:गेमिंग ऐप्स बच्चों के लिए एक नशे की तरह बन चुके हैं। लेवल पार करने का जुनून, पैसे हारने का डर और त्वरित सफलता की उम्मीद उन्हें तनाव, एंग्ज़ायटी और यहां तक कि आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम तक ले जा रही है। Read More: ऑनलाइन गेमिंग के जाल में फंसते युवा: कर्ज, लत और तबाही की ओर ले जाते ऐप्स, सरकार की चुप्पी चिंता का कारण नींद और शारीरिक समस्याएं:देर रात तक स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर बिगड़ता है, जिससे नींद की गुणवत्ता घटती है। इससे चिड़चिड़ापन, मोटापा और आंखों की समस्याएं जैसे डिजिटल आई स्ट्रेन और दृष्टि दोष उत्पन्न होते हैं। अभिभावकों की भूमिका: शुरुआत घर से ही होती हैआमतौर पर मोबाइल की लत के बीज माता-पिता ही बोते हैं—कभी बच्चे को चुप कराने के लिए, तो कभी उसे व्यस्त रखने के लिए। एक साल के बच्चे को मोबाइल पर राइम्स दिखाना आज सामान्य बात हो गई है। फिर जब वही बच्चा 12-13 साल में मोबाइल मांगता है, तो माता-पिता उसे रोक नहीं पाते। समाधान: स्क्रीन से दूरी, जीवन से जुड़ाव स्क्रीन टाइम तय करें:परिवार में मोबाइल उपयोग का एक साझा नियम बनाएं। बच्चे को 15 साल की उम्र तक अपना व्यक्तिगत मोबाइल न दें। मैदानी खेल और आउटडोर एक्टिविटी:हर दिन कम से कम दो घंटे बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी में व्यस्त रखें। फैमिली आउटिंग में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित करें। बातचीत और समय:बच्चों से बात करें, उनकी समस्याएं समझें। जब वो आपकी बात सुनते हैं, तो आप भी उनकी दुनिया से जुड़ पाते हैं। तकनीक से नहीं, रिश्तों से जुड़ाव बढ़ाएं:उन्हें यादें लिखने के लिए प्रेरित करें, न कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने के लिए। मोबाइल कोई बुरा उपकरण नहीं है, लेकिन उसके गलत इस्तेमाल ने बच्चों को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचाया है। माता-पिता यदि आज सतर्क नहीं हुए, तो कल बहुत देर हो जाएगी। सही परवरिश तकनीक से नहीं, समय और समझ से होती है। Tag: Parenting, Screen Addiction, Children Mental Health, Digital Detox Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 41

सिरदर्द को न करें नजरअंदाज: ये संकेत हो सकते हैं किसी गंभीर बीमारी के

सिरदर्द को न करें नजरअंदाज: ये संकेत हो सकते हैं किसी गंभीर बीमारी के

Do not ignore headache: These can be signs of a serious disease Do not ignore headache आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में सिरदर्द को हम अक्सर नींद की कमी या थकान का सामान्य लक्षण मान लेते हैं। लेकिन अगर यह सिरदर्द बार-बार हो रहा है, पेनकिलर से भी ठीक नहीं हो रहा, या इसके साथ अन्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं — तो यह शरीर का एक गंभीर चेतावनी संकेत हो सकता है। सिरदर्द के पीछे छिपे हो सकते हैं ये बड़े कारण ब्रेन ट्यूमरअगर सिर में बार-बार एक ही स्थान पर दर्द हो रहा है और वह समय के साथ तेज़ होता जा रहा है, तो यह ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है। विशेष रूप से अगर दवा लेने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है। माइग्रेनमाइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें सिरदर्द के साथ मतली, तेज़ रोशनी या आवाज़ से चिढ़, और धुंधलापन भी हो सकता है। इसका इलाज केवल दवा नहीं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव से भी संभव है। Read More: सीधी में रातों-रात आदिवासी परिवार बेघर, कमलेश्वर पटेल ने जताया विरोध साइनस इन्फेक्शननाक बंद होना, चेहरे में भारीपन और माथे पर दबाव के साथ दर्द — ये संकेत साइनस के हो सकते हैं। यह वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है। आंखों की समस्याअगर लंबे समय तक स्क्रीन देखने या पढ़ने के बाद सिरदर्द होता है, तो आंखों में नंबर बढ़ना, चश्मा न लगाना या थकावट इसकी वजह हो सकती है। कब सतर्क हो जाएं? Do not ignore headache क्या करें सिरदर्द होने पर? Do not ignore headache न करें इसे मामूली समझने की भूलसिरदर्द एक ऐसा शरीरिक अलार्म है जिसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। यह किसी गहरी और गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। अगली बार सिर में हल्का दर्द भी हो, तो उसे नजरअंदाज न करें — क्योंकि कभी-कभी छोटा दर्द, बड़े खतरे की घंटी हो सकता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 44

रिसर्च : Energy Drinks बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा रही,दिल की बीमारी, घबराहट, हाई ब्लड प्रेशर भी दे रही

नई दिल्ली एनर्जी ड्रिंक्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है. आज कल हर किसी के हाथ में एनर्जी ड्रिंक देखने को मिल जाती है. ये दिखने में भले ही मजेदार और इंस्टेंट एनर्जी देने वाली लगें, लेकिन ये बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं. हाल के एक रिसर्च में पाया गया है कि ये ड्रिंक्स बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही, ये दिल की बीमारी, घबराहट, हाई ब्लड प्रेशर और नींद की दिक्कत जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकते हैं. एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन और बहुत ज्यादा चीनी होती है, जो छोटे बच्चों के शरीर के लिए ठीक नहीं होती. इसलिए डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि बच्चों को एनर्जी ड्रिंक नहीं पीनी चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि एनर्जी ड्रिंक्स पीने से आपके बच्चे की हेल्थ पर क्या बुरा असर पड़ता है. डिहाइड्रेशन एनर्जी ड्रिंक्स किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं और इसका एक मुख्य कारण डिहाइड्रेशन है. इन ड्रिंक्स में अक्सर बहुत ज्यादा कैफीन होता है, जिससे शरीर में ज्यादा पेशाब बनता है. इससे बच्चों को बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है और उनके शरीर से जरूरी फ्लूइड्स निकल जाते हैं. किडनी स्टोन होने का खतरा बढ़ता है एनर्जी ड्रिंक्स रिडनी स्टोन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन, सोडियम और फॉस्फोरिक एसिड के साथ-साथ चीनी फ्रुक्टोज का लेवल ज्यादा होता है. ये शरीर में ऐसे एलिमेंट्स बनने में मदद करते हैं, जो  किडनी स्टोन बना सकते हैं.   किडनी पर डालती हैं बुरा असर एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद ज्यादा चीनी भी एक बड़ी चिंता है. ज्यादा चीनी खाने से मोटापा और डायबिटीज हो सकती है, जो किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं. बच्चों के लिए बहुत ज्यादा मीठे एनर्जी ड्रिंक्स पीना आगे चलकर किडनी के खराब होने जैसी गंभीर दिक्कतें ला सकता है. ब्लड प्रेशर बढ़ाते हैं एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद ऐसे कई एलिमेंट्स होते हैं, जो ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट को बढ़ा सकती हैं. हाई ब्लड प्रेशर किडनी डैमेज होने का एक मुख्य कारण होता है.   एक्यूट किडनी इंजुरी बहुत ज्यादा एनर्जी ड्रिंक पीना, खासकर जब आप ज्यादा एक्सरसाइज करते हों तो वो बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. इन ड्रिंक्स में टॉरिन होता है, जो किडनी पर बुरा असर करता है. बच्चों के किडनी अभी पूरी तरह डेवलप नहीं बने होती, इसलिए यह ज्यादा खतरा होता है. ऊर्जा पेय क्या हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि एनर्जी ड्रिंक्स ऐसे पेय पदार्थ हैं, जिनमें कैफीन के अलावा अतिरिक्त चीनी और कानूनी उत्तेजक पदार्थ होते हैं, जिनका उपयोग सतर्कता और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। भले ही वे अल्पावधि में दिन भर आपकी सहनशक्ति को बढ़ा सकते हैं, लेकिन कैफीन शरीर से बाहर निकलने के बाद भी लंबे समय तक भारी प्रभाव डाल सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार , एनर्जी ड्रिंक बच्चों और किशोरों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। उनके विकासशील अंगों- मस्तिष्क, हृदय या गुर्दे- के कारण ये पेय पदार्थ आवेग नियंत्रण को कम करते हैं, और छोटे शरीर के आकार कैफीन के सेवन के प्रभावों और जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।  सोने में कठिनाई के अलावा,अधिकांश युवाओं में क्रोनिक किडनी संबंधी समस्याएं विकसित होती हैंडॉ. जैन ने कहा, "एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन की मात्रा बहुत अधिक होती है (प्रति सर्विंग 150-300 मिलीग्राम), जो एक सामान्य कप कॉफी से कहीं अधिक है। कैफीन एक मूत्रवर्धक है, जिससे शरीर में अधिक मूत्र बनता है और व्यक्ति निर्जलित हो सकता है, जिससे हृदय और गुर्दे पर अधिक दबाव पड़ता है।" ऊर्जा पेय आपके बच्चे के गुर्दे को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं?     निर्जलीकरण का कारण बनता है     गुर्दे की पथरी का खतरा     गुर्दे की कार्यप्रणाली पर प्रभाव     तीव्र किडनी चोट का जोखिम बढ़ जाता है ऊर्जा पेय पीने के दीर्घकालिक प्रभाव डॉ. जैन ने बताया कि यदि आपका बच्चा लम्बे समय तक एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन करता है, तो उसे निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:     बहुत अधिक चीनी से मोटापा और मधुमेह होता है; दोनों ही मधुमेह के प्रमुख जोखिम कारक हैं।दीर्घकालिक वृक्क रोग(सीकेडी)     कृत्रिम मिठास वाले पदार्थों में गुर्दे की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न करने तथा अपशिष्ट और तरल पदार्थों के प्रसंस्करण के तरीके को बदलने की क्षमता होती है     कोला और एनर्जी ड्रिंक्स में बड़ी मात्रा में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड गुर्दे की पथरी, कमजोर हड्डियों और रक्त वाहिकाओं के कैल्सीफिकेशन में योगदान देता है, जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और स्ट्रोक हो सकता है     मधुमेह के साथ-साथ बढ़ता रक्तचाप क्रोनिक किडनी रोग का प्रमुख कारण है     एनर्जी ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन और उत्तेजक पदार्थ रक्तचाप और हृदय गति के स्तर को बढ़ाते हैं, जिससे किडनी के कार्य पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है एक स्वस्थ, प्राकृतिक विकल्प जिसे बच्चों को पीने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए डॉ. जैन के अनुसार, माता-पिता के रूप में, आप अपने बच्चे को अपने शरीर को हाइड्रेट करने और अपनी प्यास बुझाने के लिए बहुत सारा पानी पीने की आदत डाल सकते हैं। आप अन्य पेय पदार्थों की जगह पानी चुनकर और उनके भोजन के साथ पानी परोसकर इस व्यवहार को अपना सकते हैं। हालाँकि, कुछ अन्य स्वस्थ विकल्प इस प्रकार हैं:     बिना मीठा किया हुआ नारियल पानी     100 प्रतिशत पतला फलों का रस     कम वसा वाला दूध या दूध के विकल्प     हर्बल चाय     हरी चाय     ताजे फलों का उपयोग करके घर पर बनाई गई स्मूदी     Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार … Read more

अमेरिका-भारत के बीच टशन का तमाचा सीधे पाकिस्‍तान को, आईफोन 17 सीरीज पाकिस्‍तान की हैसियत से बहार

नई दिल्ली अमेरिका की ट्रंप सरकार कभी इधर की बात करती है, कभी उधर की। मार्च से जारी उसका टैरिफ ‘कलह’ चीन से होते हुए भारत पहुंच गया है। कतर में अमेरिकी राष्‍ट्रपति का यह कहना कि वह नहीं चाहते ऐपल अपने आईफोन भारत में बनाए, कई सवाल खड़े कर गया। अब तो ट्रंप प्रशासन यह फैसला लेने जा रहा है कि वह अमेरिका में बिकने वाले सभी स्‍मार्टफोन्‍स पर 25 फीसदी इंपोर्ट टैरिफ लगाएगा। ऐसा लगता है कि अमेरिकी सरकार उसके देश में बिकने वाली सभी फोन्‍स को मेड इन अमेरिका बनाना चाहती है। ट्रंप सरकार के निशाने पर भारत समेत तमाम एशियाई देश हैं जहां स्‍मार्टफोन्‍स का बड़े पैमाने पर प्रोडक्‍शन होता है। रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी सरकार की नई और पल-पल बदलती नीतियां कंपनियों को मजबूर कर रही हैं कि वो अपने फोन्‍स के प्राइस बढ़ा दें। कई रिपोर्टों में बताया जा चुका है कि ऐपल अपनी अपकमिंग आईफोन 17 सीरीज को महंगा बेच सकती है। ऐसा हुआ तो अमेरिका-भारत के बीच टशन का तमाचा सीधे पाकिस्‍तान को पड़ेगा, क्‍योंकि डॉलर से बदलकर जब पाकिस्‍तानी रुपये में आईफोन 17 सीरीज की कीमत आएगी तो उसे खरीदने की हैसियत पाकिस्‍तान की खत्‍म हो सकती है। आईफोन 17 सीरीज महंगी होने के संकेत मी‍डिया रिपोर्टों के अनुसार, ऐपल आईफोन 17 सीरीज के दाम बढ़ा सकती है। कहा जाता है कि भले ही अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ सुलह कुछ हद तक हो गई है लेकिन चीनी आयात पर अभी भी अमेरिका में 30 फीसदी टैक्‍स लगेगा। अब अगर भारत व अन्‍य एशियाई देशों से होने वाले इम्‍पोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगा तो आईफोन 17 सीरीज को महंगा किया जा सकता है। ऐपल ने इस बारे में ऑफ‍िशियली कुछ नहीं कहा है लेकिन रिपोर्ट्स में दावा है कि आईफोन 17 प्रो मैक्‍स मॉडल को देश में 1 लाख 64 हजार 900 रुपये में लाया जा सकता है। यह कीमत पाकिस्‍तान में साढ़े 5 लाख रुपये के करीब पहुंच जाएगी। याद रखने वाली बात है कि आईफोन 16 प्रो मैक्‍स मॉडल की कीमत पाकिस्‍तान में 3 लाख 70 हजार रुपये के करीब है। (mega.pk के अनुसार)। इसका सीधा मतलब है कि आईफोन 17 सीरीज का टॉप वेरिएंट पाकिस्‍तान में दो लाख रुपये तक महंगा हो सकता है। आईफोन 17 सीरीज के अनुमानित फीचर्स सितंबर में होने वाले अनुमानित लॉन्‍च इवेंट में ऐपल की तरफ से आईफोन 17, आईफोन 17 एयर को लॉन्‍च किया जा सकता है। कहा जाता है कि कंपनी आईफोन 17 मैक्‍स या अल्‍ट्रा मॉडल लेकर आएगी। मैक रुमर्स की रिपोर्ट के अनुसार इन फोन्‍स में 6.3 इंच से 6.9 इंच तक डिस्‍प्‍ले दिया जा सकता है। आईफोन 17 एयर कंपनी का स्लिम मॉडल होगा,‍ जिसका मुकाला सैमसंग एस25 ऐज से रहेगा। नए आईफोन्‍स में कंपनी एलटीपीओ डिस्‍प्‍ले, 120 हर्त्‍ज रिफ्रेश रेट के साथ दे सकती है। कैमरों के लेवल पर भी नए आईफोन्‍स में अपग्रेड आ सकता है। कहा जाता है कि कंपनी अपडेटेड 24 मेगापिक्‍सल के फ्रंट कैमरा पर काम कर रही है। पीछे की तरफ 48 मेगापिक्‍सल का कैमरा भी अपग्रेडेड हो सकता है। 12 मेगापिक्‍सल के एक और सेंसर को इम्‍प्रूव किया जा सकता है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 29

बिना इंटरनेट डाटा ट्रांसफर, जानें कैसे करें

अगर आपको डाटा ट्रांसफर करना है तो इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी ही। पीसी से डाटा मोबाइल पर भेजना तो इंटरनेट का इस्तेमाल करना ही होगा और स्मार्टफोन पर रिसीव करना है तो भी इंटरनेट डाटा की खपत तय है, लेकिन इन सिंपल ट्रिक्स से आप बिना इंटरनेट के डाटा ट्रांसफर कर सकते हैंः 1. सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर से जेंडर एप डाउनलोड करें। यह एक डाटा ट्रांसफर एप है। इसकी खासियत है कि यह एप बिना इंटरनेट, यूएसबी और वाई-फाई के डाटा ट्रांसफर करता है। 2. अब पीसी में जेंडर एप डाउनलोड करें। 3. इसके बाद पीसी और मोबाइल दोनों को डाटा ट्रांसफर के लिए साथ रखें। 4. अब जैसे ही आप फोन पर जेंडर एप खोलेंगे, उसे पता चल जाएगा कि साथ रखें डिवाइस में जेंडर इंस्टॉल है। 5. इसके बाद डिवाइस के ग्रुप में ऐड करें। 6. अब जिन फाइल्स को भेजना है उन्हें सेलेक्ट करके सेंड ऑप्शन पर क्लिक करके भेज दें। 7. इस एप की खासियत है कि आप किन्हीं भी दो डिवाइसेज के बीच डाटा ट्रांसफर कर सकते है। आप चाहे तो दो स्मार्टफोन्स के बीच या फिर चार डिवाइसेज को कनेक्ट उनके बीच भी डाटा ट्रांसफर कर सकते है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 29