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डिप्रैशन से बचने के लिए खाएं ये 11 चीजें

काम में तनाव, पैसे की परेशानी, चिंता की वजह से कई बार लोग डिप्रैशन के शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी से कुछ लक्षण होते हैं जैसे अचानक वजन बढ़ना या वजन घटना अनिद्रा या ज्यादा नींद आना, सैक्स इच्छा में कमी, मन में बार-बार खुदकुशी का ख्याल आना और रोजाना के काम न कर पाना आदि। जिस शख्स के अंदर ये लक्षण होते हैं वह काफी दर्दनाक और बुरे समय से गुजर रहा होता है लेकिन ऐसे समय में घबराने की जरूरत नहीं है। सब्र से हर मुश्किल का हर निकलता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही खाद्य पदार्थों के बारे में बताने जा रहे हैं जो डिप्रेशन से लड़ने में मदद करते हैं। पालकः पालक भी डिप्रैशन से लड़ने के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें आयरन और मैग्नीशियम होता है जो दिमाग को शांत और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिडः जब भी आपको लगे कि आपको अवसाद हो रहा है तो ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अपने खाने में बढ़ा दीजिए जैसे मछली और वोलनट्स। मछली में आप सलमन, हेरिंग, लेक ट्राउट, सार्डिन, मैकेरल या टूना खा सकते हैं। बादामः बादाम में काफी मात्रा में मैग्नीशियम का सबसे अच्छा स्त्रोत होता हैं। सिर्फ 100 ग्राम बादाम के पैक में 238 ग्राम मैग्नीशियम होता है, जो हमारी रोज की 67 प्रतिशत मैग्नीशियम की जरुरत को पूरा करता है। टमाटरः टमाटर खाने से आपका मूड बहुत अच्छा रहता है क्योंकि इसमें लइकोपीन नाम का एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में काफी मददगार साबित होता है। एक स्टडी में यह पाया गया है कि जो लोग सप्ताह में 2 से 6 बार टमाटर खाते हैं वे 46 प्रतिशत तक कम अवसादग्रस्त होते हैं। एवोकाडोः एवोकाडो में ओमेगा-3 और फोलेट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में मदद करता है। यही नहीं इसमें पोटेशियम और मोनोअनसैचुरेटेड फैट भी पाया जाता है। जो भावनाओं को काबू करने में मदद करते हैं। ग्रीन टीः ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट और एमिनो एसिड पाया जाता है जो अवसाद से बचाती, इलाज करती और उसे बहार आने में भी मदद करती है इसलिए ग्रीन टी उन लोगों को जरूर पीनी चाहिए जो जल्दी मुसीबतों से घबराने लगते हैं। ब्लूबेरीः ब्लूबेरी में विटामिन सी पाया जाता है। 100 ग्राम ब्लूबेरी में 9.7 मिलीग्राम विटामिन सी होता है जो रोज का 15 प्रतिशत के बराबर है। साथ ही इसमें अधिक मात्रा में पाये जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट आपके शरीर को अवसाद से दूर रखते हैं। साबुत अनाजः यह तो हम सभी जानते हैं कि साबुत अनाज हम सबके लिए कितने फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि यह अवसाद में बहुत लाभदायक सिद्ध होते है। इनमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो मूड स्विंग्स की परेशानी को रोकता है। नारियलः नारियल में शक्तिशाली इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो अवसाद से लड़ने में मदद करते हैं। रोज एक गिलास ताजा नारियल का रस पीएं या इसके तेल में बना हुआ भोजन खाएं। अंडेः अगर आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हैं तो आपको थकान और काम करने की शक्ति कम हो जाती है। अंडे में प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी 12, विटामिन ए, कैल्शियम, विटामिन बी-6, पोटेशियम और मैग्नीशियम होता है जो आपके एनर्जी के लेवल को बनाये रखता है।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 33

महिलाओं में कमर दर्द की ज्यादा शिकायत

सामान्य सर्दी के बाद, पीठ दर्द सभी उम्र के लोगों में होने वाली दूसरी सबसे प्रचलित समस्या है। सेवानिवृत्त शिक्षिका 60 वर्षीय आशा शर्मा सक्रिय जीवन जीती थीं जब तक कि उनके पीठ दर्द ने उन्हें व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय नहीं कर दिया। उन्होंने एक डॉक्टर से दिखाया जिन्होंने उन्हें सर्जरी की सलाह दी। लेकिन श्रीमती शर्मा सर्जरी कराना नहीं चाहती थीं और उन्होंने वेंकटेश्वर अस्पताल में एक विशेषज्ञ से एक और राय लेने का विचार किया। उन्होंने वेंकटेश्वर हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी बिभाग से संपर्क किया जहां उन्हें सर्जरी के निर्णय लेने से पहले ट्रायल के तौर पर सेल्फ केयर की सलाह दी क्योंकि यह देखा गया है कि सेल्फ केयर से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों को पीठ दर्द से राहत मिल जाती है। आज, वह अपने पैरों पर वापस खड़ी हो गई हैं। वेंकटेश्वर अस्पताल के न्यूरोसर्जरी के निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पिंदर कुमार सचदेव कहते हैं, “सर्जरी उन लोगों के लिए सर्जरी आवश्यक हो जाती है, जिनमें नर्व रूट पर दबाव पड़ रहा हो या रीढ़ की हड्डी अस्थिर हो गई हो।“ पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं न केवल कमर और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से ग्रस्त होती हैं, बल्कि उनकी समस्याएं भी गंभीर होती हैं। महिला की शारीरिक संरचना का एक दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि उम्र बढ़ने के साथ प्राकृतिक रूप से तेजी से उनकी हड्डी का नुकसान होने लगता है और इसका खतरनाक भाग उम्र का बढ़ना है। आमतौर पर 30 वर्ष की आयु और रजोनिवृत्ति की शुरुआत के बीच, महिलाओं में हड्डी का घनत्व का और अधिक तेज़ी से कम होता है। “महिलाओं की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, वे डीजेनेरेटिव डिस्क रोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। यह एक सामान्य बीमारी है जिसे रप्चर्ड डिस्क कहा जाता है जो रीढ़ की हड्डी को धक्का देता है, तंत्रिका पर दबाव डालता है, जिससे हर्निएटेड या स्ल्पि्ड डिस्क हो जाती है।“ रीढ़ एक स्तंभ के रूप में कार्य करता है जो आपके शरीर के वजन को वहन करता है। यही कारण है कि रीढ़ को स्वस्थ और मजबूत रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अस्वस्थ जीवनशैली रीढ़ की हड्डी में दर्द, कमर दर्द, इत्यादि का खतरा पैदा करती है। इस तरह के परेशान करने वाले दर्द और पीड़ा से बचने के लिए, यहां कुछ बुनियादी सलाह दी गई हैं जिन पर अमल करने पर आपको फिट रहने में मदद मिलेगी। अपने शरीर की सुनो : आपका शरीर आपको संकेत भेजता रहता है कि चीजें अस्वस्थ हैं। लेकिन अधिकतर बार हम इन संकेतों को तब तक अनदेखा करते रहते हैं, जब कि बहुत देर न हो जाए। अपनी रीढ़ की हड्डी सीधे रखें : हमेशा सीधे खड़े हों और सीधे बैठें। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप बैठे होते हैं, तो यह आपकी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है क्योंकि यह झुकती है। जब आप बैठे होते हैं तो आपके घुटने सही स्थिति में हो और आपके पैर फ्लैट हों। अपनी शारीरिक गतिविधियां जारी रखें : जब मांसपेशियां थक जाती हैं तो स्लचिंग (आगे झुक कर बैठना या चलना), स्लंपिंग (अचानक गिरना) और अन्य खराब मुद्राएं होने की अधिक संभावना होती हैं। इसके कारण, गर्दन और कमर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। रिलैक्स्ड लेकिन समर्थित मुद्रा को बनाए रखने के लिए, अक्सर अपनी पॉजिशन बदलें। व्यायाम : रीढ़ की हड्डी को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए उन मांसपेषियों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है जो रीढ़ की हड्डी को स्थिर करती हैं और आपको कुशलतापूर्वक चलने-फिरने में मदद करती हैं।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 34

अंकुरित अन्नों में निहित पोषण शक्ति

आहार से जीवन सरल बनता है। अन्न एवं वनस्पतियां हमारे काय-कलेवर का प्राण हैं। भोजन में प्राणशक्ति न हो, हमारी मूल ईधन ही अपमिश्रित हो तो कलेवर में गति कहां से उत्पन्न हो? आवश्यकता इस बात की है कि अन्न प्राणवान बने, संस्कार दे, शरीर शोधन एवं नव-निर्माण की दोहरी भूमिका सम्पन्न करे। अंकुरित अन्नों का आहार इस प्रयोजन की पूर्ति सरलतापूर्वक करता है। अपने प्राकृतिक रूप में किया गया आहार पोषण की दृष्टि से तो उत्तम होता ही है, साथ ही औषधि का भी काम करता है। इस दृष्टि से आहार विज्ञानियों ने अंकुरित अन्नों को बहुत उपयोगी पाया है। वे जब अंकुरित स्थिति में फूटते हैं,तब अभिनव एवं अतिरिक्त गुण सम्पन्न होते हैं। स्वास्थ्य संरक्षण के लिए विटामिन, खनिज लवण, चिकनाई, प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा का होना अनिवार्य माना गया है जो अंकुरित खाद्यान्नों में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इनका सेवन करने से वानस्पतिक औषधियों के सेवन की तरह रक्त एवं धातुओं का शोधन होकर कायाकल्प का प्रतिफल सामने आता है। अंकुरित अन्न अतिरिक्त रसायनों से भरपूर होने के कारण जीवन-शक्ति के अभिवर्ध्दन एवं दीर्घायुष्य का लाभ साथ-साथ प्रस्तुत करते हैं। चूंकि अंकुरित अन्न-धान्य बिना आंच के प्राकृतिक रूप से तैयार होते हैं। अतः उनमें स्थित प्रोटीन, वशा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट को हमारी आंतें सरलतापूवर्क अवशोषित कर लेती हैं और रक्त तथा शक्ति में उसका शीघ्र परिवर्तन हो जाता है। प्रायः सभी प्रकार के अन्नों को अंकुरित करके आहार के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। गेहूं, चना, मूंग एवं मूंगफली जैसे अन्न खाने में स्वादिष्ट लगने के साथ ही पोषण एवं पाचन में उपयुक्त पाये गये हैं। जिनकी आंतें कमजोर हों, उनके लिए अंकुरण के पश्चात् थोड़ा उबला हुआ या उन्हें पीसकर देने से हितकारी सिध्द होता है पर जिनका पाचनतंत्र सबल हो, व्यायाम के अभ्यासी हों, उनके लिए चना और मूंगफली के अंकुरित दाने बहुत उपयोगी रहते हैं। साफ-स्वच्छ दानों को आवश्यकतानुसार पानी में भिगोकर लगभग 12 घंटे पश्चात् सूती कपड़े में बांधकर रख देने भर से अंकुरित भोजन तैयार हो जाता है। प्रयोगों में गेहूं के अंकुरों को सर्वाधिक उपयोगी पाया गया है। विख्यात आहार विज्ञानी डा. टामस ने इसे मनुष्य के लिए पूर्ण आहार बताया है। उनके अनुसार सभी आयु-वर्ग के लोगों के लिए यह एक उत्तम टॉनिक का कार्य करता है। बढ़े हुए अंकुरों को चबाकर या पीसकर छान लेने से पर्याप्त मात्रा में उपयुक्त विटामिन जैसे-राइबोफुलैफिन, थाइमिन, निकोटिनिक एसिड एवं आयरन, कैल्शियम आदि पोषण तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। हरी पत्तीदार सब्जियों एवं दूध से भी अधिक स्वास्थ्यवर्ध्दक एवं रक्तशोधक इसे पाया गया है। ताजे अंकुरों में क्लोरोफिल की मात्रा अधिक होती है। फलो ंएवं सब्जियों की तुलना में इनसे 12 गुना अधिक पोषक-तत्व शरीर को प्राप्त होते हैं। द अमेरिकन जनरल आफ सर्जरी नामक प्रसिध्द पत्रिका में प्रकाशित शोधपूर्ण विवरण केअनुसार अंकुरित गेहूं कार्यक्षमता बढ़ाकर शरीर में रक्त-संचार की प्रािया को संतुलित करता है। रक्ताल्पता, अल्सर और पायरिया जैसे रोगों की अचूक दवा तो यह है ही, गर्भाशय, पाचन प्रणाली और त्वचा रोग भी इससे ठीक हो जाते हैं। पाश्चात्य चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के जन्मजाता हिप्पाोटीज के अनुसार धान्यों का अंकुरण काल की ताजी हरी पत्तियां एक ऐसा पूर्ण आहार है, जिनसे उदरपूर्ति और चिकित्सा संबंधी उभयपक्षीय प्रयोजनों की पूर्ति होती है। पोषण के साथ-साथ शरीरशोधन का लाभ भी इससे मिलता है। इस संदर्भ में अमेरिका की सुप्रसिध्द महिला चिकित्सा विज्ञआन डा. एन. विग्मोर ने गहन अनुसंधान किया है। लम्बी अवधि तक किये गये विविध प्रयोग-परीक्षणों के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों को उन्होंने अपनी कृति हवाई सफर, इ आन्सर तथा व्हीट ग्रास मेन्ना में प्रकाशित किया है। उनके अनुसार गेहूं का छोटा पौधा प्रकति का ऐसा अनुपम उपहार है, जो पोषक होने के सात ही उत्तम औषधि का काम करता है। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का जीवनदायी रस सेवन कराकर उन्होंने कितने ही रोगियों की सफल उपचार किया है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहा गया है। जब इतना सुन्दर विकल्प हमारे समक्ष है तो हम क्यों अभक्ष्य खाते व दूसरों को खिलाते हैं। प्रत्येक बीज के अन्दर पोषक तत्व सघनता के साथ संग्रहित रहते हैं। जल, वायु और उचित ताप का सान्निध्य पाकर बीज जाग्रत हो उठता है। अब तक वह प्रसुप्त अवस्था में था। प्रसुप्त अवस्था में उसमें प्राणतत्व की मात्रा कम थी, जाग्रत-जीवंत ही उसमें प्राणतत्व की मात्रा में आशातीत वृध्दि होती है, इसीलिए अंकुरित अन्न सेवन करने वाले को प्राणतत्व अधिक मात्रा में प्राप्त होता है। तला-भुना अन्य मृत होने के कारण पोषक तत्वों से हीन होता है और अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, जबकि अंकुरित जीवित अन्न थोड़ी मात्रा में सेवन करने से ही पोषक तत्वों की पूर्ति करने में सक्षम होता है। इससे भोजन की बचत होतीहै। कम भोजन से अधिक व्यक्तियों के आहार की पूर्ति हो सकती है। प्रसुप्त बीज जब अनुकूल परिस्थितियां पाकर अंकुरित होता है तो मूलांकुर की वृध्दि होने लगती है। वृध्दि के लिए आहार की आवश्यकता होता है। इसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए बीज के अन्दर भोजन एकत्रित रहता है। इस भोजन का पाचन होकर ही मूलांकुर को मिलता हैस जिससे उसकी वृध्दि होती है। एकत्रित भोजन को पचाने के लिए एंजाइम्स की आवश्यकता होती है। बीज के अंकुरण के समय बीज के अन्दर एकत्रित भोजन को पचाने वाले एंजाइम्स का निर्माण होता है। ये एंजाइम्स अंकुरित अन्न के सेवनकर्ता को भी प्राप्त होते हैं, जिससे ऐसे भोजन का पाचन आसानी से हो जाता है। वृक्ष पर ही पके ताजा फलों को मनुष्य का प्रथम श्रेणी का आहार माना जा सकता है, लेकिन इसके अभाव में हर प्रकार के उपयोगी द्वितीय श्रेणी का भोजन अंकुरित अन्न ही है, जो सहजता से गरीब, अमीर सभी के लिए प्राप्त हो सकता है। आवश्यकता है सकी उपयोगिता समझकर इसे अत्यन्त रुचिपूर्ण ग्रहण करने की और इसमें स्वाद अनुभव करने की।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय … Read more

ऐसे जीतें सबका दिल

लाइफ चाहे प्रोफेशनल हो या पर्सनल, दोनों ही जगह आपका इंप्रेशन बेहद खास होना चाहिए। सुंदर व शालीन दिखना सिर्फ स्त्रियों का ही हक नहीं है। आज के पुरुष भी अपनी स्मार्ट पर्सनैलिटी को मेंटेन रखने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। 1. कभी भी मील्स स्किप न करें। टाइम पर बैलेंस्ड डाइट लें। वीकली डाइट प्लान बनाना भी सही रहेगा। नियमित सैलेड व दही जरूर लें। 2. आप चाहे कितना भी व्यस्त क्यों न हों, िफजिकल एक्सरसाइज के लिए समय जरूर निकालें। ज्यादा नहीं तो वॉक की आदत ही डाल लें। 3. सिगरेट व ड्रिंक्स से दूर ही रहें। इन्हें अपनी आदत न बनाएं। दोस्तों या कलीग्स के दबाव में आकर ज्यादा न पीएं। जितना मैनेज कर सकते हैं, उतना ही लें। 4. प्रतिदिन कम से कम 3-4 लीटर पानी पीएं। इससे आपकी स्किन फ्रेश और ग्लोइंग रहेगी। साथ ही यह आपकी सेहत के लिए भी अच्छा होगा। 5. समय पर सोने और जगने की आदत डालें। लेट नाइट पार्टीज या मूवीज के लिए अपनी नींद से समझौता न करें। हर चीज के लिए टाइम फिक्स करें। 6. समय पर शेविंग करवाएं। अगर आप हलकी दाढी या मूंछ रखते हों, तो उसे ट्रिम करवाते रहें। इसके लिए दिन निश्चित कर लें तो आसानी से याद रख सकेेंगे। 7. हलका लिप बाम लगाने से आपके होंठ मॉयस्चराइज रहेंगे। बाम बहुत ज्यादा न लगाएं, वर्ना ग्लॉस जैसा लुक आ जाएगा, जो कि अच्छा नहीं लगेगा। 8. जिम, ऑफिस, पार्टी से लौटे हों या सोकर उठे हों, शॉवर लेना न भूलें। इससे आप ताजगी और थकान से राहत महसूस करेंगे। 9. नाखूनों को नियमित कट व फाइल करते रहें। अपने पास फाइल र व क्लिपर रखें। गंदे नाखून नुकसानदेह हैं ही, सामने वाला भी गंदगी देखकर इरिटेट हो जाएगा। 10. अपना स्टाइल सेंस जरूर बनाएं। जो हाथ में आ जाए, बस उसे ही उठा कर न पहन लें। अवसर और समय के हिसाब से ड्रेसअप हों। 11. आपके कपडे सही फिटिंग के होने के साथ ही साफ और प्रेस किए हुए होने चाहिए। ढीले-ढाले या बहुत टाइट कपडे न पहनें। 12. पुरुषों को हमेशा उनके शूज से जज किया जाता है। उन्हें साफ व पॉलिश करके रखें। हर मौके के लिए अलग फुटवेयर रखें। 13. बहुत ज्यादा स्ट्रॉन्ग स्मेलिंग परफ्यूम लगाने से बचें। सस्ते परफ्यूम का इस्तेमाल न करें। वह आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। 14. अपने पोस्चर पर ध्यान दें। हमेशा सीधे होकर बैठें और काम करें। सही पोस्चर से न सिर्फ गर्दन, पीठ और कमर की सेहत ठीक रहती है, बल्कि इससे आपका आत्मविश्वास भी झलकता है। चाहें तो पोस्चर एक्सरसाइज कर सकते हैं। 15. आपके हैंडशेक करने के तरीके से भी आपका व्यक्तित्व पता चलता है। किसी से मिलते समय गर्मजोशी से हैंडशेक करें व मुस्कुराते हुए सामने वाले की आंखों में देखते रहें। 16. अगर आपको बहुत ज्यादा पसीना आता हो तो कॉटन की अंडरशर्ट पहनें। पैरों में पसीना आने की स्थिति में फुट पाउडर डालें। 17. चाहे दिन में काम कर रहे हों या रात में नाइट आउट, आपके कपडे थोडा-बहुत अस्तव्यस्त हो जाते हैं। बीच-बीच में उन्हें एडजस्ट करते रहें। 18. खाना खाने के बाद अपने दांतों का विशेष ध्यान रखें। हमेशा ब्रश करना संभव नहीं होता, इसलिए अपने पास माउथवॉश रखें। खाने के बाद मिंट माउथवॉश यूज कर सकते हैं। 19. किसी से बात करते वक्त हिचकिचाएं नहीं। अपनी बात स्मार्ट ढंग से रखें। मीटिंग में जाने से पहले तय कर लें कि क्या बोलना है। पॉइंट्स तैयार रखें, ताकि भूलने पर उन्हें देखा जा सके। 20. प्रेजेंटेशन देते समय ऑडियंस की आंखों में भी झांकेें। अपने पेपर्स और अन्य कागजों को एक फोल्डर में करीने से लेकर जाएं।   Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 32

वसीयत लिखते समय न करें ये गलतियां, वरना आ सकती हैं दिक्कतें

उम्र के एक पड़ाव पर आने के बाद अक्सर लोगों को अपनी संपत्ति का वारिश ढूंढना पड़ता है। हालांकि, अपनी संपत्ति का मालिकाना हक किसी दूसरे के हाथों में सौंपने के लिए व्यक्ति को वसीयत लिखनी जरूरी होती है। वसीयत एक कानूनी साक्ष्य होता है जो इस बात की पुष्टि करता है कि आपने अपनी संपत्ति का उत्तराधिकार किसे चुना है? अगर वसीयत न लिखी जाए तो उत्तराधिकारियों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है। हालांकि, वसीयत लिखते समय आपको कई जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो भविष्य में कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। इसी कड़ी में आज इस खबर के माध्यम से हम आपको उन जरूरी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका विशेष ध्यान वसीयत लिखते समय रखना चाहिए। आइए जानते हैं वसीयत लिखते समय आपको अपने चल और अचल संपत्ति की जानकारी विस्तार ढंग से देनी चाहिए। इसके अलावा आपको अपने बैंक खाते, प्रॉपर्टी की डिटेल्स, लॉकर नंबर आदि जानकारी वसीयत में ठीक से देनी चाहिए। इससे कंफ्यूजन पैदा नहीं होगी। वसीयत बनाते समय आपको एक काबिल एग्जीक्यूटर की जरूरत होती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आपकी वसीयत ठीक तरह से बंटी है। एग्जीक्यूटर को वसीयतकर्ता द्वारा नियुक्त किया जाता है। वसीयतकर्ता की मृत्यु के बाद एग्जीक्यूटर उसकी जगह लेता है। इस दौरान एग्जीक्यूटर यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति को वसीयतकर्ता की अंतिम इच्छा के अनुसार इम्प्लीमेंट किया जाए। वसीयत लिखते समय आपको हर पेज के नीचे अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। हस्ताक्षर करने के बाद उसके नीचे ब्रैकेट में अपना नाम जरूर लिखें। आप जिस भाषा में हस्ताक्षर कर रहे हैं उसी भाषा में आपको साफ और स्पष्ट ढंग से अपना नाम नीचे लिखना चाहिए। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 58

ज्यादातर भारतीय खा रहे हैं तय मात्रा से दोगुना नमक, जानिए इसके नुकसान

हाई सोडियम (नमक) वाली चीजों को सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक माना जाता रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि नमक वाली चीजों के अधिक सेवन के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा रहता है जिसे हृदय रोगों का प्रमुख कारण माना जाता है। पर इसके नुकसान सिर्फ हृदय रोगों तक ही सीमित नहीं हैं, ये आदत आपमें किडनी की बीमारी, हड्डियों की कमजोरी को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। यानी शरीर को स्वस्थ और फिट रखना है तो आहार में नमक की मात्रा कम करना बहुत जरूरी है। ज्यादा नमक खाने के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं और इससे बचाव के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि हमें कितनी मात्रा में नमक खाना चाहिए? और कितना नमक नुकसानदायक हो सकता है। एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में ज्यादातर लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित मात्रा से दो-तीन गुना अधिक नमक खाते हैं। कहीं आप भी तो बहुत अधिक नमक का सेवन नहीं कर रहे हैं? कितना नमक खाना सेहत के लिए ठीक है? डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ कहते हैं, अच्छी सेहत के लिए वयस्कों को दिनभर में 4-5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। ये मात्रा एक चम्मच नमक के बराबर है।यहां समझना जरूरी है कि नमक के सेवन का मतलब सिर्फ भोजन में डालने वाले नमक से नहीं है। चिप्स, नमकीन, पैक्ड फूड्स, जंक फूड आदि में भी नमक की अधिक मात्रा होती है। इन सभी चीजों को मिलाकर एक दिन में एक टेबलस्पून से अधिक नमक नहीं खाना चाहिए। भारत में नमक की खपत अधिक इसी साल मई में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ की  वैश्विक रिपोर्ट में चिंता जताते हुए विशेषज्ञों ने कहा था कि भारतीय लोग तय मात्रा से बहुत अधिक नमक का सेवन करते हैं। रिपोर्ट में भारत को अत्यधिक नमक की खपत वाले शीर्ष 50 देशों में रखा गया है। स्वस्थ शरीर के लिए आदर्श मात्रा प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 5 ग्राम तक है, जबकि ज्यादातर लोग प्रतिदिन 11 ग्राम से अधिक नमक खाते हैं। बढ़ता जा रहा है हाई ब्लड प्रेशर का खतरा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट कहती है, हर चार में से एक व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो सकता है। हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर को हृदय रोगों के लिए प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। डॉक्टर कहते हैं, आहार में नमक की मात्रा कम करके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखा जा सकता है। इस एक आदत में सुधार करके आप हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचे रह सकते हैं। कैसे जानें कहीं आप भी तो नहीं खा रहे हैं ज्यादा नमक? स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, बहुत ज्यादा नमक खाने के कारण आपको फौरी तौर पर कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जिसपर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है। ज्यादा नमक वाली चीजों के सेवन के कारण आपको पेट फूलने, ब्लड प्रेशर बढ़े रहने, पैरों में सूजन, बहुत अधिक प्यास लगने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। अगर आपको भी इस तरह की दिक्कतों का अनुभव होता है तो नमक या वो चीजें खाना कम कर दें जिनमें नमक की अधिकता हो सकती है। Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे बड़े समाचार पत्र समूहों में काम किया है।  और पढ़ें इस वेबसाइट का संचालन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हो रहा है, जहाँ से प्रदेश की राजनीति से लेकर विकास की योजनाएं तैयार होती हैं।दे श व प्रदेश जिले की ताजा अपडेट्स व राजनीतिक प्रशासनिक खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारी वेबसाइट (my secret news. Com )👈 ✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र  mysecretnews.com recent visitors 21

आज के समय में नौकरी कर रहा पारिवारिक जीवन को ख़तम

आज के जमाने में बढ़ रहे काम के बोझ के साथ पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौती बन गई है. जहां एक तरफ बढ़ती प्रतिस्पर्धा और जरूरतें के कारण लोग अपने करियर पर सबसे ज्यादा ध्यान देने पर मजबूर हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पारिवारिक जीवन की जरूरतें अनदेखी होती जा रही हैं. सुबह से रात तक की व्यस्त दिनचर्या, देर से घर लौटने और काम से संबंधित तनाव का असर न केवल व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि यह पारिवारिक संबंधों में भी दरार पैदा कर सकता है. इस संकट का मुख्य कारण है "वर्क-लाइफ बैलेंस" का अभाव. कई लोग अपनी नौकरी को प्राथमिकता देते हुए परिवार के सदस्यों के साथ बिताने वाले समय को कम करते जा रहे हैं. यह स्थिति बच्चों के विकास, दांपत्य संबंधों और परिवार के सामूहिक खुशी पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. शोध बताते हैं कि लंबे समय तक काम करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को भी खतरनाक तरीके से प्रभावित कर सकता है. कैसे नौकरी कर रही है पारिवारिक जीवन, 5 प्वाइंट में समझिए 1. कार्य का तनाव और मानसिक स्वास्थ्य काम का तनाव एक सामान्य समस्या बन गई है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो उच्च-प्रेशर वाले वातावरण में काम कर रहे हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, यह तनाव व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. तनाव के कारण व्यक्ति में चिंता, अवसाद, और थकान जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं. जब कोई व्यक्ति तनाव में होता है, तो उसकी मानसिक स्थिति सीधे तौर पर उसके पारिवारिक जीवन को प्रभावित करती है. तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर अपने भावनात्मक और मानसिक संसाधनों को काम में लगाने के कारण घर लौटने पर थका हुआ महसूस करता है. इस थकान का नकारात्मक प्रभाव परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत पर पड़ता है. तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर अपने परिवार के साथ संवाद करने में संकोच करता है. वे ज्यादातर चुप रहना पसंद करते हैं या केवल जरूरत पड़ने पर ही बातें किया करते हैं, जिससे पारिवारिक बातचीत की गुणवत्ता घट जाती है.  इसके अलावा जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो वह अपने परिवार के सदस्यों से भावनात्मक रूप से भी दूरी बना लेता है. यह स्थिति रिश्तों में दरार का कारण बन सकती है. परिवार के सदस्यों को यह अनुभव हो सकता है कि उनका प्रिय व्यक्ति उन्हें सुन नहीं रहा या उनके प्रति उदासीन है, जिससे अवसाद और नकारात्मक भावनाएं बढ़ सकती हैं. 2. समय की कमी साल 2022 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 70% कामकाजी माता-पिता अपने बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पा रहे हैं. यह समय की कमी परिवारों में असंतोष और संघर्ष को जन्म देती है. काम के कारण देर से घर लौटना, छुट्टियों का न लेना और परिवार के आयोजनों में भाग न लेना, सभी पारिवारिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं. 3. सामाजिक जीवन का अभाव काम की व्यस्तता के कारण लोग अपने सामाजिक जीवन को भी अनदेखा करने लगते हैं. एक रिसर्च में पाया गया कि 60% लोग काम के कारण अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलने की योजना नहीं बना पाते. इससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे अकेलापन और अवसाद बढ़ सकता है. 4. बच्चों पर प्रभाव एक अन्य अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि जिन माता-पिता की नौकरी अत्यधिक मांग वाली होती है, उनके बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं बढ़ने की संभावना अधिक होती है. शोध से पता चला है कि ऐसे बच्चे ज्यादा समय तक अकेले रहते हैं और यह उनके सामाजिक विकास को प्रभावित करता है. 5.रिश्तों में तनाव काम के दबाव के चलते दांपत्य संबंधों में भी तनाव बढ़ता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि काम के कारण होने वाली समस्याएं विवाहित जोड़ों के बीच आपसी संघर्ष को बढ़ाती हैं. लगभग 50% जोड़े जो काम के तनाव का सामना कर रहे थे, उन्होंने बताया कि यह उनके रिश्ते में दरार का कारण बन रहा है. तो क्या है इसका समाधान वर्क-लाइफ बैलेंस: लचीलापन प्रदान करना- गलूप 2022 की एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 82% कर्मचारी लचीले काम के घंटे को प्राथमिकता देते हैं और इसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का एक प्रमुख कारक माना जा रहा है. कंपनियां भी वर्क फ्रॉम होम और फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स जैसी नीतियां अपनाकर अपने कर्मचारियों की उत्पादकता और संतोष बढ़ा सकती हैं. पारिवारिक अवकाश- अमेरिकन साइकोलॉजी एसोसिएशन 2021 की एक रिपोर्ट में अलग अलग शोधों के आधार पर बताया है कि पारिवारिक छुट्टियों में भाग लेने से कर्मचारियों की मानसिक स्वास्थ्य में 30% सुधार होता है. ऐसे में कंपनियां अपने कर्मचारियों को साल में या 6 महीने में इस तरह की छुट्टियां देने पर विचार कर सकती हैं जो कर्मचारियों को अपने परिवार के साथ समय बिताने की अनुमति दें. संवाद को बढ़ावा: नियमित पारिवारिक बैठक- जर्नल ऑफ फैमली साइकोलॉजी, 2020 की एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन परिवारों में नियमित संवाद होता है, वहां तनाव और अवसाद की दर 50% तक कम हो जाती है. ऐसे में हर व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिये कि भले ही पूरा दिन वो अपने परिवार के सदस्यों से नहीं कर पाए हों. लेकिन, सुबह का नाश्ता या रात का खाना एक साथ खाएं और इस बीच आपस में दिनभर की बातें साझा करें. फैमली रिलेशन 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार भावनाओं को व्यक्त करने वाले परिवारों में आपसी समझ 70% अधिक होती है, जिससे रिश्तों में तनाव कम होता है. यह परिवार के सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देता है. Pushpendra“माय सीक्रेट न्यूज़” यह एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आपको देश – दुनिया और आपके आसपास की हर छोटी-बड़ी खबरों को आप तक पहुंचाती है। इस वेबसाइट का संचालन वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र जी कर रहे हैं। उन्होंने पत्रकारिता में BJC (बेचलर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) और MJC (मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री 2011 में हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर मप्र से हासिल की है। उन्होंने भोपाल के स्वदेश, राज एक्सप्रेस, राष्ट्रीय हिंदी मेल, सांध्य प्रकाश, नवदुनिया और हरिभूमि जैसे … Read more