बीजिंग
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर तनाव चल रहा है. दोनों एक-दूसरे को युद्ध की धमकी भी दे चुके हैं. दोनों देशों का झगड़ा सामान्य तू-तू मैं-मैं से आगे जा चुका है. इसी बीच चीन ने एक नॉन न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम तैयार कर लिया है. इसे नॉन न्यूक्लियर बम इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसे बनाने के लिए परमाणु मटेरियल का इस्तेमाल नहीं हुआ है. ये खबर सामने आते ही अमेरिका की टेंशन बढ़ना लाजमी है.
चीन ने इसका सफलतापूर्वक टेस्ट भी कर लिया
चीन ने इस नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम का सफलतापूर्वक टेस्ट भी कर लिया है. 2 किलो के वजन वाले इस बम ने 1000 डिग्री सेल्सियस की गर्मी वाला आग का गोला बनाया था. ये आग का गोला महज 2 सेकेंड के लिए ही रहा. हालांकि, ये TNT विस्फोटक के मुकाबले काफी ज्यादा गर्म था और इसके कायम रहने का टाइम भी अधिक रहा. TNT का ब्लास्ट तो सिर्फ 0.12 सेकंड में ही सिमट जाता है.
ऐसे काम करता है ये हाइड्रोजन बम
इस हाइड्रोजन बम को चीन स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन-CSSC के 705 रिसर्च इंस्टीट्यूट शोधकर्ताओं ने मिलकर बनाया है. ये बम मैग्नीशियम हाइड्राइड नाम के केमिकल से बना है, ये दिखने में चांदी जैसा नजर आता है. इसे बनाने वाली टीम में शामिल रहे वैज्ञानिक वांग जुएफेंग ने बताया कि जब मैग्नीशियम हाइड्राइड को विस्फोटक से एक्टिव किया जाता है, तो यह टूटता है और इससे हाइड्रोजन गैस निकलने लगती है. ये तेजी से जलने लगती है और तेज गति के साथ काफी दूर तक फैल जाती है. ये बम बड़े इलाके में तबाही मचा सकता है.
क्या है इस बम की खासियत?
शोधकर्ताओं ने चीनी भाषा के जर्नल ऑफ प्रोजेक्टाइल्स, रॉकेट्स, मिसाइल्स एंड गाइडेंस में कहा कि ये सक्रिय किए जाने पर मैग्नीशियम हाइड्राइड तेजी से थर्मल अपघटन से गुजरता है, जिससे हाइड्रोजन गैस निकलती है जो लगातार आग में बदल जाती है. सीएसएससी रिसर्च साइंटिस्ट वांग ज़ुएफेंग के नेतृत्व वाली टीम ने कहा, "हाइड्रोजन गैस के विस्फोट नई प्रज्वलन ऊर्जा के साथ प्रज्वलित होते हैं, इनका विस्फोट क्षेत्र व्यापक होता है. साथ ही इनकी लपटें तेजी से बाहर की ओर फैलती हैं. ये कॉम्बिनेशन विस्फोट की तीव्रता सटीक कंट्रोल रखता है, जिससे एक बड़े इलाके में टारगेट का आसानी से विनाश किया जा सकता है."
एल्युमिनियम को पिघलाने की क्षमता रखता है ये बम
ये हाइड्रोजन बम लंबे समय तक थर्मल डैमेज कर सकता है क्योंकि इससे बहुत ज्यादा गर्मी पैदा होती है. इससे पैदा सफेद गर्म आग का गोला एल्युमिनियम तक को पिघलाने की क्षमता रखता है. ये टीएनटी ब्लास्ट से भी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि टीएनटी का आग का गोला 0.12 सेकेंड तक रहता है तो ये हाइड्रोजन बम 2 सेकेंड तक आग का गोला बना रहा. वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका इस्तेमाल बड़े इलाकों में गर्मी पैदा करने या फिर खास तरह के टारगेट को तबाह करने के लिए किया जा सकता है. हालांकि अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि चीन की सेना किन परिस्थितियों में इस हथियार की तैनाती कर सकती है.
एल्यूमीनियम भी पिघल जाता है
ऐसा दावा है कि इस बम से जो आग का गोला बना, वह इतना गर्म था कि उससे एल्यूमीनियम भी पिघल जाता है. हालांकि, तकनीक की मदद से विस्फोट की स्पीड को कंट्रोल किया जा सकता है. आधुनिक दौर की जंग में ये बम बेहद कारगर साबित हो सकता है.
नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम की विशेषताएं
विस्फोटक शक्ति: यह बम 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाला आग का गोला बनाता है, जो सामान्य TNT विस्फोट की तुलना में 15 गुना अधिक समय तक रहता है.
छोटा आकार: इस बम का वजन केवल 2 kg है, जो इसे छोटे आकार में भी जबरदस्त शक्ति प्रदान करता है.
स्वच्छ ऊर्जा: यह बम रेडियोधर्मी कचरा नहीं छोड़ता है, जो इसे पारंपरिक न्यूक्लियर बम से अलग बनाता है.
वैश्विक सैन्य संतुलन पर प्रभाव
नई सैन्य रणनीतियां: यह बम युद्ध की तकनीक में एक नए युग की शुरुआत कर सकता है, जो पारंपरिक न्यूक्लियर हथियारों पर आधारित रणनीतियों को बदल सकता है.
वैश्विक सुरक्षा: इस बम के उपयोग से वैश्विक सुरक्षा के लिए नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, खासकर अगर यह तकनीक अन्य देशों या संगठनों के हाथ लगती है.
चीन के नए हथियार के मायने
चीन अपने नए हाइड्रोजन बम के जरिए कई निशाने साधने की कोशिश में है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन नहीं करना. दुश्मन पर बड़ा हमला करने के लिए विकल्प बढ़ाना शामिल है.
चीन के फायदे
रणनीतिक बढ़त: बिना परमाणु टैग के भी यह हथियार चीन को युद्धक्षेत्र में बढ़त दिलाएगा.
प्रतिरोधक क्षमता: यह हथियार दुश्मन देशों के लिए एक नया खतरा होगा, जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं.
अंतरराष्ट्रीय संधियों से बचाव: चीन अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ा सकता है बिना अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन किए.
भारत के लिए खतरा
– भारत-चीन सीमा पर पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति है.
– चीन इस हथियार का उपयोग सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित हमले के लिए कर सकता है.
– भारत को अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने और नई रणनीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है.
भारत-चीन सैन्य तुलना
चीन ने अपनी सेना को एआई, ड्रोन स्वार्म, हाइपरसोनिक मिसाइल और नॉन-न्यूक्लियर रणनीतिक हथियारों से लैस करना शुरू कर दिया है. भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं की तुलना चीन से करनी चाहिए. अपनी ताकत बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए.

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