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कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा बनाया जाने वाला लिपिड है, जो शरीर की कई क्रियाओं के लिए जरूरी होता है। पिछले कुछ समय से कोलेस्ट्रॉल को सेहत का दुश्मन माना जाने लगा है, जबकि यह पूरी तरह सही नहीं है। दिल, मधुमेह, ब्लड प्रेशर के लिए इसे खतरा मानने से पहले जानें इससे जुड़े कुछ मिथक…

मिथक-1, हृदय रोगों का कारण
रक्तप्रवाह के दौरान कोलेस्ट्रॉल एलडीएल और एचडीएल के जरिए एक जगह से दूसरी जगह जाता है। एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल रक्त से कोलेस्ट्रॉल को लिवर तक ले जाता है, वहीं एलडीएल (बुरा कोलेस्ट्रॉल) इसे लिवर से शरीर के दूसरे हिस्सों तक। आहार विशेषज्ञ अनुपमा मेनन कहती हैं, एचडीएल धमनियों में जमता नहीं है, वहीं एलडीएल धमनियों की दीवारों पर जम सकता है, जिससे रक्त प्रवाह सीमित होता है और हृदय रोगों की आशंका बढ़ती है। ऐसे में जरूरत एलडीएल के स्तर पर ध्यान देने की है।

मिथक-2, प्रभावित होता है ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट आदर्श सीके के अनुसार, ब्लड कोलेस्ट्रॉल दो स्रोत से उत्पन्न होता है, इसमें से अधिकतर यानी 85ः शरीर खुद बनाता है और शेष भोजन से मिलता है। ध्यान रखें, यदि भोजन में कोलेस्ट्रॉल अधिक है तो उसमें उच्च संतृप्त वसा व ट्रांस फैट की अधिकता भी होगी, जो ब्लड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा कर नुकसान पहुंचा सकता है। हमारा शरीर आहार में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा के आधार पर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है। यदि आहार में कोलेस्ट्रॉल अधिक है तो शरीर इसका कम निर्माण करेगा। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर जेनेरिक संरचना पर भी निर्भर करता है। मधुमेह पीड़ितों के लिए लिपिड प्रोफाइल व एलडीएल अधिक महत्व रखते हैं।

मिथक-3, कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो लें लो फैट डाइट
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपे अध्ययन के अनुसार, कम वसा वाली डाइट का खास फायदा नहीं होता। इससे शरीर कई बार फायदेमंद वसा से भी वंचित रह जाता है और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ खाने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे हृदय रोग व मधुमेह का खतरा बढ़ता है। डॉ. अनुपमा मेनन कहती हैं, संतृप्त वसा जैसे रेड मीट, फुल क्रीम मिल्क प्रोडक्ट्स, घी और नारियल तेल शरीर में एलडीएल का स्तर बढ़ाते हैं, इसलिए इनका सेवन कम करना चाहिए। ट्रांस फैट, जो होइड्रोजेनेटेड वनस्पति तेल में पाए जाते हैं, सबसे हानिकर व शरीर के लिए अनुपयोगी वसा है, जिससे एलडीएल बढ़ता है और एचडीएल कम होता है। डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ जैसे आलू चिप्स, बेकरी प्रोडक्ट व मैदा आदि में फाइबर कम और ट्रांसफैट अधिक होता है। नारियल तेल को दोबारा इस्तेमाल करना भी ट्रांस फैट के स्तर को बढ़ाता है।

मिथक-4, मेवा व अंडे का सेवन बढ़ाता है कोलेस्ट्रॉल
पशु ऊतकों से ही कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न होता है। मेवा वनस्पति जन्य है, इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता। सूखे मेवे में असंत़ृप्त वसा होती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार आता है। डॉ. अनुपमा के अनुसार, अंडे के पीले भाग में मिनरल, असंतृप्त वसा, विटामिन डी व बी-12 प्रचुरता में होते हैं। एक अंडे में 200 से 300 एमजी कोलेस्ट्रॉल होता है, जो शरीर के लिए अनुकूल नियमित 200 एमजी की सीमा से अधिक है। जिन्हें कोलेस्ट्रॉल की समस्या नहीं है, वे सप्ताह में 5-6 दिन अंडा खा सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को यूं करें मैनेज:-
-प्रतिदिन साबुत अनाज, प्राकृतिक खाद्य पदार्थ, फल व सब्जियां खाएं।
-प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम करें।
-ट्रांस फैट व सेचुरेटेड फैट का सेवन कम करें।
-अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लिए सूखे मेवे, अलसी के बीज, सूरजमुखी के बीज और फैटी फिश का सेवन करें।
-कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करना चाहिए।

 

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