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भोपाल

जलवायु परिवर्तन को भारतीय कृषि के लिए एक तात्कालिक और गंभीर संकट बताते हुए, मध्यप्रदेश के सहकारिता, खेल और युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने बुधवार को भोपाल में आयोजित "क्षेत्रीय नीति संवादः जलवायु परिवर्तन और इसका कृषि पर प्रभाव" विषयक कार्यक्रम में जलवायु चेतना और सामूहिक प्रयासों को गति देने की अपील की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच का उल्लेख करते हुए कहा, "जलवायु की चुनौतियाँ हम सभी के सामने हैं और इसमें हर व्यक्ति की भूमिका है। अब समय है कि हम सभी मिलकर निर्णायक कदम उठाएं।"

सस्टेनेबिलिटी मैटर्स द्वारा इंडियागरी और सॉलिडरिदाद के सहयोग से आयोजित इस संवाद में कृषि वैज्ञानिकों, नीति विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और किसानों ने हिस्सा लिया। सभी का उद्देश्य था- जलवायु के अनुकूल कृषि की दिशा में सामूहिक और वैज्ञानिक समाधान खोजने का प्रयास करना।

मंत्री सारंग ने यह भी आश्वस्त किया कि इस तरह के संवादों को राज्य सरकार पूरा समर्थन देगी ताकि व्यावहारिक समाधान सामने आएं। उन्होंने कहा, "ऐसे विचार-मंथन अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि इन्हीं से ठोस नीतियाँ और सहयोगी मॉडल तैयार होते हैं।"

सॉलिडरिदाद के जनरल मैनेजर डॉ. सुरेश मोटवानी ने जलवायु-संवेदनशील कृषि और बदलते मौसम में अनुकूलन' विषय पर सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा, "सच्ची जलवायु लचीलापन खेत स्तर से शुरू होती है, लेकिन इसके लिए नवाचार और समेकित नीति समर्थन भी जरूरी है। अब कृषि केवल उत्पादन नहीं, बल्कि आजीविका, पारिस्थितिकी तंत्र और खाद्य सुरक्षा की रक्षा का माध्यम भी है।"

कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने जल-गहन खेती की बजाय माइक्रो-इरिगेशन, वॉटर शेड डेवलपमेंट और विकेन्द्रीकृत जल शासन जैसे टिकाऊ उपायों को अपनाने पर जोर दिया। साथ ही, पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक जलवायु विज्ञान को जोड़ने वाली संस्थागत संरचनाओं की आवश्यकता पर बल दिया गया, ताकि किसानों की आवाज भी जलवायु योजना में शामिल हो।

सस्टेनेबिलिटी मैटर्स के कार्यकारी निदेशक और ग्रेमैटर्स कम्युनिकेशंस के निदेशक डॉ. नवनीत आनंद ने संवाद को अकादमिक चर्चा से आगे ले जाकर नीति-निर्माण से जोड़ने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा, "हमें जलवायु चिंता से जलवायु कार्रवाई की ओर बढ़ना होगा। मध्यप्रदेश में कृषि की गहराई और नवाचार को अपनाने की तत्परता है, जिससे यह राज्य नेतृत्व करने में सक्षम है। यह मंच विज्ञान, मिट्टी, नीति और स्थिरता को एक सूत्र में जोड़ने का प्रयास है।"

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल के जलवायु परिवर्तन अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष डॉ. भास्कर सिन्हा ने विधायकों को जागरूक करने और केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं के प्रमाची मूल्यांकन के लिए एक मजबूत निगरानी तंत्र की आवश्यकता बताई।

संवाद के दौरान दो प्रमुख पैनल चर्चाएँ आयोजित की गई, जिनमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सहित अनेक प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समापन सस्टेनेबिलिटी अवार्ड्स 2025 के आयोजन के साथ हुआ, जिसमें देशभर में कृषि क्षेत्र में स्थायी बदलाव लाने वाले अग्रणी प्रयासों को सम्मानित किया गया।

इस वर्ष आठ श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए। सॉइल हेल्थ चैंपियन का सम्मान निको रूज़ेन सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर रिजनरेटिव एग्रीकल्चर और बिहार कृषि विभाग को संयुक्त रूप से मिला। बिहार कृषि विभाग को क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर और वॉटर कंजर्वेशन श्रेणियों में भी सम्मानित किया गया।

एग्री एक्रेस को एजीटेक स्टार्ट-अप ऑफ़ द ईयर घोषित किया गया, जबकि दिलीप धाकड़ को उनके मधुमक्खी पालन स्टार्ट-अप डी-मालवा के लिए यंग अग्रिप्रेन्योर अवार्ड से नवाजा गया। कम्युनिटी-लेड एग्रीकल्चर सस्टेनेबिलिटी अवार्ड भरतखंड कंसोर्टियम ऑफ़ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी एलटीडी. को दिया गया।

प्रोग्रेसिव फार्मर रिकॉग्निशन श्रेणी में शिवेंद्र सिंह राजपूत (ग्राम बधेर), संजना बामनिया (ग्राम धानखेड़ी, सीहोर) और प्रेम सिंह (ग्राम भीलखेड़ा, विदिशा) को जलवायु-संवेदनशील कृषि में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

यह भोपाल संवाद एक राष्ट्रीय श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका अगला आयोजन चंडीगढ़, पटना और गुवाहाटी में होगा, ताकि भारत की कृषि के लिए एक' क्षेत्रीय रूप से सुसंगत और समावेशी जलवायु कार्य योजना तैयार की जा सके।

 

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