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भोपाल
मध्य प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को उत्तम और विश्वस्तरीय इलाज मिलने की शुरुआत की जा रही है। अब किसी अस्पताल से मरीजों को अन्य अस्पतालों में सिर्फ इसलिए रेफर नहीं किया जा सकेगा कि वहां डॉक्टर नहीं हैं। इसका रास्ता मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने निकाल लिया है।

प्रदेश के जिन अस्पतालों में सर्जरी के लिए ऑपरेशन थियेटर व अन्य संसाधन उपलब्ध हैं, वहां हर तरह के आपरेशन संभव होंगे। विशेषज्ञ की कमी के कारण सर्जरी नहीं रुकेगी। इसके लिए सरकार निजी डॉक्टर्स को अस्पताल बुलाएगी। सर्जरी और एनेस्थीसिया देने के लिए निजी डॉक्टरों की सेवाएं ली जा सकेंगी। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
डॉक्टर की कमी से नहीं रुकेगा इलाज

सरकार का मानना है कि इस प्रक्रिया का लाभ यह होगा कि जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी डॉक्टरों की कमी से सर्जरी या अन्य इलाज नहीं रुकेगा। आपको बता दें कि सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने यह तरीका इजाद किया है।
भुगतान की दरें भी निर्धारित

हालांकि शुरुआत में यह व्यवस्था आयुष्मान रोगियों के लिए शुरू की गई है। बेहतर रिस्पांस मिलने के बाद अन्य रोगियों को भी इस सेवा का अवसर मिल पाएगा। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त तरुण राठी के अनुसार निजी सेवाएं देने वाले डॉक्टरों के लिए भुगतान की दरें भी निर्धारित कर दी गई हैं। इन्हें भुगतान मासिक आधार पर किया जाएगा।
ये रहेगी रेट लिस्ट

सर्जिकल विशेषज्ञ डॉक्टर्स को संबंधित बीमारी में आयुष्मान योजना में निर्धारित पैकेज की कुल राशि का 21.6 प्रतिशत दिया जाएगा। जबकि एनेस्थीसिया यानि बेहोश करने वाले विशेषज्ञ को 10.8 प्रतिशत दिया जाएगा। सर्जरी करने वाले डॉक्टर की ऑपरेशन के पहले से लेकर फालोअप तक उपचार की संपूर्ण जिम्मेदारी होगी। गौरतलब है कि आयुष्मान योजना में आपरेशन के 99 प्रतिशत पैकेज में राशि दो हजार से अधिक है। सामान्य मानी जाने वाली गठान का आपरेशन पैकेज 2000 रुपये, साइनस की सर्जरी के 5000 रुपये, नसबंदी के दो हजार रुपये है। हालांकि निजी क्षेत्र के डॉक्टर्स मध्य प्रदेश सरकार की इस योजना में कितनी रुचि लेते हैं? यह आने वाले समय में साफ हो पाएगा।

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