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इंदौर
अपराध शाखा ने साइबर अपराध के माड्यूल का भंडाफोड़ किया है जो सैकड़ों सीनियर सिटीजन से डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों रुपयों की ठगी कर चुका है। बीए पास इस अपराधी ने दिल्ली के पटेल नगर में डार्क रूम (कॉल सेंटर) बना रखा था।

अधिकारी बनकर लगाते थे फोन
आरोपित पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), टेलीकाम रेग्युलेशन अथारिटी आफ इंडिया(ट्राई), कस्टम विभाग, सीबीआई और आरबीआई अधिकारियों के नाम से कॉल लगाता था। आरोपित से शहर के 20 हजार बुजुर्गों का डेटा, वायरलेस फोन, मोबाइल नेटवर्क बूस्टर, स्पीच की स्क्रिप्ट और सिम क्लोनिंग उपकरण मिले हैं।

46 लाख रुपये की धोखाधड़ी
डीसीपी (अपराध) राजेश त्रिपाठी के मुताबिक आर्थिक अपराध ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) विंग 65 वर्षीय वृद्धा छाया से हुई 46 लाख रुपये की धोखाधड़ी (डिजिटल अरेस्ट) की जांच कर रही थी। इस दौरान एक संदिग्ध नंबर मिला जिसकी लोकेशन दिल्ली के पटेल नगर क्षेत्र की मिल रही थी।

इंटरव्यू के बहाने दाखिल हुई टीम
इस क्षेत्र में करीब 50 व्यावसायिक बहुमंजिला इमारते हैं। पुलिसकर्मियों ने इमारतों के आसपास डेरा डाला और चाय, नाश्ता, पान की दुकान, केनोपी लगाकर सिमकार्ड और रिचार्ज करने वालों की जानकारी जुटाई। एक टुकड़ी बायोडाटा लेकर आफिस में इंटरव्यू के बहाने दाखिल हुई।

डार्क रूम बना रखा था
टीम ने उन जगह को छांटा जहां बोर्ड नहीं लगा है और चाय-नाश्ता की आपूर्ति भी हो रही है। डार्क रूम की पुष्टि होने पर पुलिस ने दबिश देकर 22 वर्षीय ऋतिक कुमार जाटव निवासी नेहरू नगर (दिल्ली) को गिरफ्तार कर लिया।

नौकरी पर रखे थे कई युवक-युवतियां
डीसीपी के मुताबिक ऋतिक ने काल सेंटर बना रखा था, जिसमें कई युवक-युवतियां नौकरी करते थे। ऋतिक ने स्पीच की स्क्रिप्ट लिखी थी। कर्मचारी उसके द्वारा लिखी स्क्रिप्ट पढ़कर काल लगाते थे। शुरुआत पीएफआरडीए से करते थे।

बुजुर्गों को देते थे झांसा
बुजुर्गों को सीपीएफ की फाइल प्राप्त होने और तीन लाख 75 हजार 850 रुपये जनरेट होने का झांसा देते थे। पेंशनधारी झांसे में आकर आरोपित के बताए अनुसार प्रक्रिया में लग जाते थे। इस तरह इस माड्यूल ने देशभर के सैकड़ों बुजुर्गों से करोड़ों रुपये ठग लिए।

20 हजार बुजुर्गों का डेटा मिला
कॉल सेंटर की तलाशी लेने पर पुलिस को वायरलेस फोन, मोबाइल नेटवर्क बूस्टर, जीएसएम फोन, स्क्रिप्ट लिखी डायरियां, हाजिरी रजिस्टर, मानीटर, प्रिंटर, की-पैड फोन, सिमकार्ड मिले हैं। आरोपित से देशभर के लाखों बुजुर्गों की निजी जानकारी जैसे परिवार के सदस्य, उम्र, व्यवसाय, रिश्तेदार, आधार और पैन कार्ड नंबर की जानकारी भी मिली है। इसमें इंदौर के 20 हजार बुजुर्गों का डेटा भी शामिल है।

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