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Question on the rights of Sanatan Dharma: Big announcements made by Devkinandan Thakur in Dharma Sansad

देश में वक्फ तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं? – देवकीनंदन ठाकुर का सवाल और धर्म संसद का ऐलान

भोपाल। प्रख्यात कथावाचक Devkinandan Thakur in Dharma Sansad ने हाल ही में वक्फ बोर्ड और सनातन धर्म के अधिकारों को लेकर एक बड़ी मांग उठाई है। जबलपुर, मध्य प्रदेश में एक सभा के दौरान उन्होंने यह सवाल किया कि यदि देश में वक्फ बोर्ड के तहत संपत्तियों का प्रबंधन किया जा सकता है, तो सनातन धर्म के लिए ऐसा कोई बोर्ड क्यों नहीं है? इसके लिए उन्होंने “सनातन बोर्ड” की आवश्यकता पर जोर दिया और राजनीतिक पार्टियों से इस पर स्पष्ट रुख अपनाने का आग्रह किया।

तिरुपति प्रसाद विवाद और हिंदुओं की धार्मिक आस्था

देवकीनंदन ठाकुर ने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में कथित रूप से चर्बी मिलाए जाने की घटना पर भी गहरी आपत्ति जताई। उनके अनुसार, यह आस्था और धर्म का गंभीर उल्लंघन है और इसे 100 करोड़ हिंदुओं की हत्या के समान माना जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि प्रसाद में अशुद्धता फैलाने वाले दोषियों को फांसी या आजीवन कारावास जैसी कड़ी सजा दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि ऐसे कृत्य से हिंदुओं की धार्मिक भावना को गहरी चोट पहुँचती है और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।

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वक्फ बोर्ड बनाम सनातन बोर्ड: धार्मिक संतुलन की माँग

देवकीनंदन ठाकुर ने यह भी कहा कि देश में वक्फ बोर्ड के पास अनेक संपत्तियों का स्वामित्व है, जिनमें कुछ संसद और एयरपोर्ट जैसी महत्वपूर्ण जगहों पर भी दावा किया जा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि यदि ऐसे ही हालात बने रहे तो 10-12 सालों में वक्फ बोर्ड पूरे देश पर अधिकार जमाने का दावा करेगा। इसके मद्देनजर उन्होंने माँग की कि जैसे वक्फ बोर्ड को संपत्तियाँ दी गई हैं, उसी प्रकार सनातन बोर्ड को भी संपत्तियाँ दी जानी चाहिए ताकि धार्मिक संतुलन बना रहे।

राजनीतिक दलों से सवाल और धर्म संसद का आयोजन

देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि इस विषय पर सभी राजनीतिक दलों को अपना रुख स्पष्ट करना होगा और सनातन बोर्ड के मुद्दे पर उनका समर्थन भी करना होगा। उन्होंने घोषणा की कि 16 नवंबर को दिल्ली में एक विशाल धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सनातन धर्म के अधिकारों और संरक्षण के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

धर्म संसद में उठाए जाने वाले मुद्दे आगामी

धर्म संसद में लव जिहाद, गौ हत्या, कृष्ण जन्मभूमि की वापसी, और अन्य धार्मिक एवं सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। देवकीनंदन ठाकुर ने जनता से इस धर्म संसद में पहुँचने का आह्वान किया ताकि इन गंभीर मुद्दों पर व्यापक समर्थन और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए जा सके।

ऐतिहासिक स्थलों की वापसी का संकल्प देवकीनंदन ठाकुर ने इस दौरान एक और महत्वपूर्ण बात कही कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों में भगवान केशव की छवि को दबाकर रखा गया है। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि इसे हर हाल में वापस लाया जाएगा, क्योंकि यह सनातन धर्म के मान-सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।

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देवकीनंदन ठाकुर द्वारा उठाए गए ये मुद्दे न केवल सनातन धर्म की आस्था से जुड़े हैं, बल्कि धार्मिक संपत्तियों के संतुलन और सम्मान की भी माँग करते हैं। उनकी पहल से समाज में व्यापक चर्चा शुरू हो गई है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राजनीतिक दल और अन्य धार्मिक संस्थाएँ इस पर क्या रुख अपनाती हैं। धर्म संसद के आयोजन के साथ ही इन मुद्दों पर और भी गहन विमर्श होने की संभावना है, जो भारत के धर्म-समाज की दिशा और संतुलन को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है।

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