इजराइल
इजराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है, जिनमें निर्माण उद्योग भी शामिल है। इस युद्ध के चलते इजराइल ने हजारों फिलिस्तीनी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में भारतीय निर्माण श्रमिकों ने तेजी से इस कमी को भरने में मदद की है। पिछले वर्ष में लगभग 16,000 भारतीय श्रमिकों ने इजराइल के निर्माण स्थलों पर अपनी जगह बनाई है।
निर्माण स्थलों पर बदलाव
मध्य इजराइल के बीर याकोव में निर्माण स्थलों पर अब हिंदी, हिब्रू और मंदारिन बोलने वाले श्रमिक दिखेंगे, जहां पहले अरबी भाषी फिलिस्तीनी कामगार काम करते थे। इजराइल में भारतीय श्रमिकों के लिए अधिक आय एक प्रमुख आकर्षण है। कई श्रमिक घर पर मिलने वाले वेतन से तीन गुना ज्यादा कमा रहे हैं। 35 वर्षीय राजू निषाद जैसे श्रमिक, जो उत्तर प्रदेश से आए हैं, इजराइल में अपने परिवार के भविष्य के लिए बचत और निवेश करने के इरादे से काम कर रहे हैं।
भारत-इजराइल साझेदारी के बीच श्रम नया बाजार
दिल्ली स्थित डायनेमिक स्टाफिंग सर्विसेज के अध्यक्ष समीर खोसला ने अक्टूबर 2023 के बाद से 3,500 से अधिक भारतीय श्रमिकों को इजराइल भेजा है। खोसला ने बताया कि इजराइल में कुशल श्रमिकों की भारी मांग है और भारत इसमें सहयोग करने के लिए स्वाभाविक रूप से तैयार है। उनके अनुसार, इजराइल के लिए भारत एक स्वाभाविक विकल्प है क्योंकि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं। बता दें इजराइल सरकार की योजना है कि वह और अधिक भारतीय श्रमिकों को बुलाकर निर्माण उद्योग में स्थिरता लाए। फिलहाल, युद्ध से पहले के निर्माण स्तर तक पहुंचने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। युद्ध से पहले लगभग 80,000 फिलिस्तीनी और 26,000 विदेशी निर्माण कार्यों में कार्यरत थे। आज यह संख्या घटकर लगभग 30,000 रह गई है।
श्रम बाजार में चुनौतियां और संभावनाएं
सेंट्रल बैंक ऑफ इजराइल के अनुसार, निर्माण गतिविधियां युद्ध-पूर्व स्तरों से लगभग 25 प्रतिशत कम हैं। इजराइल की आबादी हर साल दो प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और यह देरी भविष्य में आवास की कमी का कारण बन सकती है। इसलिए भारतीय श्रमिक इजराइल के निर्माण उद्योग में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। वे न केवल अपनी निर्माण विशेषज्ञता लेकर आए हैं, बल्कि अपने घर के स्वाद और संस्कृति को भी साझा कर रहे हैं। इजराइल के निर्माण उद्योग में भारतीय श्रमिकों का योगदान दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी को दर्शाता है। बढ़ती आबादी और युद्ध के प्रभावों के बावजूद इन श्रमिकों की उपस्थिति इजराइल के आर्थिक पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभा रही है।

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