Farmers are not happy on Farmer’s Day: Struggle for rights continues
- किसान दिवस सार्थक करने में सरकार विफल
भोपाल। हर साल 23 दिसंबर को देशभर में किसान दिवस मनाया जाता है। यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में किसानों को सम्मानित करने और उनके योगदान को स्वीकारने के लिए मनाया जाता है। चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन किसानों के अधिकारों और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए समर्पित किया। लेकिन आज, जब किसान दिवस मनाया जा रहा है, तो सवाल उठता है कि क्या किसान वास्तव में खुश हैं?
केंद्र की नीतियों से नाराज किसान
पिछले कुछ वर्षों में किसानों के साथ जो कुछ हुआ है, उसने उन्हें गहरे असंतोष में डाल दिया है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों ने किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया था। ये कानून किसानों के लिए इतने घातक साबित हुए कि लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर महीनों तक धरने पर बैठे रहे। इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों ने अपनी जान गंवा दी। अंततः, किसानों के दबाव में सरकार को पीछे हटना पड़ा और इन कानूनों को वापस लेना पड़ा।
और पढ़ेंधरने और आंदोलन आज भी जारी
कानूनों की वापसी के बावजूद किसानों की समस्याएं खत्म नहीं हुई हैं। उनकी मांगें अब भी वही हैं—फसल का उचित दाम, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी, कर्जमाफी, और कृषि में सुधार। किसान लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनकी मेहनत का सही मुआवजा उन्हें मिलना चाहिए। वर्तमान में भी देश के कई हिस्सों में किसान धरने पर बैठे हैं।
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की कर प्रणाली ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है। बढ़ती महंगाई, डीजल और खाद की कीमतों में इजाफा, और न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनिश्चितता ने उनके मुनाफे को खत्म कर दिया है। ऐसे में खेती एक घाटे का सौदा बनती जा रही है।
किसान दिवस का महत्व तब ही, जब किसानों की सुनी जाए
आज, जब भारत सरकार किसान दिवस मना रही है, तो यह जरूरी है कि यह उत्सव केवल प्रतीकात्मक न हो। किसानों की समस्याओं का समाधान खोजा जाए और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जाएं। किसान केवल एक दिन का सम्मान नहीं चाहते, बल्कि वे अपनी मेहनत का सही मुआवजा और खेती को टिकाऊ बनाने के लिए ठोस कदम चाहते हैं।
किसानों के बिना देश अधूरा
भारत की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने की नींव किसान हैं। अगर किसान खुश नहीं होंगे, तो देश का विकास भी अधूरा रहेगा। किसान दिवस का असली मतलब तभी पूरा होगा, जब सरकार और समाज दोनों मिलकर उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे और उन्हें उनकी मेहनत का हक देंगे।
“जय जवान, जय किसान” का नारा तभी सार्थक होगा, जब किसान सही मायनों में खुश और सशक्त होंगे।
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✍️ पुष्पेन्द्र , (वरिष्ठ पत्रकार) भोपाल, मप्र
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