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How did government school books reach the junk dealer? Villagers caught the discrepancy, principal in the dock

books reach junk dealer सागर जिले के बंडा विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मगरदा में सोमवार को उस समय हंगामा मच गया, जब ग्रामीणों ने स्कूल से पिकअप वाहन में किताबें ले जाते हुए पकड़ लिया। ग्रामीणों का आरोप है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा वितरित की गई ये किताबें रद्दी में बेचने के लिए भेजी जा रही थीं।

सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आया और मौके पर नायब तहसीलदार, बीईओ और बीआरसीसी पहुंचे। अधिकारियों ने किताबों को जब्त कर पंचनामा तैयार किया और स्कूल प्राचार्य आर.के. रोहित सहित अन्य संबंधितों के बयान दर्ज किए।

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प्राचार्य पर संदेह की सुई

ग्रामीणों का कहना है कि पिकअप वाहन कबाड़ी का था, जिससे यह शक और गहरा हो गया कि किताबें बेचने की कोशिश की जा रही थी। जब्त पुस्तकों में पिछले वर्ष की किताबें भी थीं, जिनमें इस वर्ष कोई बदलाव नहीं हुआ है और इन्हें पुनः छात्रों को वितरित किया जा सकता था।

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प्रशासन की कार्यवाही books reach junk dealer

तहसीलदार विजयकांत त्रिपाठी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही जांच शुरू कर दी गई है। उनके अनुसार—
“प्राचार्य का कहना है कि जहां किताबें रखी थीं, वहां लैब का निर्माण होना है, इसलिए पुस्तकों को अतिरिक्त भवन में शिफ्ट किया जा रहा था। हालांकि वाहन कबाड़ी का था, इस पर प्रतिवेदन तैयार कर लिया गया है और जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी।”

प्राचार्य की सफाई और उठते सवाल

प्राचार्य आर.के. रोहित ने सफाई दी कि किताबों को बेचा नहीं जा रहा था, बल्कि उन्हें केवल दूसरी जगह रखने के लिए भेजा जा रहा था। लेकिन सवाल यह है कि यदि किताबें बच्चों के लिए थीं, तो उन्हें समय रहते बांटा क्यों नहीं गया? ग्रामीणों और अभिभावकों का यही गुस्सा अब प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।

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