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मुंगेली

छत्तीसगढ़ में सायबर ठगी के बढ़ते मामलों को रोकने की दिशा में मुंगेली पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. SP भोजराम पटेल के निर्देशन में जिले में सायबर ठगों को अपना बैंक अकाउंट सौपने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है. खातों में संदिग्ध लेन-देन की जानकारी मिलने पर पुलिस ने मामले की जांच की, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख रूपये का लेन-देन किया गया था. कमिशन के लालच में सायबर अपराध में शामिल ऐसे 3 म्यूल खाताधारकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

क्या है पूरा मामला?
मुंगेली पुलिस ने सायबर ठगी में इस्तेमाल हो रहे म्यूल खातों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है. एसपी भोजराम पटेल के निर्देश पर म्यूल खाताधारकों के खिलाफ जांच शुरू की गई, जिसमें पाया गया कि इन खातों का उपयोग साइबर ठगों द्वारा ठगी से प्राप्त रकम के लेन-देन के लिए किया जा रहा था. पुलिस ने साइबर अपराध समन्वय केंद्र और पुलिस मुख्यालय रायपुर की तकनीकी टीम से मिली जानकारी के आधार पर जांच शुरू की. इस दौरान विभिन्न बैंक शाखाओं में 5 लाख 76 हजार रुपये का संदिग्ध लेन-देन सामने आया.

जांच में क्या खुलासा हुआ?
पुलिस ने 2 मार्च 2025 को 22 बैंक खाताधारकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी और संगठित अपराध के तहत मामला दर्ज किया. जांच में यह सामने आया कि संजीव जांगड़े नामक व्यक्ति ने कमीशन के लालच में अपना बैंक खाता, आधार कार्ड, एटीएम और मोबाइल नंबर ईश्वर घृतलहरे को 12,000 रुपये में बेच दिया था. ईश्वर ने इसके बाद 10,000 रुपये कमीशन लेकर सेवकराम साहू को बेच दिया. इस प्रक्रिया में इन तीनों आरोपियों के बैंक खातों से 1 करोड़ 30 लाख रुपये का लेन-देन हुआ.

आरोपियों की पहचान:
    संजीव जांगड़े (35 वर्ष), निवासी बोदा, थाना फास्टरपुर
    ईश्वर सिंह घृतलहरे (47 वर्ष), निवासी सेमरचुवा, थाना फास्टरपुर
    सेवकराम साहू (40 वर्ष), निवासी चिखली, थाना भोरमदेव, जिला कबीरधाम

ये तीनों आरोपी साइबर ठगों को अपने बैंक खाते देने के बदले कमीशन लेते थे, और इन खातों का उपयोग ठगी से प्राप्त पैसे को ट्रांसफर करने और निकालने के लिए किया जाता था. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया है, और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.

म्यूल अकाउंट क्या होता है?
म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते होते हैं, जिन्हें साइबर ठग धोखाधड़ी की रकम ट्रांसफर करने के लिए उपयोग करते हैं. साइबर अपराधी इन खातों का उपयोग यूपीआई के जरिए बिना बैंक गए पैसे एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करने में करते हैं. इन खातों को बेचने वाले लोग अक्सर कमीशन के लालच में अपनी जानकारी साइबर ठगों को देते हैं, जिससे धोखाधड़ी की रकम इनके खातों में जमा होती है.

पुलिस की अपील
पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कहा कि जांच अभी भी जारी है, और साइबर ठगी से जुड़ी सभी जानकारी एकत्रित की जा रही है. उन्होंने आम जनता से अपील की कि वे किसी भी लालच में आकर अपना खाता, एटीएम, सिमकार्ड या अन्य जानकारी साइबर ठगों को न दें. यदि कोई इस प्रकार का धोखाधड़ी करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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