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जबलपुर

मध्यप्रदेश के विश्वप्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने टाइगर रिजर्व की सीमा से 10 किलोमीटर के भीतर संचालित सभी आरा मशीनों और अन्य काष्ठ आधारित उद्योगों को हटाने के निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश उमरिया निवासी सीमांत रैकवार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया गया है।

याचिका में कहा गया था कि उमरिया शहर के विनायक टाउन क्षेत्र में संतोष गुप्ता नामक व्यापारी द्वारा संचालित आरा मशीन से न केवल ध्वनि और वायु प्रदूषण फैल रहा है, बल्कि यह वन क्षेत्र के समीप नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रही है। सीमांत रैकवार ने इसकी शिकायत वन विभाग और जिला प्रशासन से की थी, लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई न होने के कारण उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली।

सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि न केवल संबंधित आरा मशीन नियमों का उल्लंघन कर रही है, बल्कि इस प्रकार के अन्य काष्ठ उद्योग भी बफर जोन के भीतर चल रहे हैं, जो पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए गंभीर खतरा हैं। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि टाइगर रिजर्व की सीमा से 10 किलोमीटर के भीतर स्थापित सभी आरा मशीनों और काष्ठ उद्योगों की जांच कर 90 दिनों के भीतर उन्हें बंद किया जाए। इसके साथ ही वन विभाग, पार्क प्रबंधन और जिला प्रशासन को कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

न्यायालय ने इस मामले में वन विभाग की निष्क्रियता पर भी नाराजगी जताई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "आप जंगलों को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।" यह टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि वन संरक्षण को लेकर न्यायपालिका कितनी गंभीर है।

यह आदेश भारत सरकार द्वारा 16 नवंबर 2016 को जारी नोटिफिकेशन के आधार पर दिया गया है, जिसमें टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध के स्पष्ट निर्देश हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र तिवारी और उनके सहायक रुद्र प्रताप द्विवेदी ने प्रभावशाली पैरवी की।

 

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