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जबलपुर

भगवान राम, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हिंदू धर्म के बारे में कथित तौर पर आपत्तिजनक इंस्टाग्राम पोस्ट के मामले में मोहम्मद बिलाल मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है।

मोहम्मद बिलाल ने सतना के एक पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 294, 153ए, 295ए और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) और 3(2) के तहत उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। बिलाल ने अपनी याचिका में दावा किया था कि कुछ लोगों ने दो दिन पहले उसका इंस्टाग्राम अकाउंट हैक कर लिया और आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड कर दिया।

जस्टिस जीएस अहलूवालिया की सिंगल जज बेंच ने कहा, "एफआईआर से यह स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर आपत्तिजनक पोस्ट क्यों अपलोड की गई है। यह बताने के बजाय कि वह पोस्ट उसका अकाउंट हैक करके किसी और ने अपलोड की है, उसने (याचिकाकर्ता) शिकायतकर्ता को गाली देना और अपमानित करना शुरू कर दिया और उसकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई।''

पिछले महीने के हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था, "याचिकाकर्ता का यह आचरण दर्शाता है कि उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर किसी और द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने का बचाव गलत है। चूंकि याचिकाकर्ता ने खुद अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने की बात स्वीकार की है, इसलिए उसे शिकायतकर्ता के साथ जिस तरह से प्रतिक्रिया की गई, उस तरह से प्रतिक्रिया करने का कोई अधिकार नहीं है।"

जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं, इस पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता। आदेश में कहा गया है कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संबंधित एफआईआर में संज्ञेय अपराध का खुलासा किया गया है, हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता है।

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