MY SECRET NEWS

ढाका
बांग्लादेश के एक हाई स्कूल के हिंदू प्रिंसिपल को कथित तौर पर बंधक बनाया गया और बेबुनियाद आरोपों के आधार पर अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर किया गया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि चटगांव के भटियारी हाजी तोबारक अली चौधरी (टीएसी) हाई स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाचार्य कांति लाल आचार्य पर खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके संबद्ध संगठनों के सदस्यों ने त्यागपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला।
प्रिंसिपल की बेटी भावना आचार्य ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि उनके पिता को बिना किसी आरोप के पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, "मेरे पिता कांति लाल आचार्य 35 साल से भटियारी हाजी तोबारक अली हाई स्कूल में पढ़ा रहे हैं। बुधवार को मेरे पिता को बिना किसी सिद्ध आरोप के जबरन कार्यवाहक प्रिंसिपल के पद से हटा दिया गया। मेरे पिता ने क्या अपराध किया है? यह नहीं बताया गया।"
भावना आचार्य ने लिखा, "ताजा घटना से पहले मेरे पिता को स्कूल जाने से मना किया गया। उनसे कहा गया कि अगर वे स्कूल गए तो उन्हें अपमानित किया जाएगा। इसके जवाब में मेरे पिता ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और कोई अपराध नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अगर आप मुझे अपने पद से हटने के लिए कहेंगे तो मैं बिना किसी हिचकिचाहट के पद छोड़ दूंगा लेकिन मैं फिर भी स्कूल जाऊंगा लेकिन भागूंगा नहीं। उन्होंने अपने अपराध का सबूत लाने के लिए कहा।"
भावना ने बताया कि उनके पिता को जबरन एक कागज पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। कागज में लिखा था कि वे भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण स्वेच्छा से इस्तीफा दे रहे हैं। उनके मुताबिक, "मेरे पिता ने निडरता से कहा कि उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है और वे उस पन्ने पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, इस्तीफा दे देंगे। इस पर लोगों ने मेरे पिता की पिटाई कर दी। बाद में एक और पर्चा लिखा गया जिसमें कहा गया कि उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया है।"
भावना ने निराशा व्यक्त करते हुए आगे कहा, "यह शिक्षक का अपमान है! हम दुनिया के एकमात्र नीच राष्ट्र हैं जो हर स्तर पर शिक्षकों को निशाना बना रहे हैं और उन्हें इस अपमानजनक स्थिति में डाल रहे हैं।"
बांग्लादेश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम आलो से बात करते हुए कांति लाल आचार्य ने कहा कि स्कूल में हुई घटना के बाद से वह बीमार पड़ गए हैं, डरे हुए हैं और उनका पूरा परिवार भी उनके लिए चिंतित है। घटना के बारे में पूछे जाने पर उपजिला कार्यकारी अधिकारी फखरुल इस्लाम ने प्रोथोम अलो को बताया कि चटगांव शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों ने घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की है। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि शिक्षक पर हमला करने वाले बीएनपी सदस्यों ने दावा किया था कि बांग्लादेश एक इस्लामिक राज्य होना चाहिए, जहां गैर-मुस्लिम प्रधानाध्यापकों की कोई जगह नहीं।
पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंसा और कानून व्यवस्था के लगातार खराब होने का सिलसिला जारी है।मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर अक्सर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव बरतने और उन्हें सुरक्षा न देने का आरोप लगाया जाता है।
भारत ने बांग्लादेश की स्थिति पर बार-बार चिंता जताई है और उम्मीद जताई है कि यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार हिंसा के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी।
इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान यूनुस के साथ अपनी बैठक के दौरान हिंदुओं सहित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था।

यूजफुल टूल्स
QR Code Generator

QR Code Generator

Age Calculator

Age Calculator

Word & Character Counter

Characters: 0

Words: 0

Paragraphs: 0