बालाघाट
छत्तीसगढ़ से नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान की वजह से माओवादियों की कमर टूटती नजर आ रही है। नक्सलियों पर हमले की वजह से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। कार्रवाई की वजह से नक्सली अब मध्य प्रदेश को अपना ठिकाना बना रहे हैं, जिसका खुलासा इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में हुआ है। अब इसे ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार सतर्क हो गई है।
इन तीन जिलों में नक्सली
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी में नक्सलियों का नया कैडर तैयार हो रहा है। नक्सली दलम-2 के नाम से इसका विस्तार कर रहे हैं। इसे देखते हुए सीएम मोहन यादव ने केंद्र से सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व बल) की 2 बटालियन की मांग की है। बटालियनों को बालाघाट, मंडला और डिंडौरी के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, सीआरपीएफ बटालियन के साथ ही इन तीनों जिलों में 220 नई सड़कें बनाने की भी मांग की गई है। तीनों जिलों के नक्सल मूवमेंट वाले इलाकों में आरसीपी (रिगिड कंक्रीट पेवमेंट) से 220 नई सड़कें बनाई जाएंगी। गौरतलब है कि इससे पहले नक्सली कान्हा के रास्ते बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में प्रवेश करते रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि नक्सलियों ने माड़ा के जंगल को सेफ जोन क्यों बनाया है, इससे निपटने के लिए सुरक्षा बल क्या रणनीति बना रहे हैं? आइए आपको बताते हैं।
बचने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश
दरअसल, 4 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-दंतेवाड़ा में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए थे। इसके चलते छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था। आपको बता दें कि जब भी सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होती है तो वे अपने सुरक्षित ठिकाने की तलाश करते हैं ताकि वे सरकार की कार्रवाई से बच सकें।
डिंडोरी जिले को क्यों चुनते हैं नक्सली?
नक्सल ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक एमपी के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिले को नक्सली अपने सुरक्षित ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इस संबंध में बालाघाट जोन के आईजी संजय कुमार का कहना है कि नक्सलियों ने साल 2015-16 में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (एमएमसी) एरिया इसलिए बनाया था क्योंकि यह छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, खैरागढ़, कवर्धा से लेकर मनेंद्रगढ़ और कोरिया जिले तक फैला हुआ है। संजय कुमार की मानें तो महाराष्ट्र का गोंदिया, छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव और एमपी का बालाघाट (जीआरबी) नक्सलियों के एमसीसी एरिया का हिस्सा है, जिसके चलते नक्सली इसे चुनते हैं।
केंद्र से मांग
इसके अलावा नक्सलियों ने मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व और छत्तीसगढ़ के भोरमदेव अभ्यारण्य को विकसित कर लिया है, जिसे केबी कहते हैं। गौरतलब है कि यह इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी की रिपोर्ट का हिस्सा है, जो पिछले दिनों केंद्र सरकार को दी गई थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर एमपी सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हाल ही में हुई बैठक में सीआरपीएफ की दो बटालियन की मांग की है।
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