नई दिल्ली
अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहे ईरान ने भारत से अपने रिश्ते सुधारने और सहयोग बढ़ाने की अपील की है। ईरानी अधिकारियों ने भारत से फिर से कच्चे तेल की खरीद शुरू करने और ईरानी नागरिकों को वीजा देने में राहत देने की मांग की है। ईरान का कहना है कि इन कदमों से दोनों देशों के बीच दोस्ती और आर्थिक रिश्ते और मजबूत होंगे। मगर इसके पीछे क्या ईरान की कोई मंशा है? आइए जानते हैं।
ईरान की इस गुहार के पीछे मुख्य वजह अमेरिकी प्रतिबंध हैं, जिनकी वजह से उसकी अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव है। 2019 में भारत ने अमेरिकी दबाव में ईरान से कच्चे तेल की खरीद बंद कर दी थी। हालांकि, अब ईरान चाहता है कि भारत एक बार फिर तेल खरीदने के लिए रास्ता निकाले। ईरानी अधिकारी ने साफ कहा कि भारत और ईरान को मिलकर इस मुद्दे का हल ढूंढना होगा।
चाबहार बंदरगाह पर भी ईरान की खास नजर है। यह बंदरगाह अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे से बाहर है और भारत ने इसके विकास में काफी निवेश किया है। ईरानी अधिकारी ने कहा कि चाबहार के आसपास पेट्रो-रसायन उद्योगों में सहयोग के लिए भारत ने रुचि दिखाई है। यह बंदरगाह दोनों देशों के लिए व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का एक अहम जरिया हो सकता है।
ईरानी अधिकारी ने यह भी कहा कि रूस और ईरान पर लगे प्रतिबंध अलग हैं, और भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। ऐसे में ईरान उम्मीद कर रहा है कि भारत उसके लिए भी ऐसा ही कोई रास्ता निकालेगा। ईरान ने यह भी संकेत दिया कि चीन के बढ़ते प्रभाव और वैश्विक राजनीति में बदलाव के चलते अमेरिका का रुख ईरान के प्रति नरम हो सकता है। ऐसे में भारत के लिए यह मौका हो सकता है कि वह ईरान के साथ अपने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाए।
भारत के लिए ईरान की अहमियत सिर्फ तेल तक सीमित नहीं है। चाबहार बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ने का सीधा रास्ता देता है। ईरान ने साफ कर दिया है कि वह भारत के लिए किसी तरह की मुश्किल खड़ी नहीं करना चाहता, बल्कि आपसी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता है। ऐसे में देखना है कि क्या भारत अपने चाबहार वाले दोस्त के साथ कच्चे तेल का सौदा करता है या नहीं।
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