किसानों को डीएपी-यूरिया नहीं मिलने की खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना पत्रकार को पड़ा महंगा

किसानों को डीएपी-यूरिया नहीं मिलने की खबर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना पत्रकार को पड़ा महंगा

Journalist found it costly to post news of farmers not getting DAP-Urea on social media

  • पत्रकार की खबर से तिलमिलाए तहसीलदार, पृथ्वीपुर तहसीलदार ने पत्रकार पर कर दी कार्यवाही
  • पत्रकारों और समाजसेवियों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

भोपाल। पृथ्वीपुर में भ्रष्टाचार और किसानों को खाद नहीं मिलने के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना एक पत्रकार को महंगा पड़ गया। खबर वायरल होते ही तहसीलदार इतने तिलमिला गए कि उन्होंने समस्या का निराकरण करने की बजाय पत्रकार पर कार्यवाही कर दी। कलेक्टर की कृपा से बने तहसीलदार ने पत्रकार को धमकी भरा नोटिस देने थमा दिया। तहसीलदार के इस द्वेषपूर्ण कार्यवाही की पृथ्वीपुर नगर में आलोचना हो रही है। इससे पत्रकारों और समाजसेवियों में रोष व्याप्त है।पत्रकारों और समाजसेवियों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर पत्रकार को न्याय दिलाने और तहसीलदार पर कानूनी कार्यवाही करने ज्ञापन सौंपा।

Journalist found it costly to post news of farmers not getting DAP-Urea on social media

गौरतलब है कि विगत दिनों 2 दिसंबर को पृथ्वीपुर के फुब्बारे तिराह पर खादय की समस्या को लेकर ग्रामीण जन प्रदर्शन कर रहे थे। पूर्व में भी खादय ना मिलने से परेशान किसानों ने जिले एवं पृथ्वीपुर में चक्काजाम किया था। इस समस्या को लेकर पत्रकार प्रदीप खटीक द्वारा समाचार के माध्यम से किसानों का मुददा उठाया गया था। खादय में भ्रष्टाचार की जानकारी मिलने पर निवाडी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड ने पृथ्वीपुर तहसील का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान खादय की काला बाजारी करने पर कुछ लोगों पर जांच उपरांत मामला भी पंजीबद्ध किया गया था। जिसका समाचार भी पत्रकार ने प्रकाशित किया था। भूखे प्यासे परेशान किसानों के द्वारा बार-बार खादय की समस्या को लेकर आवाज उठाने व चक्काजाम करने के बाद भी अधिकारियों द्वारा उनकी समस्या ना सुनने पर किसानों की परेशानियों को देखते हुए पत्रकार प्रदीप खटीक ने पृथ्वीपुर तहसील के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ी एक पोस्ट सोशल मीडिया फेसबुक पर डाली थी। पत्रकार द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से नाराज तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता ने व्यक्तिगत लेते हुए पत्रकार को नोटिस थमा दिया।

पत्रकारों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

मामले को लेकर राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण परिषद जिला निवाड़ी की टीम एवं अन्य सामाजिक लोगों ने निवाडी पहुंचकर कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया कि पृथ्वीपुर तहसील सहित अन्य विभागो में आये दिन अपने कार्यो को लेकर किसान चक्कर लगाते है। उनके समय पर काम नहीं होते हैं। यह पीड़ा किसी एक किसान की नहीं बल्कि पूरे पृथ्वीपुर तहसील की है। ग्रामीणों के नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा, रिकार्ड सुधार आदि कार्य सालों से तहसील में लंबित है। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी सुविधा शुल्क के कोई कार्य नहीं होता है। इस तरह के भ्रष्टाचार के खिलाफ पत्रकारों ने समाचार पत्रों के माध्यम से उजागर करते हैं।पत्रकार होने के नाते जनहित की समस्याओं को उजागर करना पत्रकार का कर्तव्य है। तहसीलदार द्वारा पत्रकारिता पर इस तरह से अंकुश लगाने से लोकतंत्र का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। इससे कहीं ना कहीं पत्रकार की छवि धूमिल हो रही है। तहसीलदार द्वारा पत्रकार को लगातार मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि पत्रकारों के द्वारा शासन प्रशासन की जन हितेषी योजनओं की खबरे पेपर के माध्यम से प्रकाशित की जाती है। इन्ही मुद्दों को लेकर पत्रकार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। इस खबर के बाद तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता पत्रकार को व्यक्तिगत रूप से डराने धमकाने का कार्य रहे है। पत्रकार निडर और निर्भीक निष्पक्ष पत्रकारिता करते है। पत्रकारों को उनके कार्य से वंचित कराते हुए तहसीलदार पत्रकार के खिलाफ षडयंत्र रच कर फंसाने का कार्य कर रहे है।

तहसीलदार ने पत्रकार की पोस्ट को व्यक्तिगत माना

बताया जा रहा है कि इस पोस्ट को व्यक्तिगत लेते हुये बदले की भावना से अचानक पत्रकार कार्यालय पर तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता, एडवोकेट करूणेश साहू, उपपंजीयक विषाल गोस्वामी बिना किसी सूचना के जा धमके और रजिस्ट्री लायसेंस मांग लिया। पत्रकार ने कहा कि मेरी पत्नि के नाम लायसेंस है, जो अभी घर पर घरेलू कार्य के साथ दोनो छोटे-छोटे बच्चों की देखरेख कर रही है। उस दौरान पीड़ित पत्रकार सामान्य तौर पर किसानों के कार्य कर रहे थे। इसी दुकान से वह दिन भर की एकत्रित की हुई खबरों को अपने निजी कम्प्युटर से बनाकर सागर और भोपाल विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में भेजते है। इस मौके का फायदा उठाते हुए बीच में ही एडवोकेट करूणेष साहू द्वारा अवैधानिक तौर पर पत्रकार की फोटो खीचकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। और लिखा कि पत्नि के अवैध लायसेंस पर पत्रकार प्रदीप खटीक कार्य कर रहे थे। जबकि निरीक्षण के दौरान वह सिर्फ सामान्य काम ही कर रहे थे।

निराधार और झूठा आरोप लगाते हुए तहसीलदार द्वारा पत्रकार को फंसाने की साजिश की जा रही थी। जब वह इसमें सफल नहीं हुए तो एडवोकेट करूणेश साहू द्वारा पुनः नोटिस जारी करा दिया गया। जिस कारण पत्रकार प्रदीप खटीक को मानसिक क्षति होने साथ ही भारी आघात पहुंचा है। तहसीलदार और एडवोकेट के इस तरह से बिना सूचना के किसी की दुकान पर आ जाना कहीं ना कहीं उनकी अवैधानिक कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करता है। जिस कारण हम सब पत्रकारों की छवि धूमिल होने के साथ ही बदनामी हो रही है।

एडवोकेट करूणेश साहू एवं तहसीलदार द्वारा पत्रकार साथी प्रदीप खटीक और परिजनों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। क्योंकि वह अनुसूचित जाति वर्ग से है। जिस कारण द्ववेश भावना के चलते उन पर दबाव डाला जा रहा है। इस मामले में कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड का कहना है कि तहसीलदार से बात करूंगा, जो भी कार्यवाही होगी की जाएगी।

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