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बालाघाट
शुगर के मरीजों के लिए अच्छी खबर. फूंक मारकर पता कीजिए शरीर का शुगर लेवल. अब बार बार सुई चुभाने और खून निकालने की जरूरत नहीं है, बस एक फूंक मारो और जान लो अपना शुगर लेवल. बालाघाट के प्रोफेसर और छात्रों ने निकाली ऐसी अनोखी तरकीब.

सेकंडों में पता करें अपना सुगर लेवल

बालाघाट के शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी कॉलेज के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर एक ऐसी मशीन बनाई है, जिससे आप उस मशीन में फूंक मारकर सेकंडों में पता कर सकेंगे कि आपके शरीर का शुगर लेवल कितना है. अब आपको बार बार डॉक्टर के पास जाने के झंझट से छुटकारा मिल जायेगा साथ ही आप अपने शरीर का ध्यान भी रख सकेंगे. प्रोफेसर और कॉलेज के छात्रों के द्वारा बनाई गई इस मशीन की तारीफ अब हर तरफ हो रही है. भोपाल में आयोजित सृजन कार्यक्रम में बालाघाट के इस प्रोजेक्ट ने पहला स्थान हासिल किया है, जबकि इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से 150 प्रोजेक्ट चयनित हुए थे.

बालाघाट के शुगर ब्रीथ एसीटोन 3.0 प्रोजेक्ट को पहला स्थान

बता दें कि भोपाल में आयोजित सृजन कार्यक्रम के लिए पूरे प्रदेश से 150 प्रोजेक्ट चयन किये गये थे, जिसमें इस शुगर ब्रीथ एसीटोन 3.0 नाम के प्रोजेक्ट का भी चयन हुआ था. बालाघाट के इस शुगर ब्रीथ एसीटोन 3.0 नाम के प्रोजेक्ट को पहला स्थान मिला.

शुगर ब्रीथ एसीटोन 3.0 मशीन क्या है?

यह एक ऐसी डिवाइस है, जिसमें बिना सुई चुभाए यानी शरीर से बिना खून निकाले ही शुगर लेवल का पता लगाया जा सकता है. इस डिवाइस में सिर्फ फूंक मारना होता है. इसके बाद ये मशीन चंद सेकंड में ही आपका शुगर लेवल बता देती है. इसमें एकदम इग्जैक्ट शुगर लेवल की मात्रा तो नहीं पता चलती, लेकिन ये तीन तरह से शुगर की रीडिंग दिखाती है, इसमें 'लो' का मतलब शुगर लेवल कम है. वहीं, 'मॉडरेट' यानी शुगर लेवल सामान्य है, जबकि मशीन में जब 'हाई' दिखाता है, तो शुगर लेवल ज्यादा है, यानी कि डायबिटीज होने की आशंका है.

एसिटोन और ग्लूकोज के संबंध का अध्ययन

गौरतलब हो कि शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश अगासे इस प्रोजेक्ट पर पिछले 8 सालों से काम कर रहे थे तब कहीं जाकर यह डिवाइस बन पाई है. प्रोफेसर डॉ. दुर्गेश अगासे ने बताया कि "2017 में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को बनाना शुरू किया था. शुगर के मरीजों में कीटोजेनिक मेटाबॉलिज्म शुरू हो जाता है. उनकी बॉडी के अंदर कीटोन का निर्माण होने लगता है. फिर कीटोन में उपस्थित एसिटोन उनकी सांस में आने लगता है. ऐसे में एसिटोन और ग्लूकोज के संबंध का अध्ययन किया गया. फिर इस आधार पर इस मशीन का आविष्कार हो पाया है.

इसका पेटेंट साल 2023 में किया गया. इस मॉडल में इंजीनियरिंग की अहम भूमिका रही, क्योंकि एसिटोन और ग्लूकोज के संबंध का अध्ययन और इसके अनुपात को स्पष्ट करने के लिए कोडिंग की गई. दोनों के संबंध को स्थापित करने के लिए फिर प्रोग्रामिंग की गई. ऐसे में इंजीनियरिंग की मदद से यह प्रोजेक्ट पूरा हो पाया."

ब्रेथ एनलाइजर डिवाइस, एसिटोन पर करती है काम

जनरल फिजिशियन डॉ. वेदप्रकाश लिल्हारे ने चर्चा में बताया कि "प्रोफेसर और बच्चों के द्वारा यह एक अच्छा नवाचार है, जिस तरह से खून निकाल कर शुगर की जांच होती थी उससे छुटकारा मिलेगा. वहीं, डॉक्टर ने बताया कि प्रोफेसर अगासे का जो ब्रेथ एनलाइजर है वो एसिटोन पर काम कर रहा है और एसिटोन हर शुगर के मरीजों में नहीं बनता है. मैं उनसे लगातार चर्चा में हूं, वे और क्या अपडेट कर रहे हैं इसकी चर्चा भी लगातार हो रही है."

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