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Pride of Chhatarpur: Historical heritage of Dhubela and legacy of Maharaja Chhatrasal

छतरपुर ! Maharaja Chhatrasal in Chhatarpur मध्यप्रदेश का छतरपुर जिला न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि अपने गौरवशाली इतिहास के लिए भी जाना जाता है। यही वह भूमि है जहां वीर योद्धा महाराजा छत्रसाल ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष कर बुंदेलखंड में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी। उनकी राजधानी रहा धुबेला गांव, आज भी अतीत की कहानियां समेटे खड़ा है।

बुंदेलखंड में छत्रसाल का साम्राज्य Maharaja Chhatrasal in Chhatarpur

17वीं शताब्दी में स्थापित धुबेला गांव, महाराजा छत्रसाल की वीरता, कला और प्रेम का साक्षी है। कहा जाता है कि छत्रसाल ने मुगल सम्राट औरंगजेब को परास्त कर अपना स्वतंत्र राज्य खड़ा किया था। यही कारण है कि बुंदेलखंड की धरती पर आज भी उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।

Maharaja Chhatrasal in Chhatarpur

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अद्भुत धरोहरें और स्थापत्य कला

धुबेला की ऐतिहासिक धरोहरें आज भी अपनी भव्यता से लोगों को आकर्षित करती हैं। इनमें छत्रसाल महल, रानी कमलापति स्मारक, मस्तानी महल, हृदय शाह महल और शीतल गढ़ी प्रमुख हैं।

  • मस्तानी महल (1696 ई.): महाराजा छत्रसाल की दत्तक पुत्री मस्तानी के नाम पर बना यह महल बुंदेली वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। बाद में मस्तानी का विवाह बाजीराव पेशवा से हुआ, जो इतिहास में अमर प्रेम कथा के रूप में दर्ज है।
  • महबा गेट (1678 ई.): कभी यह छावनी का मुख्य द्वार था, जो छत्रसाल की सैन्य शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
  • रानी कमलापति का समाधि स्थल: छत्रसाल ने अपनी पहली पत्नी कमलापति की याद में इस स्मारक का निर्माण कराया था। यह कमल की पंखुड़ियों के आकार में बना हुआ है और ताजमहल की शैली की झलक देता है। इसकी खिड़कियां और 48 पंखुड़ियां अद्वितीय शिल्पकला का परिचय कराती हैं।
Maharaja Chhatrasal in Chhatarpur

धुबेला का ऐतिहासिक महत्व Maharaja Chhatrasal in Chhatarpur

इतिहासकार मानते हैं कि धुबेला केवल छत्रसाल की राजधानी ही नहीं, बल्कि उनकी कर्मभूमि भी थी। यहां की धरोहरें न केवल स्थापत्य की उत्कृष्टता दिखाती हैं, बल्कि बुंदेलखंड की संस्कृति और वीरता की गाथा भी सुनाती हैं।

छतरपुर का धुबेला गांव आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। महाराजा छत्रसाल की गाथा, मस्तानी और बाजीराव की कहानी, तथा रानी कमलापति का स्मारक—ये सभी मिलकर बुंदेलखंड की पहचान को और भी मजबूत बनाते हैं।

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