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भोपाल
कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री गौतम टेटवाल ने कहा है कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई ने सेवा, सुशासन और सामाजिक चेतना का जो दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, वह आज भी मार्गदर्शक है। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देकर तत्कालीन रूढ़ियों को तोड़ा और समाज के हर वर्ग को सम्मान से जोड़ा। मंत्री श्री टेटवाल राजगढ़ जिले के सारंगपुर में होल्कर वंश की राजमाता देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उनके सुशासन और आदर्शों पर बोल रहे थे। कार्यक्रम महिला सशक्तीकरण, सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भता की प्रेरणा पर केन्द्रित था।

योजनाओं में परिलक्षित होती है अहिल्याबाई की सोच
मंत्री श्री टेटवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव के नेतृत्व में आज देश और प्रदेश में जो योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, वे देवी अहिल्याबाई के आदर्शों से प्रेरित नजर आती हैं। मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, लाड़ली बहना योजना और सीएम स्टार्टअप चैलेंज जैसी योजनाएं महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रभावी कदम हैं।

जल जंगल जमीन की संवेदनाओं से जोड़ा था शासन
मंत्री श्री टेटवाल ने कहा कि अहिल्याबाई का शासन जल, जंगल और ज़मीन की संवेदना से जुड़ा था। कुएं, बावड़ियां और वृक्षारोपण जैसे कार्यों के माध्यम से उन्होंने पर्यावरण और जनकल्याण को जोड़ा। उनकी सोच 'हर हाथ को काम, हर खेत को पानी' की भावना को साकार करती थी। उन्होंने बताया कि हाल ही में इंदौर में संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में देवी अहिल्याबाई कौशल प्रशिक्षण योजना को मंजूरी दी गई है। यह योजना प्रदेश की बेटियों और युवाओं को रोजगार-स्वरोजगार से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनेगी।

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