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बालोद।

छत्तीसगढ़ में मितानिनों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. जिसके कारण गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही है. दो सूत्रीय मांगों को लेकर बालोद शहर के धरना प्रदर्शन स्थल पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. जिसके कारण गांव में स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ी हुई है. मितानिनों की हड़ताल के कारण प्रदेश में चल रहा टीबी मुक्त कार्यक्रम प्रभावित हो रहा है.

मितानिनों के मुताबिक अब वह आश्वासन पर नहीं टूटेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी घोषणा पत्र में मितानिनों को संविलियन किए जाने, मानदेय में 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का वादा किया था. बीजेपी सरकार में आ चुकी है तो अपने किए वादा को पूरा करने की मांग मितानिन कर रहे हैं. मितानिन संघ के प्रदेश संगठन मंत्री मीना डोंगरे ने बताया कि सभी मितानिन , मितानिन प्रशिक्षक, ब्लॉक समन्यवक, स्वास्थ्य पंचायत समन्यवक, एरिया कोऑडिनेटर और मितानिन हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में संविलियन किया जाए.क्योंकि SHRC, NGO के साथ काम करने पर उन्हें आर्थिक लाभ नहीं मिलता है. संविलियन की मांग पर अड़े – मितानिनों ने बताया कि उनके पदाधिकारी 21 साल से सेवा दे रहे हैं.लेकिन अब तक उन्हें संविलियन से वंचित रखा गया है. लंबा अनुभव होने के बाद भी कम प्रोत्साहन राशि और क्षतिपूर्ति बेस से काम लिया जा रहा है.प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जब तक मांगों को पूरा नहीं करते तब तक हड़ताल जारी रहेगी.आपको बता दें कि प्रदेश स्वास्थ्य मितानिन संघ ने सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. जिसके कारण जिले की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं.

''सरकार ने मितानिनों का मानदेय 50% बढ़ाने का वादा किया था.लेकिन अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है जिसे लेकर हमने अनिश्चित कालीन धरना शुरू किया है जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाता हम धरना समाप्त नहीं करेंगे।''
– मीना डोंगरे, प्रदेश संगठन मंत्री, मितानिन संघ'

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