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भोपाल
 मध्य प्रदेश में शराब के दाम 10 प्रतिशत बढ़ सकते हैं। वजह यह है कि राज्य सरकार ने शराब पर 10 प्रतिशत वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) बढ़ाने का निर्णय लिया है। उदाहरण के लिए शराब पर वैट 350 रुपये प्रूफ लीटर था, 10 प्रतिशत बढ़ोतरी करने पर यह 385 रुपये प्रूफ लीटर हो जाएगा। बता दें कि एक लीटर के बराबर एक प्रूफ लीटर होता है।

    हालांकि, वैट बढ़ाने के साथ ही आबकारी विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि शराब निर्माता कंपनी मनमाने तरीके से शराब का मूल्य नहीं बढ़ा सकेंगी।

    दरअसल, शराब निर्माता कंपनी का तर्क होता है कि उनकी शराब विभिन्न राज्यों में विक्रय की जाती है।

    ऐसे में दूसरे राज्यों से तुलना कर शराब की कीमत में वृद्धि की जाती है।

    लेकिन अब शराब की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और (एमआरपी) मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में शराब पर वैट और कीमत की तुलना कर जो राज्य के अनुकूल होगा, उसके आधार पर ही शराब का मूल्य तय किया जाएगा।

31 जिलों में शराब के ठेकों की ई-टेंडरिंग और बिड से होगी नीलामी

मध्य प्रदेश में 21 जिलों में शराब ठेकों की 100 प्रतिशत नीलामी की जा चुकी है। 81 समूहों ने शराब के ठेके उठाए हैं। अब 31 जिलों में शराब के ठेके होना है। नीलामी की प्रक्रिया के बावजूद जबलपुर और दमोह सहित अन्य जिलों में ठेके नहीं उठ पा रहे हैं। यहां ई-टेंडरिरंग और बिडिंग से नीलामी की जाएगी।

21 जिलों में नीलामी पूरी

अभी तक 21 जिलों में शराब ठेकों की नीलामी पूरी हो चुकी है। 81 समूहों ने ठेके लिए हैं। 31 जिलों में अभी नीलामी होनी बाकी है। कुछ जिलों जैसे जबलपुर और दमोह में ठेके नहीं उठ पा रहे हैं। विभाग ई-टेंडरिंग और बिडिंग पर विचार कर रहा है।

राजस्व का लक्ष्य 

चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार का 15 हजार करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य है, जिसमें से 12,500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो चुका है। यह लक्ष्य इसी महीने हासिल कर लिया जाएगा। वहीं, वर्ष 2025-26 के लिए शराब ठेकों की नीलामी से 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक की आय होने की उम्मीद है।

शराब की कीमतें भले ही हर साल बढ़ती रहे मगर दूसरी तरफ उसकी खपत में कमी होने के बजाय उल्टा बढ़ोतरी हो रही है। इस बार भी शासन ने अपनी आबकारी नीति में वर्तमान शराब ठेकेदारों को ही यह विकल्प दिया कि वे 20 प्रतिशत अधिक दर पर अपनी दुकानों का आगामी वित्त वर्ष के लिए नवीनीकरण करा सकते हैं, जिसके चलते इंदौर जिले में 80 की बजाय 83 फीसदी बढ़ा हुआ राजस्व 139 दुकानों पर प्राप्त हुआ और 1476 करोड़ रुपए की ये दुकानें नीलाम हो गई। अब सिर्फ 13 समूह की 34 दुकानें बची है, जिनका आरक्षित मूल्य 304 करोड़ रुपए आंका गया है।

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