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भोपाल
 देश में कुल जैविक उत्पाद का 40 प्रतिशत हिस्सा देने वाला मध्य प्रदेश जैविक खेती के मामले में नए कीर्तिमान की ओर है। इसका रकबा 17 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 20 लाख हेक्टेयर करने की तैयारी चल रही है। जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने प्रति हेक्टेयर पांच-पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। इसमें भारत सरकार से भी मदद मिलेगी। साथ ही जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए बाजारों में स्टाल लगाने के साथ खुदरा व्यापारियों से जोड़ने की पहल भी की जाएगी।

बता दें, देश में कुल 65 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती होती है। मध्य प्रदेश के मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, शहडोल, सिंगरौली सहित अन्य कई जिलों में परंपरागत रूप से जैविक खेती होती है। खेतों में डाले जा रहे रासायनिक उवर्रक और कीटनाशकों के कारण खाद्यान्न और भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। यही कारण है कि जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है।

किसानों के लिए फायदेमंद

जैविक खेती किसानों के लिए आर्थिक तौर पर लाभदायक भी है, इसलिए इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए वर्ष 2011 में जैविक खेती नीति बनाई गई। जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण के साथ अन्य व्यवस्थाएं बनाई गईं। अब इसे प्राकृतिक खेती से जोड़कर और आगे बढ़ाने की कार्ययोजना बनाई गई है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में जैविक खेती के लिए तीन हजार से अधिक क्लस्टर बने हैं। अब इसे और विस्तार दिया जाएगा।

जैविक उत्पादों का कराया जाएगा प्रमाणीकरण

जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने प्रति हेक्टेयर पांच-पांच हजार रुपये तीन वर्ष तक दिए जाएंगे। उन्हें कहीं से भी सामग्री लेने की छूट रहेगी। तीन वर्ष तक किसान द्वारा की जाने वाली खेती का पूरा रिकार्ड रखा जाएगा। जैविक उत्पाद का प्रमाणीकरण भी करवाया जाएगा, ताकि उपज का अच्छा मूल्य मिले। साथ ही उपज विक्रय के लिए अन्य राज्यों के बाजारों में स्टाल लगाने के साथ खुदरा व्यापारियों से किसानों को जोड़ने की पहल की जाएगी।

जैविक खाद की आवश्यकता की पूर्ति के लिए सहकारी स्तर पर समिति बनाना भी प्रस्तावित है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें गोपालन से जोड़ने की भी तैयारी है। प्राकृतिक खेती करने पर देसी गाय पालन के लिए 900 रुपये प्रतिमाह देने की योजना बनाई गई है।

ये फसलें उगाई जा रहीं

प्रदेश में अभी एक लाख से अधिक किसानों द्वारा जैविक खेती की जा रही है। प्रमुख उपज में सोयाबीन, गेहूं, धान, चना, मसूर, अरहद, उड़द, बाजरा, रामतिल, मूंग, कपास, कोदो-कुटकी आदि शामिल हैं।

इन जिलों में अधिक जैविक खेती

मंडला, डिंडौरी, शहडोल, सिंगरौली, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर, उमरिया, दमोह, सागर, आलीराजपुर, झाबुआ, खंडवा, सीहोर, श्योपुर और भोपाल

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