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नई दिल्ली

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने इसकी जानकारी देते हुये बताया कि चमकता चंद्रमा पृथ्वी से मात्र 3 लाख 57 हजार 3 सौ 64 किमी की दूरी पर रहेगा जोकि इस साल के लिये सबसे कम दूरी है। नजदीकियों के कारण यह अपेक्षाकृत बड़ा और चमकदार दिखेगा। पश्चिमी देशों में इसे हंटर्स मून के नाम दिया गया है।

भारत के समयानुसार दोपहर बाद 4 बजकर 56 मिनट पर यह सबसे निकट बिंदु पर आयेगा और इसके लगभग 1 घंटे बाद ही यह पूर्व दिशा में शरदसुपरमून के रूप में उदित होकर रात भर आकाश में अपनी चांदनी बिखेरेगा। भले ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आप बुधवार रात्रि ही खीर खाकर उत्सव मना रहे हों, लेकिन चमक के मामले में तो वैज्ञानिक रूप से गुरुवार को ही चंद्रमा की चमक अधिकतम होगी अगर बादल या धुंध बाधा न बने तो।

क्या होता है सुपरमून
सारिका ने बताया कि पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता चंद्रमा गोलाकार पथ में नहीं घूमता, बल्कि अंडाकार पथ में चक्कर लगाता है। इस कारण इसकी पृथ्वी से दूरी बढ़कर कभी 406,700 किमी हो जाती है तो कभी यह 356,500 किमी तक पास भी आ जाता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के पास आया हो और उस समय पूर्णिमा आती है तो चंद्रमा लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार दिखाई देता है। इसे ही सुपरमून कहा जाता है। गुरूवार को साल का सबसे नजदीकी सुपरमून है। 

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