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भोपाल
प्रदेश में पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा का राज्य सरकार विस्तार करना चाहती है। विधानसभा क्षेत्र स्तर तक यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य बजट में घोषणा की गई है, पर इसके संचालन की स्थिति ठीक नहीं है। पिछले वर्ष मई में प्रारंभ की गई इस सेवा में अभी तक 13 जिलों के केवल 61 रोगियों को इसका लाभ मिला है। इनमें नौ ने सशुल्क सेवा ली। बाकी 51 आयुष्मान हितग्राही थे, जिन्हें निश्शुल्क सेवा मिली।

इस तरह प्रतिमाह औसतन पांच रोगियों को ही इस सेवा का लाभ मिल पाया है, जबकि सेवा प्रदाता कंपनी से हुए अनुबंध के अनुसार न्यूनतम भुगतान की शर्त के अंतर्गत सरकार प्रतिमाह कंपनी को लगभग डेढ़ करोड़ रुपये चुका रही है।
बता दें, शर्त यह है कि एयर एंबुलेंस सेवा में हेलीकाप्टर के लिए कम से कम 40 और विमान के लिए 60 घंटे यानी कुल 100 घंटे का न्यूनतम भुगतान राज्य सरकार को करना ही है।
हेलीकाप्टर के लिए निर्धारित दर 1,94,500 रुपये प्रति घंटे और विमान के लिए 1,78,900 रुपये है। इसमें शुल्क चुकाने वाले रोगियों से कंपनी को मिली राशि काटकर बाकी भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है।
इस तरह न्यूनतम भुगतान की शर्त के अंतर्गत सेवा प्रदाता कंपनी से सौ घंटे की सेवा ली जा सकती है। अभी प्रतिमाह लगभग 10 घंटे की सेवा ही ली जा रही है।

इसलिए बचते हैं सीएमएचओ
दुर्घटना या आपदा के मामलों में संभाग में निशुल्क एयर एंबुलेंस सेवा के लिए सीएमएचओ की अनुशंसा पर कलेक्टर स्वीकृति दे सकते हैं।
संभाग के बाहर के लिए स्वास्थ्य आयुक्त, गंभीर मरीजों को मेडिकल कालेज से बाहर एयर एंबुलेंस की स्वीकृति डीन की अनुशंसा पर कमिश्नर और राज्य के बाहर के लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा (डीएमई) द्वारा दी जाती है।
सीएमएचओ की यह भी जिम्मेदारी होती है कि रोगी को जहां रैफर किया जाता है वहां हेलीकाप्टर या विमान के उतरने की सुविधा हो।
रोगी को अस्पताल तक पहुंचाने और वहां बेड उपलब्ध करवाने तक की जिम्मेदारी सीएमएचओ की होती है, इस कारण वे यथासंभव बचने की कोशिश करते हैं।

 

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