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प्रयागराज

महाकुंभ के आयोजन के लिए ना केवल उत्तर प्रदेश प्रशासन बल्कि भारतीय रेलवे ने भी कमर कस ली है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के पवित्र संगम पर आगामी 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए जुटा है। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ के लिये क्षेत्र को तमाम सुविधाओं से लैस करने के मकसद से श्रमिकों की पूरी फौज नदियों के प्रवाह को व्यवस्थित करने, सड़कों को चौड़ा करने और घाटों को समतल करने में जुटी है। वहीं रेलवे ने महाकुंभ के लिए 3 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला किया है। इसमें से 560 ट्रेने रिंग रेल रूट पर चलाई जाएंगी। नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर उपेंद्र चंद्र जोशी ने कहा कि आसपास के 9 रेलवे स्टेशनों पर 560 टिकटिंग पॉइंट की व्यवस्था की जा रही है। प्रयागराज जंक्शन, सुबेदारगंज, नैनी, प्रयागराज छेओकी, प्रयाग जंक्शन, फाफामऊ, प्रयागराज रामबाग, प्रयागराज संगम और झूसी स्टेशन पर टिकट काउंटर बनाए गए हैं।

 रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि इन पॉइंट्स से रोज करीब 10 लाख टिकट बांटे जा सकते हैं। महाकुंभ मेले को देखते हुए 15 दिन पहले टिकट लेने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि रिंग रेल रूट पर भी ट्रेनें चलाई जाएंगी। प्रयागराज-अयोध्या-वाराणसी-प्रयागराज, प्रयागराज संगम- जौनपुर-प्रयाग-प्रयागराज, गोविंदपुरी-प्रयागराज-चित्रकूट-गोविंदपुरी और झांसी-गोविंदपुरी-प्रयागराज-माणिकपुर-चित्रकूट-झांसी रूट पर ट्रेनें चलाई जाएंगी।

रेलवे 10 हजार से ज्यादा नियमित और 3 हजार से ज्यादा स्पेशल ट्रेनों का संचालन करेगा। स्पेशन ट्रेनों में करीब 1800 छोटे रूट पर और 700 ट्रेनें लंबे रूट पर चलेंगी। इसके अलावा रिंग रूट पर 560 ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा की नजरिए से 18 हजार से ज्यादा आरपीएफ और एसआरपी के जवानों को तैनात किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रयागराज जंक्शन पर 6 बेड वाले ऑब्जरवेशन रूम का सेटअप तैयार किया गया है। यहां ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसंट्रेटर, ईसीजी मशीन, ग्लुकोमीटर, नेबुलाइजर और स्ट्रेचर की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा यात्रियों की सुरक्षा के लिए 1186 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। इनमें से 116 कैमरे एआई तकनीक से चलते हैं।
कहां से चलेंगी ट्रेनें

अब तक जिन स्पेशल ट्रेनें की समय सारिणी सामने आई है उनमें मैसूर से लेकर कामाख्या और वलसाड़ से राजकोट तक की ट्रेनें शामिल हैं। इसमें मैसूर-दानापुर-मैसूर एक्स्परेस, कामाख्या-टूंडला-कामाख्या एक्सप्रेस, कानपुर से्ंट्रल-भागलपुर, नाहरलगुन-टुंडला-नाहरलगुन, टाटानगर-टुंडला- टाटानागर, रांची-टूंडला-रांची. पटना-प्रयागराज-पटना. गया-प्रयागराज-गया, विश्वामित्री-बलिया-विश्वामित्री, वलसाड-दानापुर-वलसाड, वापी-गया-वापी, साबरमती-बनारस-साबरमती, भावनगर टर्मिनल-बनारस-साबरमती. अहमदाबाद-जंघई-अहमदाबाद, राजकोट-बनारस-राजकोट, वेरावल-बनारस-वेरावल ट्रेनें शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में इस मेगा आयोजन को 'एकता का महाकुंभ' बताया और लोगों से समाज से नफरत और विभाजन को खत्म करने के संकल्प के साथ इस भव्य धार्मिक समागम से लौटने का आग्रह किया। महाकुंभ आगामी 13 जनवरी को 'पौष पूर्णिमा' से शुरू होगा और 45 दिनों के बाद 26 फरवरी को 'महा शिवरात्रि' पर सम्पन्न होगा। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिये एक लाख 60 हजार टेंट और डेढ़ लाख शौचालयों की स्थापना की गई है और इनकी साफ-सफाई के लिए 15 हजार सफाई कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। मेला क्षेत्र में पानी की सुविधा देने के लिये 1,250 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है। इसके अलावा 67 हजार एलईडी लाइट, दो हजार सोलर लाइट और तीन लाख पौधे लगाए जा रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नौ पक्के घाट, सात रिवरफ्रंट सड़कें और 12 किलोमीटर क्षेत्र में अस्थायी घाट निर्माणाधीन हैं। सात बस अड्डे भी बनाए जा रहे हैं। वहीं, क्षेत्र को सजाने के लिए 15 लाख वर्ग फुट से अधिक के भित्ति चित्र और ‘स्ट्रीट पेंटिंग’ बनाई गई हैं। हालांकि, हर बड़ा आयोजन अपने साथ उतनी ही बड़ी चुनौतियां भी लेकर आता है। कटान की वजह से गंगा नदी अपने मूल मार्ग से दूर चली गई है और महाकुंभ के लिए उपलब्ध भूमि कम हो गई है। इसके अलावा, पांच साल के दौरान नदी के प्रवाह की जद में आ जाने से साल 2019 के कुंभ के लिए इस्तेमाल की गई 3200 हेक्टेयर जमीन कम हो गई है।

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