गरियाबंद।
जंगल पर मनुष्यों के बढ़ते अतिक्रमण के बीच वैसे ही वन्य जीव असहाय हैं. ऐसे में वन विभाग के जिम्मेदारों की वन्य जीवों के प्रति असंवेदनशीलता ज्यादा कष्टकारक हो जाती है. ऐसा ही एक मामला पांडुका वन परिक्षेत्र में देखने को मिला, जहां तीर लगने से मृत हिरण तक पहुंचने में रेंज अफसर को 24 घंटे लग गए. जब तक वे मौके पर पहुंचते तब तक कुत्ते नोचकर खा गए थे, यहां तक शव पोस्टमार्टम के भी लायक नहीं बचा था.
पांडुका वन परिक्षेत्र के ग्राम विरोडार पहुंच मार्ग से केवल 100 मीटर दूर हिरण का शव दिखने की जानकारी सोमवार सुबह चरवाहों ने स्थानीय लोगों को दिया. झाडियों में मृत मिले हिरण को तीर लगा हुआ था, और उसे कुछ लोग मौके पर जलाने का प्रयास भी करते दिखे. ग्रामीणों को आते देख जारकिन छोड़ कर शिकारी भाग खड़े हुए. जिसकी सूचना तत्काल पांडुका वन परिक्षेत्राधिकारी संतोष चौहान देते हुए मोबाइल पर उन्हें फोटो भी भेजा गया. उन्होंने तत्काल मौके पर टीम भेजने की बात तो कही, लेकिन उन्होंने 24 घंटे बाद मौके पर पहुंचे. ग्रामीण वन विभाग के अधिकारी और पशु चिकित्सक के साथ मौके पर पहुंचे, तब तक हिरण के आधे से ज्यादा हिस्से को कुत्ते नोच कर खा चुके थे. रही-सही हड्डियां आस-पास बिखरी पड़ी थी. पशु चिकित्सा अधिकारी केपी शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम करने के लायक शव की स्थिति नहीं है. शव के आधे से ज्यादा अंग गायब हैं. शव में तीर चुभा हुआ था, जिसे वन अमले को सौंप दिया गया है. वन अमले ने आनन-फानन में पंचनामे की कार्रवाई कर बचे-खुचे शव का अंतिम संस्कार मौके पर कर दिया. रेंजर की लेट-लतीफी को लेकर ग्रामीणों में रोष दिखा. इसकी वजह जब रेंजर से पूछी गई तो उन्होंने इसे सामान्य बात कहकर टाल दिया. वहीं, इस बात की जानकारी जब डीएफओ लक्ष्मण सिंह को दी गई, तो उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए फोटो भेजने को कहा, जिससे वे जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें. डीएफओ को फोटो तो भेज दिया, लेकिन अब देखना है कि लापरवाह अधिकारी के खिलाफ कब कार्रवाई होती है.

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